Dimrapal hospital: बस्तर संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में घोर लापरवाही का मामला सामने आया है. यहां रखरखाव के अभाव में 50 लाख रु की मशीन कबाड़ हो गई है. आलम यह है कि यहाँ  इलाज के लिए पहुंच रहे  मरीजों को अस्पताल में होने वाली सभी टेस्ट असप्ताल के बाहर ज्यादा कीमतों में करानी पड़ रही है. दरअसल कुछ साल पहले डीमरापाल के अस्पताल में फूली ऑटो एनालाइजर मशीन लाई गई थी जिसकी कीमत लगभग 50 लाख रु है. करीब 2 साल काम करने के बाद यह मशीन खराब हो गई. जिसके बाद पिछले 4 सालों से यह मशीन मेंटेनेंस के अभाव में धूल खा रही है. जिससे लाखों रुपए की लागत की यह मशीन अब उपयोग में नहीं आ पा रही है.


जिसकी वजह से इस मशीन को बनाने के लिए इंजीनियर को पत्र लिखे जाने की बात कही जा रही है लेकिन मशीन को बनाने  कोई नहीं आ रहा है. और ना ही अस्पताल  प्रबंधन इसके लिए गंभीर नजर आ रहा है. दरअसल इस मशीन के माध्यम से एक बार में 800 टेस्ट एक बार में किए जा सकते हैं .ऐसे में इस मशीन के खराब होने से बस्तरवासियों को इसका  खामियाजा भुगतना पड़ रहा है और सभी छोटे-बड़े जांच प्राइवेट अस्पतालों में या लैब में कराना पड़ रहा है. जिस वजह से उन्हें आर्थिक  दिक्कत भी हो रही है.


इंजीनियर को लिखा गया है पत्र


डिमरापाल अस्पताल अधीक्षक अनूरुप साहू ने बताया कि ईलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों के उपचार के लिए ब्लड टेस्ट और अन्य जांच के उद्देश्य से 2014 में बायो केमिस्ट्री लैब में सीजीएमएससी के तहत करीब 50 लाख रुपए की लागत से फुली ऑटो एनालाइजर मशीन लाई गई थी. नई टेक्नोलॉजी के इस मशीन से रोगियों को समय पर जांच रिपोर्ट मिल सके इसके लिए  अस्पताल में मशीन को लाया गया था. लेकिन मशीन पिछले 4 सालों से खराब पड़ी हुई है इसे ठीक करने के लिए  कंपनी के इंजीनियर को पत्र भी लिखा जा चुका है लेकिन अब तक वहां से किसी तरह की कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई  है. हालांकि वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर कुछ टेस्ट सेमी ऑटो एनालाइजर मशीन से अस्पताल में किए जाने की व्यवस्था की गई है. लेकिन फूली ऑटो मशीन के खराब होने से निश्चित तौर पर मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. और अपनी जांच रिपोर्ट के लिए कई घंटों या फिर 1 या 2 दिन  तक इंतजार करना पड़ रहा है.


बाहर से जांच कराने के लिए मरीज हैं मजबूर


इधर जानकारी के मुताबिक इस मशीन से  लिवर. किडनी. हृदय रोग. शुगर यूरिया .क्रिटीनिट. एसजीओटी. एसजीपीटी सीरम विलड्रोन सहित कई बीमारियों की जरूरी जांच की जा सकती है. और लैब के कर्मचारियों को भी इस राहत मिलती है.  वही मरीजों को अपनी जांच रिपोर्ट पाने के लिए घंटों इंतजार भी नहीं करना पड़ता है.  


जानकारों के मुताबिक मशीन से बायो केमिस्ट्री के अंतर्गत आने वाली सभी जांच होती है और इस मशीन से जांच रिपोर्ट कंप्यूटर की स्क्रीन पर नजर आती है. इस मशीन के खराब होने से अस्पताल में  व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है. वहीं जानकारों का कहना है कि महारानी अस्पताल में पूरे संभाग भर से मरीज इलाज के लिए आते हैं और हर रोज 200 से ढाई सौ रोगियों की जांच की जाती है. ऐसे में मशीन के खराब होने से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.