Chhattigarh High Court: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने PSC 2021 में चयनित 18 अभ्यर्थियों के नियुक्ति पर लगाई रोक, बीजेपी ने लगाये ये आरोप
Chhattisgarh High Court in CG PSC: सीजी पीएससी 2021 के रिजल्ट में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए बीजेपी ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. बीजेपी की याचिका कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है.
CG PSC 2021 result Controversy: छत्तीसगढ़ में राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा में बीजेपी ने गड़बड़ी का आरोप लगाया है. सीजी पीएससी 2021 के रिजल्ट में गड़बड़ी की जांच के लिए बीजेपी हाईकोर्ट पहुंच गई है. बिलासपुर हाईकोर्ट ने बीजेपी नेता ननकी राम कंवर याचिका को स्वीकार कर लिया है. इसके अलावा इस मामले में 18 लोगों की लिस्ट भी चर्चा का विषय बन गई है. कोर्ट में पेश किए गए 2021 पीएससी में चयनित 18 अभ्यर्थियों के नियुक्ति को रोकने का कोर्ट ने आदेश भी जारी कर दिया है. इससे पूरे प्रदेश में हड़कंप मच गया है.
दरअसल, मंगलवार (19 सितंबर) को ननकी राम कंवर की याचिका पर चीफ जस्टिस रमेहा कुमार सिन्हा की डिविजन बेंच में सुनवाई हुई. शुरुआती सुनवाई के दौरान ही चीफ जस्टिस ने इस नियुक्ति पर हैरानी जताई है. उन्होंने केस पर बहस के दौरान कहा कि पीएससी सहित दूसरी संस्थानों में अधिकारी के बच्चों का चयन स्वाभाविक है, लेकिन ऐसा क्या संयोग है कि पीएससी के चेयरमैन के करीबी रिश्तेदारों का चयन हुआ है. यह बहुत गलत बात है. कोर्ट ने कहा कि इनकी नियुक्ति रोक दीजिए. डिविजन बेंच ने चेयरमैन, अधिकारी और रूलिंग पार्टी के नेताओं के रिश्तेदारों को 18 पदों पर मिली नियुक्ति पर जांच के आदेश दिए हैं.
'अधिरकारी और नेताओं के बच्चों को मिले बड़े पद'
पूर्व गृहमंत्री और बीजेपी ने नेता ननकी राम कंवर ने एडवोकेट संजय अग्रवाल के माध्यम से हाईकोर्ट में दायर याचिका में पीएससी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, 'पीएससी में अधिकारी और नेताओं के बेटे-बेटियों सहित रिश्तेदारों को डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी जैसे पद दिए गए है. भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी पर सवाल उठाते हुए कहा कि होनहार बच्चों को दरकिनार किया जा रहा है. अफसरों के रिश्तेदारों को अच्छा पद बांटा गया है, जिसका असर दूसरे प्रतियोगियों पर हुआ और उन्हें छोटे पद दिए गए है.
पीएससी 2021 के रिजल्ट में गड़बड़ी की होगी जांच
इस मामले में बुधवार (20 सितंबर) हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है. इस पर पीएससी की तरफ से भी अपना पक्ष रखा जाएगा. इसके बाद हाईकोर्ट मामले में अपना फैसला सुनाएगी. इसलिए राज्य के लाखों अभ्यर्थियों की नजर हाईकोर्ट के फैसले पर टिकी हुई है. बीजेपी के नेता हाईकोर्ट में सुनवाई ले बाद 18 लोगों की नियुक्ति को संदेह के घेरे में लेने को अपनी जीत मान रहे हैं. बीजेपी नेता उज्ज्वल दीपक ने कहा सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं. हाईकोर्ट ने 18 लोगों की नियुक्ति रोकने का आदेश दिया है, अब पीएससी घोटाले की जांच होकर ही रहेगी. वहीं कांग्रेस लगातार कहती आ रही है नियुक्ति में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है, उसने बीजेपी के आरोपों को मनगढ़ंत बताया है.
इन लोगों के नियुक्ति पर उठ रहे हैं सवाल
कोर्ट में पेश आरोप पत्र के मुताबिक चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी के पांच रिश्तेदारों की नियुक्ति सूची सौंपी गई है. इसमें बेटे नितेश की डिप्टी कलेक्टर के पद पर नियुक्ति हुई है. रिजल्ट में सरनेम छुपाया गया था. उनकी बहू निशा कोशले का भी डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयन हुआ है. उनके बड़े भाई के बेटे साहिल का चयन डीएसपी के पद पर हुआ है. इनका भी चयन सूची में सरनेम नहीं लिखा गया था. उनके भाई की बहु दीपा अजगले की नियुक्ति जिला आबकारी और बहन की बेटी सुनीता जोशी को श्रम अधिकारी बनाया गया है.
इसी तरह राज्यपाल के सचिव अमृत खलको की बेटी नेहा खलको और बेटे निखिल खलको को भी डिप्टी कलेक्टर के पद पर नियुक्त किया गया है. कांग्रेस नेता के ओएसडी के रिश्तेदार की बेटी प्रज्ञा नायक और बेटे प्रखर नायक को डिप्टी कलेक्टर के पद पर नियुक्त किया गया है. कांग्रेस के नेता सुधीर कटियार के दामाद शशांक गोयल और बहु भूमिका कटियार को डिप्टी कलेक्टर के पद पर नियुक्ति दी गई है. इसके अलावा कांग्रेस नेता के ओएसडी के साढू भाई की बेटी खुशबू बिजौरी को भी डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयनित किया गया है. कांग्रेस नेता राजेंद्र शुक्ला की बेटी स्वर्णिम शुक्ला को डिप्टी कलेक्टर का पद मिला है. इन सभी नियुक्तियों को लेकर हाईकोर्ट में बीजेपी ने गड़बड़ी का आरोप लगाया है.
पीएससी 2021 के रिजल्ट पर विवाद जारी
गौरतलब है कि पीएससी 2021 का अंतिम परिणाम 11 मई को जारी हुआ. इसमें 171 पदों पर पीएससी ने भर्ती की है और इसमें से 15 लोगों का चयन डिप्टी कलेक्टर के लिए हुआ है. मेरिट लिस्ट में पीएससी चेयरमैन के रिश्तेदारों और कांग्रेस पार्टी के नेताओं के करीबियों को जगह मिली. इसके बाद से विवाद शुरू हो गया है. बीजेपी ने दावा किया है कि साल 2019-2023 तक छत्तीसगढ़ की सभी भर्तियां विवादित रही हैं. इसके बाद से अब लोक सेवा आयोग आरोपों के घेरे में है.