Chhattisgarh News : छत्तीसगढ़ सरकार का कर्ज लगातार बढ़ते ही जा रहा है. राज्य सरकार ने पिछले तीन साल में 51 हजार 194 करोड़ रुपए कर्ज लिया है. वहीं कर्ज का ब्याज चुकाने के लिए सरकार को अपने बजट का एक बड़ा हिस्सा चुकाना पड़ रहा है. इसका खुलासा सोमवार को विधानसभा के शीतकालीन सत्र में बीजेपी विधायक अजय चंद्राकर के सवाल पर सीएम भूपेश बघेल ने लिखित जवाब दिया है.

सरकार ने विभिन्न बैंकों से लिया कर्ज
दरअसल राज्य सरकार ने 1 दिसंबर 2018 से 31 अक्टूबर 2021 तक 51 हजार 194 हजार करोड़ कर्ज लिया है. अब तक प्रदेश सरकार ने 15 हजार 500 करोड़ रुपए का ब्याज व 8 हजार करोड़ रुपए का मूलधन जमा किया है. विवरण में बताया गया है कि राज्य सरकार ने पिछले 3 साल में आरबीआई से 39 हजार 80 करोड़ कर्ज लिया. राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक से 2 हजार 703.96 करोड़ रुपए कर्ज लिया. केंद्र सरकार के माध्यम से एशियन डेवलपमेंट कर्ज, विश्व बैंक, जी एस टी और अन्य कर्ज को मिलाकर 9 हजार 410.21 करोड़ रुपए सरकार ने कर्ज लिया है.

राजस्व से ज्यादा कर्ज
सरकार के ऊपर बढ़ते कर्ज के भार पर विधानसभा नेताप्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार के पास विकास के नाम पर पैसे नहीं हैं. राजस्व से अधिक खर्चें हैं यह साबित करता है कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार आमदनी अठ्ठनी, खर्चा रुपए के तर्ज पर चल रही है. उन्होंने आगे कहा कि इन 36 महीनों में देखा जाए तो प्रदेश सरकार ने औसतन 1400 करोड़ रुपए हर माह, 48 करोड़ रुपए हर दिन हर घंटे 2 करोड़ रुपए और हर मिनट 3 लाख रुपए तक कर्ज ले चुकी है. यह कुल राजस्व का 106 प्रतिशत है. यह बेहद ही चिंताजनक है कि प्रदेश की सरकार राजस्व की बढ़ोतरी के लिए कुछ भी नहीं कर रही है और पूरा प्रदेश कर्ज में डूबता जा रहा है.

विरासत में मिला था 40 हजार करोड़ का कर्ज
बीजेपी के आरोप पर छत्तीसगढ़ कांग्रेस के संचार विभाग प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने आम आदमी के सशक्तिकरण के लिए कर्ज लिया. किसानों के लिए सरकार ने 80 हजार करोड़ रूपया खर्च किया है. कांग्रेस सरकार का उद्देश्य किसानों और आम आदमी का सशक्तिकरण करना है. बीजेपी की रमन सरकार ने हमें विरासत में 40 हजार करोड़ कर्ज दिया. जब राज्य स्थापना के समय कांग्रेस सरकार थी तब सरकार के पास 3 हजार करोड़ रुपए का कर्ज था. बीजेपी ने नए राजधानी में फिजूल खर्च किया. स्काई वॉक और एक्सप्रेस-वे में खर्च किया जिसका कोई औचित्य नहीं है.

चुनावी लाभ के लिए रेवड़ी बांट रही
इधर अर्थशास्त्री प्रो. अजय चंद्राकर ने बढ़ते कर्ज को लेकर कहा कि आरबीआई ने हर राज्य को कर्जा लेने का लिमिट तय कर दिया है. इसी के अनुसार सभी राज्य लोन ले रहे हैं. लेकिन समस्या ये है कि सरकारें किसी भी प्रोजेक्ट को टाइम में पूरा नहीं करते हैं. इसके चलते लागत बढ़ जाता है. वर्तमान राजनीति में देखा जा रहा है कि राजनीतिक पार्टी चुनावी लाभ के लिए रेवड़ी बांट रही है. इससे बजट की बहुत बड़ी राशि ब्याज में निकल जाती है. 


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