बस्तर: छत्तीसगढ़ के सरकार कर्मचारियों ने अपनी दो सूत्रीय मांगों को लेकर सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की है. फेडरेशन की अपील पर करीब 40 साल बाद छत्तीसगढ़ न्यायिक कर्मचारी संघ ने भी महंगाई भत्ता और एचआरए को लेकर आंदोलन शुरू किया है. संघ का कहना है कि मांगें पूरी होने तक अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रहेगी. इससे न्यायालय का काम भी पूरी तरह से प्रभावित होगा.
न्यायालय के कर्मचारियों के अनिश्चितकालीन आंदोलन से अंजान ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग न्यायालयों में पहुंच रहे हैं, लेकिन हड़ताल की वजह से उन्हें वापस जाना पड़ रहा है. यही स्थिति सभी सरकारी कार्यालयों की भी है. लोग अपने काम को लेकर शासकीय कार्यालय पहुंच रहे हैं, लेकिन उन्हें यहां से खाली हाथ वापस लौटना पड़ रहा है.
बस्तर संभाग में कितने सरकारी कर्मचारी हैं
इस अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन के करीब 95 हजार कर्मचारी बस्तर संभाग में हैं. ये सभी सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं तब तक वह अपनी हड़ताल जारी रखेंगे.जुलाई में भी अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन ने पांच दिन की हड़ताल की थी, लेकिन उनकी मांगों पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया. इसके बाद वो अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं.
न्यायालयों में नहीं हुई सुनवाई
बस्तर न्यायिक कर्मचारी संघ के जिला सचिव राकेश तिवारी ने बताया कि 40 साल बाद ऐसा हुआ है कि जब न्यायालय के पूरे कर्मचारी हड़ताल पर बैठे हुए हैं. उनकी सिर्फ दो सूत्रीय मांग है.उन्होंने कहा कि कर्मचारी महंगाई भत्ता (डीए) बढ़ाने और एचआरए की मांग कर रहे हैं. हड़ताल के पहले ही दिन न्यायालय के सभी कर्मचारियों ने न्यायालय के सभी कमरों में ताला लगा दिया. इससे किसी भी कोर्ट में कोई सुनवाई नहीं हुई. कर्मचारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं तब तक न्यायालय के कमरों का ताला नहीं खोला जाएगा और ना ही कोई सरकारी कर्मचारी काम करेगा. कर्मचारियों की इस हड़ताल से न्यायालय में सुनवाई संबंधी व्यवस्था चरमरा गई है.
ये भी पढ़ें