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Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में 45 IAS अधिकारियों के खिलाफ शिकायत की होगी जांच, HC ने दिया आदेश
Chhattisgarh High Court: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दर्ज की गई, जिसमें 45 आईएएस अधिकारियों के खिलाफ 11 कम्पलेन पर जल्द निराकरण की बात कही गई. हाईकोर्ट ने सरकार को आगे निर्देश दिए हैं.
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर में एक जनहित याचिका दर्ज की गई है, जिसके माध्यम से मांग की गई है कि छत्तीसगढ़ राज्य में भारतीय प्रशासनिक सेवा के 45 अधिकारियों के खिलाफ वर्षों से रुकी शिकायतों के जल्द निपटारे के लिए न्यायालय दिशा निर्देश जारी करे. छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में ये जनहित याचिका जिले के सामाजिक और आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा ने लगाई है. आरटीआई की इस जनहित याचिका पर 24 अप्रैल 2023 को सुनवाई हुई थी.
जनहित याचिका के अनुसार आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा ने बताया कि 16 दिसंबर 2015 को विधायक देवजी भाई पटेल ने विधानसभा में एक सवाल खड़ा किया. जिसमें उन्होंने तात्कालिक मुख्यमंत्री से सवाल किया कि मुख्यमंत्री ये बताने की कृपा करें कि 17 नवंबर 2015 तक भारतीय प्रशासनिक सेवा के किन-किन अधिकारियों के विरुद्ध शिकायती प्रकरण की अभी तक जांच नहीं हुई है. साथ ही उन्होंने पूछा कि उन अधिकारियों के नाम और पदस्थापना सहित पूरी जानकारी दी जाए. तब उस दौरान तात्कालिक मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने जवाब में बताया कि 17 नवंबर 2015 तक 45 अधिकारियों के विरुद्ध शिकायत लंबित है.
तात्कालिक मुख्यमंत्री ने जिन अधिकारियों के नाम बताए थे. उनमें सी.के.खेतान, जी.आर.चुरेन्द्र, छत्तर सिंह डहरे, डॉ कमलप्रीत सिंह , मुकेश बंसल, एन.ओम.झीरसागर, शारदा वर्मा, रितु सेन, निरंजन दास , हिमशिखर गुप्ता, एन के शाखा, उमेश कुमार अग्रवाल, ओ पी चौधरी, आर संगीता, टी राधाकृष्णन, अमित कटारिया, नरेन्द्र कुमार शुक्ला, एलेक्स पाल मेनन, के सी देव सेनापति, अशोक कुमार अग्रवाल, ओमेगा युनाइस टोप्पो, भीम सिंह, चंदन कुमार, अमरमेलमंगई डी, रणवीर शर्मा, जी एस मिश्रा, विकास संदीपन, अवनीश कुमार शरण, डॉ सारांश मित्तर, जे पी पाठक, अंकित आनंद, दिनेश श्रीवास्तव, टॉमन सिंह सोनवानी, के डी पी राव, सुरेन्द्र कुमार जायसवाल, एम के राउत, अनबलगन पी, बी के धुर्वे, रजत कुमार, सिद्धार्थ कोमल परदेशी, डॉ रोहित यादव, भुवनेश्वर यादव, सुब्रत साहू, अमृत खलखो, दिलीप वासनिकर के नाम शामिल थे.
इस जनहित याचिका में 24 अप्रैल 2023 को सुनवाई के पहले 17 जनवरी 2023 को एक सुनवाई हुई थी. इस सुनवाई में छत्तीसगढ़ शासन के मुख्य सचिव अमिताभ जैन द्वारा एक शपथ पत्र प्रस्तुत कर न्यायालय को बताया गया था कि 45 आईएएस अधिकारियों के खिलाफ कुल 73 शिकायतें दर्ज थीं, जिनमें से 62 शिकायतों का खंडन हो गया है. अभी कुल 11 ऐसी शिकायतें बचीं हैं, जिनका निराकरण नहीं हुआ है. इसके बाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश वाली युगल पीठ ने बची 11 कम्पलेन के निराकरण के लिए छत्तीसगढ़ सरकार के मुख्य सचिव को तीन महीने का समय दिया है.
याचिकाकर्ता का बयान
जनहित याचिका लगाने वाले आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा ने कहा है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में एक प्रश्न के उत्तर में मुख्यमंत्री ने बताया था कि प्रदेश के 45 आईएएस अधिकारियों के खिलाफ कई-कई वर्षों से शिकायतें लंबित है. राज्य सरकार उसमे निर्णय नहीं कर पा रही है कि उसमें जाँच करनी है या नहीं करनी है. श्री मिश्रा ने कहा कि इस संबंध में जानकारी मिलने के बाद जब राज्य सरकार से शिकायतों के बाद भी वो नहीं सुनी गईं तो फिर माननीय उच्च न्यायालय में मेरे द्वारा एक जनहित याचिका पेश की गई. इस याचिका की अंतिम सुनवाई में चीफ जस्टिस लेट लतीफी को लेकर छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव पर बेहद नाराजगी व्यक्त कर रहे थे. तब उन्होंने मुख्य सचिव को एफीडेविट प्रस्तुत करने को कहा. जिसमें 45 आईएएस अधिकारियों के खिलाफ कुल 73 में 62 शिकायतों के निराकरण की बात कही गई. उसमें चीफ जस्टिस ने शेष बचे 11 प्रकरणों में जल्द जांच कर प्रतिवेदन न्यायालय को सौंपने का आदेश जारी किया है. इधर इसके बाद आरटीआई कार्यकर्ता ने संतोष जाहिर करते हुए कहा कि अब इस मामले में जल्द निपटारे की उम्मीद जगी है.
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