Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने ईसाई धर्म अपना चुके बस्तर के एक परिवार की मृत महिला का अंतिम संस्कार उसके परिजनों की इच्छा के अनुरूप उनकी निजी जमीन पर करने की अनुमति दी है. वकील प्रवीण तुलस्यान ने बताया कि हाई कोर्ट ने बस्तर जिले के पुलिस अधीक्षक को निर्देशित किया है कि याचिकाकर्ता द्वारा अपनी मां के शव को दफनाने तक उसे और उसके परिजनों को उचित पुलिस सुरक्षा दी जाए.


प्रवीण तुलस्यान ने बताया कि कोर्ट ने उप-महाधिवक्ता प्रवीण दास को इस आदेश की जानकारी राज्य सरकार, चिकित्सा महाविद्यालय जगदलपुर, पुलिस अधीक्षक बस्तर और परपा थाने के थानेदार को देने का निर्देश दिया. वकील ने बताया कि कोर्ट में सोमवार (1 जुलाई) को न्यायमूर्ति पार्थ प्रतीम साहू ने कहा कि यह पहले से ही कानून का एक नियम है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 में हर व्यक्ति को सभ्य जीवन जीने का अधिकार प्राप्त है.


कोर्ट दिया ये आदेश
कोर्ट ने कहा कि जीवन के अधिकार का मतलब मानवीय गरिमा के साथ सार्थक जीवन से है. यह अधिकार उस व्यक्ति पर भी लागू होता है जिसकी मृत्यु हो चुकी है. प्रवीण तुलस्यान ने बताया कि बस्तर जिले के एर्राकोट गांव के रामलाल कश्यप ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि उनकी मां की 28 जून को मौत हो गई. वह अपनी ही जमीन पर मां के शव को दफनाना चाहते हैं, लेकिन परपा थाने की पुलिस ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया.


वकील ने बताया कि पुलिस ने कश्यप से कहा कि शव को 15 किलोमीटर दूर कोरकापाल गांव में ले जाकर दफन करें, जहां पर एक अलग कब्रिस्तान बनाया गया है. उन्होंने बताया कि याचिकाकर्ता अपनी मां के शव को कहीं अन्य स्थान पर ले जाने के बजाय उसे अपनी ही जमीन पर ईसाई रीति से दफनाना चाहता है. शव को जगदलपुर के चिकित्सा महाविद्यालय में रखा गया है.


अधिवक्ता ने बताया कि न्यायमूर्ति पार्थ प्रतीम साहू ने सोमवार के अपने आदेश में मोहम्मद लतीफ के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसला का हवाला देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को अपने धार्मिक रीति-रिवाज से अपनी मां का अंतिम संस्कार करने का अधिकार है. उन्होंने बताया कि कोर्ट ने जगदलपुर चिकित्सा महाविद्यालय के अधिकारियों को मृतका का शव उसके बेटे को सौंपने का निर्देश दिया.


इसके साथ ही दो जुलाई को अपने ही गांव की निजी भूमि में उसे दफनाने की अनुमति प्रदान की है. अधिवक्ता ने बताया कि कोर्ट ने पुलिस अधीक्षक, बस्तर को भी निर्देशित किया है कि याचिकाकर्ता द्वारा अपनी मां के शव को दफनाने तक उसे और उसके परिजनों को उचित पुलिस सुरक्षा प्रदान की जाए.



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