Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बस्तर में मौजूद शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय में बदलने के लिए प्रदेश की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने आगाज कर दिया है और छत्तीसगढ़ के बस्तर के साथ-साथ सरगुजा में भी केंद्रीय विश्वविद्यालय खोलने की सहमति दे दी है और इसके लिए उन्होंने जल्द ही बस्तर विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा तैयार किए जाने वाले प्रपोजल पर देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से मांग करने की बात कही है.


दरअसल अपने बस्तर प्रवास के दूसरे दिन राज्यपाल शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय के तृतीय दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं,और यहां विभिन्न सेमेस्टर परीक्षाओं में प्रथम आने वाले उत्कृष्ट 95 छात्र छात्राओं को गोल्ड मेडल से सम्मानित किया. राज्यपाल ने बस्तर संभाग में बढ़ते छात्रों की संख्या को देखते हुए जल्द ही महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय में बदलने के लिए पहल करने की बात कही.


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विदेशों में पढ़ रहे बस्तर के छात्र बस्तर में ही दें सेवा


दरअसल कोरोनाकाल के चलते बीते 3 सालों बाद हुए इस दीक्षांत समारोह में बड़ी संख्या में कॉलेज के छात्र छात्राएं मौजूद रहे. इस दौरान मंच को संबोधित करते हुए राज्यपाल अनुसुइया उइके ने कहा कि बस्तर के आदिवासी छात्र छात्राओं के साथ साथ शहरी छात्र-छात्राएं भी यूनिवर्सिटी खुलने के बाद उच्च शिक्षा ले रहे हैं साथ ही अपने उत्कृष्ट पढ़ाई से बस्तर और प्रदेश का भी नाम रोशन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि बस्तर के भी छात्र यूनिवर्सिटी से पास आउट होकर विदेशों में मेडिकल शिक्षा के साथ अन्य विषयों की भी शिक्षा ले रहे हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि वे चाहती हैं कि जितने भी बस्तर के छात्र छात्राएं विदेशों में पढ़ाई पूरी कर वापस लौट रहे हैं वे बस्तर में ही नौकरी कर यहां रहकर सेवाएं दे ताकि बस्तर के लोगों का हित हो सके.


बस्तर में घट रही नक्सलियों की संख्या 


वहीं राज्यपाल ने नक्सलवाद के मुद्दे पर कहा कि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा पिछले कई सालों से अच्छा प्रयास किया जा रहा है और इसी का नतीजा है कि बड़ी संख्या में नक्सली आत्मसमर्पण कर सरकार के मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं, ऐसे में लगातार नक्सलियों की संख्या भी बस्तर में कम होते जा रही है.


वहीं सालों से छत्तीसगढ़ के केंद्रीय जेलों में नक्सल मामले और अन्य मामलों में बंद निर्दोष ग्रामीणों की रिहाई के सवाल पर राज्यपाल ने कहा कि इसके लिए पटनायक कमेटी बनी है और सेशन कोर्ट द्वारा ही इसकी सुनवाई होती है, हालांकि उन्होंने चीफ जस्टिस को पत्र लिखा है और पटनायक कमेटी में पेश किए गए सभी रिपोर्ट के आधार पर जल्द से जल्द ग्रामीणों को रिहा करने की बात लिखी है.


अस्पताल में स्टाफ की कमी से राज्यपाल नाराज


इसके अलावा राज्यपाल ने बस्तर में लचर स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर कहा कि लगातार उनके पास भी शिकायत आती रहती हैं, हालांकि अस्पताल के लिए करोड़ों रुपए का स्ट्रक्चर जरूर निर्माण कर लिया गया है लेकिन स्टाफ की कमी है, जिस वजह से बेहतर स्वास्थ्य सुविधा यहां के लोगों को नहीं मिल पा रही है, उन्होंने कहा कि यहां पर MBBS डॉक्टरों की भर्ती की आवश्यकता है और फिलहाल पूरे देश में डॉक्टर की कमी बनी हुई है, उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि बस्तर से जो बच्चे मेडिकल शिक्षा लेकर बाहर से आ रहे हैं वे ही यहां अपनी सेवा दे तो काफी अच्छा रहेगा.


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