छत्तीसगढ़ के बस्तर में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए हर साल करोड़ों रुपए खर्च करने का दावा किया जाता है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही हैं. बस्तर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूली शिक्षा का काफी बुरा हाल है. कई बच्चे जर्जर स्कूल में अपना भविष्य गढ़ने को मजबूर है तो वही कई स्कूल एक ही शिक्षक के भरोसे संचालित हो रही है. जिले के दरभा ब्लॉक के छिंदवाड़ा पंचायत में भी कावारास गांव में संचालित प्राथमिक शाला में अव्यवस्थाओं का आलम है, एक ही छत के नीचे पहली से लेकर पांचवी तक कक्षाएं संचालित हो रही हैं.


वहीं इस स्कूल में पढ़ने वाले करीब 90 बच्चे एक ही शिक्षक के भरोसे है. हालांकि शिक्षा विभाग के द्वारा स्कूल मरम्मत करने की बात कही जा रही है लेकिन बारिश के मौसम में एक  छत के नीचे 90 बच्चे बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं.


एक शिक्षक के भरोसे संचालित हो रहा स्कूल 


नए शिक्षा सत्र में स्कूल  खुलने के साथ ही पूरे प्रदेश में शाला प्रवेश उत्सव धूमधाम से मनाया गया लेकिन इस उत्सव के बाद सभी जिम्मेदारों ने बच्चों के भविष्य को लेकर उनके स्कूलों की हालत को लेकर और शिक्षकों की कमी को लेकर अपना पल्ला झाड़ लिया. इसका खामियाजा अब छोटे-छोटे मासूम बच्चे भुगत रहे हैं. बस्तर जिले का दरभा ब्लॉक नक्सल प्रभावित क्षेत्र माना जाता है, यहां के ग्रामीण बच्चों को स्कूली शिक्षा देना प्रशासन की पहली जिम्मेदारी है. लेकिन स्कूलों की हालत को देखकर और लाचार शिक्षा व्यवस्था की वजह से बच्चों को बेहतर शिक्षा नहीं मिल पाती है.


छिंदवाड़ा पंचायत के कावारास में प्राथमिक शाला संचालित हो रहा है हालांकि इस स्कूल की हालत को देखते हुए मरम्मत का कार्य शुरू किया गया है. लेकिन जर्जर भवन की मरम्मत के लिए पिछले कई महीनों से काम चल रहा है. स्कूल में अधीक्षक लखमु राम मौर्य के अलावा इकलौते शिक्षक थबीर कश्यप यहां पहली से पांचवी तक के बच्चों को एक ही छत के नीचे एक ही कमरे में पढ़ा रहे हैं. अधीक्षक लखमु राम मौर्य का कहना है कि कई महीने पहले जर्जर स्कूल के मरम्मत के लिए भवन को तोड़कर  सुधार कार्य किया जा रहा है. लेकिन स्कूल शुरू होने के 2 महीने बाद भी अब तक बच्चों के सिर पर छत नसीब नहीं हो पाया है.


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ऐसे में एक ही कमरे में सभी 90 बच्चों को एक ही शिक्षक पढ़ा रहे हैं. मौर्य ने बताया कि इस मामले को लेकर शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों को भी जानकारी दी गई, लेकिन इस और कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं, जिसके चलते इस स्कूल में  इन बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षक की कमी कई वर्षों से बनी हुई है. इधर पहली से लेकर पांचवी तक के बच्चों को एक साथ पढ़ाने में शिक्षक थबीर कश्यप को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. उनका कहना है कि सभी बच्चे पढ़ाई के लिए अपना फोकस एक साथ नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्राथमिक शाला में एक ही शिक्षक और एक ही कमरे में कक्षा पहली से लेकर पांचवी तक कक्षा संचालित होने की जानकारी ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर को भी दिया जा चुका है. लेकिन अब तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है. वहीं गांव के ग्रामीण और बच्चों के पालकों ने भी इस परेशानी को देखते हुए कई बार प्रशासन के बड़े अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा है. अब तक इस मामले में प्रशासन की ओर से कोई पहल नहीं की गई है.


जिले में शिक्षको की बनी हुई है कमी 


इधर इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी भारती प्रधान का कहना है कि स्कूल जतन योजना के तहत जिले के जर्जर स्कूल भवनों के मरम्मत का कार्य करवाया जा रहा है. दरभा ब्लॉक में भी कई स्कूल भवनों के मरम्मत का कार्य किया जा रहा है. अब तक कार्य पूरा हो जाना था. लेकिन आखिर लेटलतीफी क्यों बरती जा रही है, इसकी जानकारी संबंधित ठेकेदार से ली जा रही है. उन्होंने कहा कि जिले के कई स्कूलों में एकल शिक्षक की समस्या है, इसको लेकर शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों को भी पत्र लिखा जा चुका है.