Chhattisgarh Bill against Hookah Bar: छत्तीसगढ़ में पिछले छह महीने से हुक्का बार पर लगातार कर्रवाई चल रही है. लेकिन हुक्का बार संचालकों ने इस पर कोई कानून नहीं होने के कारण पुलिस की कारवाई पर सवाल उठाया था. अब राज्य सरकार की हुक्का प्रतिबंध वाले विधेयक पर राज्यपाल अनुसुईया उइके ने हस्ताक्षर कर दिए है. 


हुक्का बार खोलने पर प्रतिबंध
राज्य सरकार के सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम 2003 में संशोधन के लिए प्रस्तुत विधेयक पर राज्यपाल ने हस्ताक्षर किए हैं. अब इस विधेयक को राष्ट्रपति की अनुमति के लिए भेजा जा रहा है. इस अधिनियम की धारा 3, 4,12, 13, 21 एवं 27 में संशोधन किया गया है. इसके अनुसार धारा चार में संशोधन कर धारा 4क और 4ख जोड़ा गया है. धारा 4क के अनुसार "हुक्का बार पर रोक" रहेगी. इस अधिनियम में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी कोई व्यक्ति स्वयं या किसी अन्य व्यक्ति की ओर से कोई हुक्का बार नहीं खोलेगा या हुक्का बार नहीं चलाएगा. इसके अलावा भोजनालय सहित किसी भी स्थान पर ग्राहकों को हुक्का नहीं देगा. वहीं धारा 4ख के अनुसार "हुक्का बार में हुक्के के माध्यम से धूम्रपान पर रोक" रहेगी. इस अधिनियम के अनुसार कोई भी व्यक्ति, किसी भी सामुदायिक हुक्का बार में हुक्का या नरगिल (गड़गड़ा) के माध्यम से धूम्रपान नहीं करेगा.


हुक्का की सामग्री कर सकेगा जब्त
धारा 13 में संशोधन कर नवीन धारा 13क जोड़ा गया है. धारा 13क के अनुसार "हुक्का बार के मामले में जब्त करने की शक्ति" दी गई है. यदि कोई पुलिस अधिकारी या आबकारी अधिकारी, जो राज्य सरकार द्वारा अधिकृत होगा और जो उप-निरीक्षक की श्रेणी से निम्न का नहीं होगा उसके के पास यह विश्वास करने का कारण है कि धारा 4क के प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है या उनका उल्लंघन किया जा रहा है. वह हुक्का बार के विषय या साधन के रूप में उपयोग की जाने वाली किसी भी सामग्री या वस्तु को जब्त कर सकेगा.


संचालन पर होगी सजा 
मूल अधिनियम की धारा 21 में संशोधन करते हुए नवीन धारा 21क एवं 21ख जोड़ा गया है. धारा 21क के अनुसार "हुक्का बार चलाने के लिए दण्ड" का प्रावधान होगा. जो कोई धारा 4क के प्रावधानों का उल्लंघन करता है, उसे तीन साल तक की सजा हो सकेगी. इसके अलावा एक वर्ष की सजा और पचास हजार रुपए जुर्माना का भी प्रावधान है. इसके अलावा 21ख के अनुसार "हुक्का बार में हुक्का के माध्यम से धूम्रपान के लिए दण्ड" का प्रावधान होगा. जो कोई धारा 4 ख के प्रावधानों का उल्लंघन करता है उसे पांच हजार रूपए तक का जुर्माना हो सकता है. इस प्रावधान में कम से कम एक हजार रूपए तक का जुर्माना होगा.


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