9 साल की बच्ची की डेडबॉडी से रेप करना अपराध नहीं? कोर्ट ने माना दोषी लेकिन नहीं दी सजा
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि शव से रेप (नेक्रोफिलिया) पॉक्सो कानून के तहत रेप के अपराध में नहीं आएगा, क्योंकि कानून के प्रावधान सिर्फ जीवित पीड़ित पर ही लागू होते हैं.
Chhattisgarh High Court: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक मामले में अहम फैसला सुनाते हुए लोगों को हैरान कर दिया है. साल 2018 में 9 साल की बच्ची के शव से रेप का मामला सामने आया था, जिसको लेकर मृतक बच्ची की मां ने कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस मामले में फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि यह सबसे जघन्य अपराधों में से एक कहा जा सकता है, लेकिन मौजूदा कानून में इस अपराध की कोई सजा नहीं है.
कोर्ट ने बताया कि ऐसे मामले को POCSO अधिनियम के तहत रेप नहीं माना जाता. हालांकि, इस बात में कोई शक नहीं कि शव के साथ रेप (नेक्रोफीलिया) सबसे जघन्य कृत्यों में से एक है, लेकिन पॉक्सो अधिनियम के प्रावधानों के तहत यह रेप के अपराध की श्रेणी में नहीं आता. कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि ऐसे प्रावधान तभी लागू होते हैं, जब पीड़िता जीवित हो.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, हाई कोर्ट के जस्टिस ने कहा आरोपी नीलकंठ उर्फ नीलू नागेश ने जो कृत्य किया, वह जघन्य था लेकिन तथ्य यह है कि आरोपी द्वारा किया गया कृत्य न ही IPC की धारा 363, 373 (3) और न ही पॉक्सो एक्ट 2012 की धारा 6 में दंडनीय अपराध है. इसके लिए आरोपी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता.
क्या था मामला?
दरअसल, साल 2018 में एक नाबालिग के अपहरण, रेप और हत्या से जुड़े मामले में दो लोग दोषी पाए गए थे. नितिन यादव और नीलकंठ नागेश को आईपीसी और पॉक्सो की अलग-अलग धाराओं के तहत सजा सुनाई गई थी. नितिन यादव को किडनैपिंग, रेप और मर्डर के चार्ज में आजीवन कारावास की सजा मिली. वहीं, नीलकंठ नागेश को अपराध के साक्ष्य गायब करने धारा 34 के तहत दोषी पाते हुए सात साल की सजा सुनाई गई.
इसके बाद मां द्वारा दायर की गई याचिका में नागेश की नीयत को इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि उसने बच्ची के शव से रेप किया था, फिर भी उसे इसके लिए सजा नहीं मिली. पक्ष का कहना था कि मौलिक अधिकारों में मरने का अधिकार भी आता है, जिसमें व्यक्ति सम्मानजनक रूप से अंतिम संस्कार का हकदार है. गरिमा और उचित व्यवहार का अधिकार न केवल जीवित बल्कि मृत शरीर को भी उपलब्ध है. हालांकि, कोर्ट ने कहा कि आज की तारीख के कानून को तथ्यों पर लागू किया जाना चाहिए. याचिकाकर्ता द्वारा दर्ज कराए गए अपराधों को नीलकंठ नागेश पर लागू नहीं किया जा सकता.
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