Chhattisgarh Assembly Election  2023: छत्तीसगढ़ में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले है. राज्य की दोनों प्रमुख पार्टियां कांग्रेस और बीजेपी इन दिनों धर्मांतरण के मामले में जुबानी जंग लड़ रहे हैं. एक तरफ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल  बीजेपी को दंगा फैलाने वाली पार्टी बता रहे हैं, तो दूसरी तरफ बीजेपी इसी धर्मांतरण के मुद्दे से सरकार बदलने का चैलेंज दे रही है. आखिर छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में धर्मांतरण के मुद्दे का कितना असर होगा? 


दरअसल छत्तीसगढ़ एक ट्राइबल स्टेट है. राज्य में 2011 के जनगणना के अनुसार यहां कुल जनसंख्या में 32 प्रतिशत आदिवासी है. छत्तीसगढ़ विधानसभा में 90 सीट हैं. इनमें से 39 सीट आरक्षित है. इनमें से 29 सीट अनुसूचित जनजाति और 10 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. आदिवासी सीटों में कांग्रेस का दबदबा है. बस्तर संभाग के 12 विधानसभा सीटें कांग्रेस के पास है. सरगुजा संभाग की भी 14 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है. कुल मिलाकर 29 में से 2 सीट ही बीजेपी के पास है. बाकी 27 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस कब्जा है.


चुनाव में धर्मांतरण के मुद्दे का कितना असर होगा?
वहीं बस्तर और सरगुजा संभाग में आदिवासी बहुलता है. बीजेपी इन्हीं इलाकों में लगातार आदिवासियों के धर्मांतरण का मुद्दा उठा रही है. सरगुजा संभाग में  बीजेपी घर वापसी अभियान भी शुरू करने जा रही है. इसको लेकर राजनीति पंडितों का कहना है कि राज्य के ट्राइबल बेल्ट में धर्मांतरण के मुद्दे का असर दिख सकता है. लेकिन मैदानी इलाकों में इसका असर नहीं होगा. 


बीजेपी दंगा फैलाने वाली पार्टी है-  मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण के मुद्दे पर ही कांग्रेस और बीजेपी आमने सामने है. मंगलवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायपुर एयरपोर्ट में बीजेपी को दंगा फैलाने वाली पार्टी बताया है. उन्होंने कहा  'बीजेपी सत्ता में वापसी के लिए छटपटा रही है. जबकि छत्तीसगढ़ में जनता ने बीजेपी को पूरी तरह नकार दिया है. इनके के पास सांप्रदायिकता और धर्मांतरण दो ही मुद्दे हैं. सीएम ने कहा कि भाजयुमो के कार्यक्रम में पुलिस के साथ मारपीट की गई. नारायणपुर में एसपी पर पथराव किया गया. इनका काम सिर्फ दंगा फैलाना है.'


बीजेपी ने किया सीएम के बयान पर पलटवार
मुख्यमंत्री के बयान पर बीजेपी ने  भी पलटवार किया है. बीजेपी नेता केदार गुप्ता ने कहा 'छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार 15 साल से रही है. सांप्रदायिक सौहार्द रहा. कहीं कोई दंगे नहीं हुए. किसी धर्म का अपमान नहीं हुआ. कहीं धर्मांतरण वाली बात नहीं आई. पूरे देश में आतंकवाद जैसी घटनाएं भी बंद हो गई. यूपी और गुजरात में बीजेपी की सरकार नहीं थी तो दंगे हुआ करते थे. अब शांति रहती है. छत्तीसगढ़ में जब से कांग्रेस की सरकार बनी यहां सामाजिक सौहार्द बिगड़ गया है. कवर्धा, रायपुर और नारायणपुर में हिंसा हुई है. धर्मांतरण के कारण आदिवासियों को कटघरे में खड़ा कर दिया. यही नहीं आदिवासी अपनी संस्कृति और परंपरा बचाना चाहते है तो उनपर रासुका लगाना चाहते है. '


इसी साल नवंबर में हो सकते विधानसभा चुनाव
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में इसी साल नवंबर में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं. देश में कांग्रेस सबसे ज्यादा छत्तीसगढ़ में मजबूत है. 90 विधानसभा सीट में 71 विधायक कांग्रेस के हैं. इस लिहाजा कांग्रेस अपने किले को बचाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. तो बीजेपी भी छत्तीसगढ़ में सत्ता वापसी के लिए पूरी ताकत से चुनावी मैदान में उतर रही है.


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