Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में आदिवासी आरक्षण कटौती पर राजनीतिक घमासान मचा हुआ है. इसपर जमकर राजनीतिक बयानबाजी भी हो रही है. इसी बीच राज्यपाल अनुसुईया उईके ने इस मामले में चिंता जताई है. इसके लिए उन्होंने राज्य सरकार को एक पत्र लिखा है. आरक्षण बहाली के लिए सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदम की जानकारी मांगी है.


राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
दरअसल, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अनुसूचित जनजातियों के आरक्षण प्रतिशत में आई कमी के संबंध में राज्यपाल ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखा है. इस दिशा में शासन द्वारा की गई कार्यवाही के बारे में जानकारी मांगी है. राज्यपाल ने आरक्षण बहाली के लिए सरकार द्वारा अब तक की गई कार्यवाही की तत्काल जानकारी मांगी है. इसके अलावा राज्यपाल ने अपने पत्र में ये भी कहा है कि जनजातीय समाज में असंतोष है और कानून व्यवस्था की स्थिति निर्मित हो रही है. जनजातीय बाहुल्य प्रदेश होने के कारण बतौर राज्यपाल जनजातीय हितों का संरक्षण करना मेरी जिम्मेदारी है. साथ ही संविधान की मूल भावना को बनाए रखना भी सर्वोच्च प्राथमिकता है.


राज्यपाल के पत्र पर सियासत शुरू
राज्यपाल के पत्र लिखने पर छत्तीसगढ़ में सियासत शुरू हो गई है. बीजेपी ने कांग्रेस सरकार पर हमला बोला है. बीजेपी मीडिया प्रभारी अमित चिमनानी ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने आदिवासियों का आरक्षण छीना है. इस लिए राज्यपाल चिंतित है. उन्होंने मुख्यमंत्री से पूछा अबतक क्या हुआ है. सरकार इसपर जरूर जवाब दें. सबको पता है जो आदिवासी आरक्षण के लिए कोर्ट में गए उसी को राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया. सरकार चाहती थी आरक्षण चला जाए. ये आदिवासियों के साथ किया गया छल है जो अक्षम्य अपराध है. वहीं इसके जवाब में कांग्रेस ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है.


कांग्रेस आदिवासियों का हक दिलाने के लिए कटिबद्ध
कांग्रेस पार्टी ने दावा किया है कि हमारी सरकार आदिवासियों को उनका हक दिलाकर रहेगी. कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि हमारी पार्टी आदिवासियों को आरक्षण देने के लिए कटिबद्ध है. हाई कोर्ट में आरक्षण कटौती हुई इसके लिए पूर्वर्ती रमन सरकार की लापरवाही है. ननकीराम कंवर कमेटी की रिपोर्ट को बीजेपी ने क्यों छुपाया. बीजेपी को इसका जवाब देना चाहिए. हमारी सरकार सुप्रीम कोर्ट गई है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा आवश्यकता पढ़ने पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाएंगे. हर संवैधानिक पहलू पर विचार किया जाएगा.


12 प्रतिशत घट गया आदिवासी आरक्षण
गौरतलब है कि बिलासपुर हाई कोर्ट ने 19 सितंबर को राज्य में 58 प्रतिशत आरक्षण को रद्द करने का फैसला सुनाया था. इसके बाद अब 2011 की स्थिति के आधार पर आरक्षण व्यवस्था बन गई है. इसके अनुसार एसटी आरक्षण वर्तमान में 32 प्रतिशत था जो अब 12 प्रतिशत घट कर 20 प्रतिशत हो गया है. ओबीसी 14 प्रतिशत और एससी का आरक्षण 13 से बढ़कर 16 प्रतिशत हो गया है. इस लिए छत्तीसगढ़ में घमासान मचा हुआ है.



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