Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के बस्तर में सरकार की महत्वकांक्षी योजनाओं में से एक नरवा गरुवा धुरवा बाड़ी के तहत बनाई गई गौठाने शो पीस बनकर रह गई हैं. लाखों रुपए की लागत से गौठाने तो बनाए गए हैं लेकिन पशुओं के अभाव में बस्तर के अधिकांश गौठाने सूने पड़े हैं. शासन ने लाखों रुपये खर्च कर इन गौठानों का निर्माण तो कर दिया है. लेकिन पशु मालिक इन गौठानो में अपने पशु नहीं ला रहे हैं. जिले के कई गौठानों में न पानी की व्यवस्था है और न ही अब तक शेड का निर्माण हुआ है. जिस वजह से यहां पशुओं के लिए किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं है. जिले के सभी गौठानों में पानी की टंकी तो बना दी गई है. साथ ही गोबर से वर्मी कंपोस्ट तैयार करने के लिए गड्ढे तो खोद दिए गए हैं लेकिन यहां पशु ही नहीं पहुंच पाने की वजह से अधिकतर गौठानों का हाल बेहाल हो चुका है.


जानें गौठानों में है किस तरह की अव्यवस्था? 


दरअसल बस्तर जिले में मनरेगा योजना के 180 से अधिक गौठाने बनाए गए हैं और इनमें एक-एक गौठान की लागत लगभग 8 लाख रुपये से 10 लाख रुपए है. आदर्श मॉडल गौठान की कीमत 10 लाख रुपये से भी अधिक है. इन गौठानों की देखरेख के लिए बकायदा समूह के साथ-साथ जनपद के अधिकारी और कर्मचारियों को भी जिम्मा सौंपा गया है, लेकिन आलम यह है कि जिले के कई गौठानों में अब तक एक बार भी मवेशी नहीं पहुंच पाए हैं. इसके पीछे वजह है इन गौठानों में मवेशियों के लिए किसी प्रकार की सुविधा ना होना, जिले के कई गौठान में पानी टंकी तो बनाए गए हैं लेकिन यहां पानी की व्यवस्था नहीं है, साथ ही अब तक शेड निर्माण भी नहीं किया गया है, और कही शेड भी बनाये गए हैं वो भी अधूरे पड़े हैं.  इस वजह से किसान अपने पशुओं को इन गौठानों में रखना पसंद नहीं करते.


विपक्ष ने लगाया भ्रष्टाचार का आरोप


दरअसल, शासन की योजना थी कि पशुओं को इन गौठानों में रखकर उनकी देखभाल के साथ गोबर बेचकर समूह की महिलाओं को रोजगार मिलने के साथ अच्छी आय हो सके, लेकिन जिले के कुछ गौठानों को छोड़ अंदरूनी क्षेत्र के कई गौठानों में सुविधा नहीं होने की वजह से पशुओं के अभाव में गौठान सुनसान पड़े हैं. अब विपक्ष ने भी इस योजना को बस्तर में पूरी तरह से फेल बताया है. भाजपा के प्रवक्ता संजय पांडे ने कहा कि  सरकार ने महत्वकांक्षी योजना बताकर लाखों रुपए खर्च कर जिले में सैकड़ों गौठान तो बना लिया है, लेकिन यहां किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. गौठान बनाने के नाम पर अधिकारी और जनप्रतिनिधियों ने केवल जनता के पैसों का दुरुपयोग किया है. 


जानें क्या कहते हैं बस्तर कलेक्टर रजत बंसल?


गौरतलब है कि गौठानों के जरिए पूरे गांव से गोबर कलेक्शन कर वर्मी कंपोस्ट तैयार करने के बाद इसकी पैकेजिंग कर इसे कृषि विभाग को बिक्री करने की योजना भी शुरू की गई है. लेकिन बस्तर के ऐसे कई गौठानों में मवेशी नहीं होने की वजह से गोबर बिक्री भी नहीं हो पा रही है. जिसका कोई फायदा अंदरूनी क्षेत्र के ग्रामीणों को मिलता नहीं दिख रहा है... हालांकि बस्तर कलेक्टर रजत बंसल कहना है कि  जिले में कुछ गौठानों के काम अधूरे हैं और इन्हें जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश सभी जनपद के अधिकारियों को दिये गए हैं, कलेक्टर ने कहा कि इन गौठानों में ग्रामीण महिलाओं को रोजगार उपलब्ध हो सके और पानी की सुविधा से हरी सब्जी, मशरूम उत्पादन जैसे अनेक कार्य कर सके इसके लिए भी ट्रेनिंग दी जा रही है. जहां भी गौठानों में अव्यवस्था की शिकायत मिल रही है वहां व्यवस्था सुधारने के लिए कहा जा रहा है.


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