Balrampur News: राज्य सरकार प्रदेश के तमाम सरकारी प्राथमिक शालाओं में मिड डे मील (Mid Day Meal) स्कीम चला रही है, ताकि स्कूली बच्चों को दोपहर का खाना स्कूल में ही उपलब्ध हो सके. सरकार की सोच भी अच्छी है, लेकिन सरकार की इस स्कीम पर तब प्रश्न खड़े हो जाते हैं जब खुद सरकारी अमला उस पर अमल नहीं करता. सरकारी नुमाइंदे महज खानापूर्ति कर अपनी जिम्मेदारियों से इति श्री कर लेते हैं.


घर जाकर खाना खाने को मजबूर बच्चे


दरअसल, मामला बलरामपुर (Balrampur) जिले रामचन्द्रपुर ब्लॉक का है, ग्राम भवानीपुर प्राइमरी स्कूल  (Bhawanipur Primary School) में दो दिनों से स्कूली बच्चों को मिड डे मील का एक निवाला भी नसीब नहीं हुआ है जिसके पीछे की वजह है उस स्कूल में कार्यरत रसोईये का बीमार होना. अब भला 5 से 10 वर्ष के आयु वर्ग के स्कूली बच्चे भूखे कैसे रहें. इसलिए बच्चे दो दिनों से दोपहर का खाना घर से खाकर आने पर मजबूर हैं.


अब स्कूल हेडमास्टर की आई आफत


इधर स्कूल के जिम्मेदार हेडमास्टर मिड डे मील के दो दिन से बंद होने के बाद अब अपने उच्चाधिकारियों से चर्चा करने का हवाला दे रहे हैं. उनका कहना है कि उनके पास संसाधनों का अभाव है, लेकिन हेडमास्टर के पास तमाम वैकल्पिक रास्ते हैं, जिसका खुलासा खुद डीईओ केएल महिलांगे ने किया. डीईओ का कहना है कि हेडमास्टर मिड डे मील का संचालन करने वाले समूह की महिलाओं से चर्चा कर मिड डे मील की सुविधा को निरन्तर जारी रख सकते थे.


जिला शिक्षा अधिकारी के.एल. महिलांगे ने मामले की जानकारी मिलने के बाद विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी से जांच कराने के बाद कार्यवाही की बात कही है. बहरहाल, रसोइए के बीमार होने से स्कूली बच्चों को दो दिन तक दोपहर का भोजन नसीब नहीं हुआ, जिसकी वजह से बच्चों को घर जाकर पेट भरना पड़ा, जबकि हेड मास्टर चाहते तो वैकल्पिक व्यवस्था से समूह की महिलाओं के माध्यम से मिड डे मिल का संचालन कर सकते थे, लेकिन उन्होंने दिलचस्पी नहीं दिखाई. वहीं अब मामले में डीईओ ने गंभीरता दिखाई है और जांच के बाद एक्शन लेने की बात कही है.


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