Chhattisgarh HC Ask CBI To Probe A Case: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने महासमुंद (Mahasamund) जिले में एक परिवार की हत्या मामले की जांच सीबीआई (CBI) से कराने का आदेश दिया है. उच्च न्यायालय के अधिवक्ताओं ने शनिवार को बताया कि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की सिंगल बेंच ने शुक्रवार को महासमुंद जिले में एक परिवार की हत्या मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया है. अधिवक्ताओं ने बताया कि 30-31 मई 2018 की दरमियानी रात महासमुंद जिले के किशनपुर गांव में योगमाया साहू (30), उनके पति चैतन्य साहू (31) और बेटों-कुणाल साहू (9) व तन्मय साहू (7) की हत्या कर दी गई थी.


उप स्वास्थ्य केंद्र के परिसर में 4 लोगों की हुई थी हत्या


योगमाया गांव के उप-स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत थीं. वह उप स्वास्थ्य केंद्र के परिसर में अपने परिवार के साथ रहती थीं, जहां इसके चारों सदस्यों की हत्या कर दी गई थी. अधिवक्ताओं के मुताबिक, इस मामले में पुलिस ने गांव के धर्मेंद्र बरिहा को गिरफ्तार किया था, लेकिन परिवार के मुखिया और चैतन्य के पिता बाबूलाल साहू पुलिस की जांच से संतुष्ट नहीं थे तथा उन्होंने आरोपी का नार्को टेस्ट कराने की मांग की. अधिवक्ताओं ने बताया कि बाद में पुलिस ने आरोपी का नार्को टेस्ट कराया था और इसमें गांव के तत्कालीन सरपंच सुरेश खुंटे, फूल सिंह यादव, गौरी शंकर केंवट और रामपुर के अखंडल प्रधान का नाम सामने आया था.


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सीबीआई जांच की उठ रही थी मांग


उन्होंने बताया कि इसके बाद पुलिस ने सभी को अप्रैल 2019 में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. अधिवक्ताओं के अनुसार, वर्तमान में सभी आरोपी जेल में बंद हैं और मामला जिला न्यायालय में विचाराधीन है. उन्होंने बताया कि बाबूलाल सहित मृतकों के अन्य परिजन अभी भी पुलिस की जांच और कार्रवाई से संतुष्ट नहीं थे और वे जांच पर सवाल उठाते हुए मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग कर रहे थे. अधिवक्ताओं ने बताया कि बाद में बाबूलाल ने उच्च न्यायालय में अपने अधिवक्ता राघवेंद्र प्रधान के माध्यम से याचिका दायर की थी और इसमें मुख्य रूप से मामले की सीबीआई जांच की मांग की गई थी.


उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी की एकल पीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई और सभी पक्षों को सुनने के बाद 14 मार्च 2022 को अदालत ने मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था. शुक्रवार को न्यायालय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सीबीआई जांच का आदेश दे दिया. अधिवक्ताओं ने बताया कि उच्च न्यायालय ने सीबीआई को आदेश की प्रति प्राप्त होने की तिथि से चार माह के भीतर विधि अनुसार मामले की जांच करने का निर्देश दिया है.


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