Surguja News: सरगुजा (Surguja) संभाग में शिक्षकों की पदोन्नति के बाद काउंसिलिंग के माध्यम से दूसरे स्कूलों में पदस्थापना को लेकर भारी भ्रष्टाचार का मामला सामने आने के बाद इस संबंध में संभागायुक्त द्वारा जांच कराई कराई गई. इसके बाद शासन को प्रेषित रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करते हुए सरकार ने सरगुजा संभाग के शिक्षा विभाग के संयुक्त संचालक को निलंबित कर दिया है.


सहायक शिक्षक (एलबी) से प्रधान पाठक (प्राथमिक शाला) इसके बाद शिक्षक और शिक्षक एलबी से प्रधान पाठक (पूर्व माध्यमिक शाला) के पद पर पदोन्नति पश्चात पदस्थापना ओपन काउंसलिंग के माध्यम से किए जाने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग के द्वारा प्रदेश के समस्त संयुक्त संचालक और जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया गया था. इस पर संभागीय संयुक्त संचालक (शिक्षा) सरगुजा अम्बिकापुर के द्वारा भी शिक्षकों के पदोन्नति उपरांत पदस्थापना के लिए काउंसलिंग करते हुए पदस्थापना आदेश जारी किए गए थे. 


टीम बनाकर जांच कराई गई
उक्त पदस्थापना आदेश और काउंसलिंग के बाद पदोन्नति उपरांत शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों के साथ ही प्रशासन को पदस्थापना आदेश में संशोधन किए जाने और इसके एवज में भारी भ्रष्टाचार किए जाने की शिकायत भी मिली थी. इस शिकायत की सरगुजा संभागायुक्त द्वारा तीन सदस्यीय टीम बनाकर जांच कराई गई. इसकी जांच रिपोर्ट शासन को प्रेषित कर दी गई थी. इस जांच में पाया गया था कि संभागीय संयुक्त संचालक (शिक्षा) कार्यालय सरगुजा द्वारा 22 मार्च 2023 को पदोन्नति के लिए डी.पी.सी. आहूत किया गया.


ओपन काउंसलिंग में शिक्षकों को बुलाया गया
इसमें शिक्षक से प्रधान पाठक पूर्व माध्यमिक के पद पर ओपन काउंसलिंग के माध्यम से पदस्थापना के लिए 1030 शिक्षकों को बुलाया गया था. जिसमें 802 उपस्थित, 61 अनुपस्थित और 167 ने पदोन्नति लेने से इंकार किया. इस प्रकार कुल उपस्थित और अनुस्थित 863 शिक्षक से प्रधान पाठक के पद पर पदोन्नति आदेश जारी किए गए. इसी प्रकार शिक्षक एलबी से प्रधान पाठक के पद पर पदोन्नति ओपन काउंसिलिंग के लिए विषयवार ई/टी संवर्ग के 1967 सहायक शिक्षकों को आहूत किया गया.


 37 ने पदोन्नति लेने से इंकार किया
इसमें से 1869 उपस्थित, 61 अनुपस्थित और  37 ने पदोन्नति लेने से इंकार किया गया. इस प्रकार कुल उपस्थित और अनुपस्थित 1930 सहायक शिक्षकों के पदोन्नति आदेश जारी किए गए. आरोप था कि ओपन काउंसिलिंग के माध्यम से उक्त पदोन्नति आदेश जारी किए जाने के बाद पदोन्नत शिक्षक 316 और पदोन्नत प्रधान पाठक के कुल 69 के साथ 385 के पदोन्नति आदेश में शासन के आदेश और निर्देश के विपरीत संशोधित आदेश जारी किया गया था. 


संभागायुक्त द्वारा गठित जांच टीम ने अपनी जांच में पाया था कि पदोन्नति नस्ती में काउंसिलिंग के बाद 863 शिक्षक से प्रधान पाठक पद पर और 1930 सहायक शिक्षक से शिक्षक पद पर टी/ई का अलग-अलग संवर्गवार और पदवार एकजाई पदोन्नति आदेश जारी न कर पृथक-पृथक व्यक्तिगत रूप से पदस्थापना संबंधी आदेश जारी किए गए हैं. जिससे उनकी वरिष्ठता सूची प्रभावित हो सकती है. इसके अलावा पदोन्नति नस्ती में कुल 2793 शिक्षकों की पदोन्नति और पदस्थापना की गयी है, जबकि जावक पंजी में 2767 पदोन्नति आदेश जारी किए जाने की प्रविष्टि दर्ज है. 


 पदस्थापना संबंधी आदेश जारी किया गया
इस प्रकार 26 पदोन्नति आदेशों को जारी किए जाने की प्रविष्टि जावक पंजी में दर्ज ही नहीं है. सरगुजा संभाग में कुल 2793 शिक्षकों की काउंसिलिंग में उनकी सहमति लेकर पदोन्नति उपरांत पदस्थापना आदेश जारी होने के बाद पुन: 385 शिक्षकों/प्रधान पाठकों के पदस्थापना संबंधी आदेश जारी किया गया. जिसमें की शासन के आदेश का पालन नहीं किया गया. संभागीय कार्यालय में पदोन्नति पूर्व एकल शिक्षकीय व शिक्षक विहीन शालाओं की संख्या 338 थी, लेकिन पदोन्नति आदेश में संशोधन के बाद भी विद्यालय एकल शिक्षकीय और शिक्षक विहीन ही रहे, जिसका ध्यान नहीं रखा गया.


किया गया निलंबित
इस प्रकार 2793 सहायक शिक्षक/प्रधान पाठक के पद से पदोन्नति उपरांत 385 शिक्षक/प्रधान पाठक के पदस्थापना स्थान में संशोधन कर शासन के निर्देश के विपरीत अनियमितता जांच में पाई गई. जिसके लिए हेमंत उपाध्याय प्रभारी संयुक्त संचालक, सरगुजा अम्बिकापुर (मूल पद- उप संचालक) के द्वारा अवैधानिक रूप से पैसों की लेन-देन कर भारी भ्रष्टाचार किए जाने की पुष्टि मानते हुए शासन ने इसे छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के नियम-3 के विपरीत गंभीर कदाचार के कारण तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए उन्हें मुख्यालय लोक शिक्षण संचालनालय नया रायपुर में नियत कर दिया गया है.


बाकियों पर कब होगी कार्रवाई
इस भ्रष्टाचार में केवल प्रभारी संयुक्त संचालक ही नहीं बल्कि कार्यालय के अन्य कर्मचारियों के भी शामिल होने और भ्रष्टाचार की राशि का बंदरबांट करने का आरोप भी लगा है, क्योंकि बिना कर्मचारियों की मिलीभगत के इतने बड़े पैमाने पर किया गया भ्रष्टाचार होना संभव नहीं दिखता है. आरोप है कि एक-एक सहायक शिक्षक और  शिक्षक से संशोधन आदेश के एवज में लाखों रूपये लिए गए हैं. ऐसे में अकेले एक अधिकारी इसे हजम करने की हिम्मत नहीं रखता है. इसमें करोड़ों का खेल हुआ है और अन्य भ्रष्ट अभी भी यहां डटे हुए हैं जिन्हें की यहां से हटाना आवश्यक है. 


शासन द्वारा सहायक शिक्षकों और शिक्षकों के पदोन्नति उपरांत पदस्थापना में हुए भ्रष्टाचार को तो सही मानते हुए कार्रवाई कर दी गई, लेकिन इस भ्रष्टाचार के कारण जारी संशोधन आदेशों को लेकर अभी तक कोई आदेश जारी नहीं हुआ है. जबकि इन संशोधन आदेशों को शासन के नियमों के विपरीत माना गया है. ऐसे में भ्रष्ट अधिकारी को तो निलंबित कर दिया गया. परन्तु उनके भ्रष्टाचार के कारण जारी संशोधन आदेश अभी भी मान्य हैं, जिसे निरस्त करने की मांग भी उठ रही है.


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