Chhattisgarh News: हवाई हमले के विरोध में उतरे सैकड़ों ग्रामीण, सबूत इकट्ठा कर दी ये चेतावनी
Bijapur: छत्तीसगढ़ के सुकमा और बीजापुर जिले के सीमावर्ती ग्रामीण अंचलों में हुए हवाई हमले के विरोध की चिंगारी अब बड़ा रूप ले चुकी है. आदिवासी मंत्री कवासी लखमा के खिलाफ वादाखिलाफी का आरोप लगाया.
Bijapur News: छत्तीसगढ़ के सुकमा और बीजापुर जिले के सीमावर्ती ग्रामीण अंचलों में हुए हवाई हमले के विरोध की चिंगारी अब बड़ा रूप ले चुकी है, बस्तर पुलिस की तरफ से जारी बयान में इस तरह की घटना से साफ इंकार करने के बावजूद, बीजापुर की सीमावर्ती इलाके से लगे जगरगुंडा और पामेड़ क्षेत्र के दर्जनों गांव के ग्रामीण विस्फोट से हुए सुराख और अवशेषों को पुख्ता प्रमाण बता रहे हैं, इसके अलावा हमले के विरोध में बीते कुछ दिनों से लगातार प्रदर्शन भी कर रहे हैं. वहीं बोड़केल गांव में हुए प्रदर्शन में केवल हवाई हमले का विरोध ही नहीं बल्कि प्रदेश के आबकारी मंत्री और कोंटा विधायक कवासी लखमा पर भी प्रदर्शनकारियों ने जुबानी प्रहार किया है.
नक्सलियों को बनाया गया टारगेट
बस्तर पुलिस के द्वारा ड्रोन से बमबारी का हवाला दे रहे गुस्साएं ग्रामीणों ने कहा कि घटना की सच्चाई जानने और इसकी जांच की आदिवासी मंत्री कवासी लखमा ने जहमत तक नहीं उठाई, जबकि चुनाव से पहले कवासी लखमा ने कहा था कि पुलिस कैम्प हटाए जाएंगे, आदिवासी इलाकों का विकास होगा और किसी तरह की ज्याददती नहीं होने देंगे, इन बातों को सुनकर गांव के ग्रामीणों ने उन्हें वोट दिया था. लेकिन चुनाव के बाद मंत्री कवासी लखमा के सुर बदल गए हैं.
जनता से उन्होंने जो वायदे किए वो झुठे साबित हुए हैं, प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों ने बताया कि गर्मी के सीजन में महुआ फुलों की रखवाली के लिए आधी रात ग्रामीणों को उठकर जंगल जाना पड़ता है, ताकि मवेशियों का झुण्ड पेड़ से झड़ने वाले महुए के फुल को खा ना जाये, इसी दौरान अगर नक्सलियों को टारगेट बताकर आसमान से बम बरसेंगे तो ग्रामीणों के साथ मवेशियों की जानें भी जा सकती हैं, एंटी नक्सल ऑपरेशन के नाम पर इस तरह की बमबारी से आदिवासी, जंगल, गांव तबाह हो जाएंगे, और अगर ऐसी स्थिति बनी रही तो ग्रामीणों के सामने अपने घर को छोड़कर पलायन करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं होगा.
मंत्री के खिलाफ ग्रामीणों में है आक्रोश
वहीं हवाई हमले के विरोध के बीच अपने नेताओं पर गुस्साए ग्रामीणों का यह भी कहना है कि साल 2023 चुनाव में नेताओं का ना सिर्फ बहिष्कार करेंगे, बल्कि उनकी जगह गांव-गांव ग्राम सभा कर अपना नेतृत्व खुद चुनेंगे, इधर ग्रामीणों के नाराजगी को लेकर आबकारी मंत्री कवासी लखमा के तरफ से कोई जवाब नहीं आया है.
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