Jashpur News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के आदिवासी इलाकों (Tribal Area) में जल जंगल और जमीन बचाने के लिए आदिवासी समाज और पर्यावरण प्रेमी वर्षों से सिस्टम से संघर्ष कर रहे है, लेकिन उसके बावजूद आर्थिक रुप से मजबूत लोग और अपने उद्योगों को स्थापित करने के लिए इनको नष्ट करने में सफल हो रहे हैं. इन दिनों सरगुजा संभाग (Sarguja Division) के जशपुर जिले (Jashpur District) के विभिन्न जंगलों में आग लगी है. जिससे हजारों की संख्या में पेड़-पौधे, स्थानीयवन औषधि और वन्य प्राणियों का नुकसान हो रहा है.


वन विभाग के अधिकारी इस आग को हर साल गर्मी में लगने वाली आग कहकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं.पर्यावरण के दिशा में काम करने वाल कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जंगल की आग के पीछे खनिज माफियाओ का षड्यंत्र बताया है. जो जंगल को नष्ट करके जिले की खनिज संपदा का आसानी से दोहन करने की साजिश कर रहे हैं. 


सरगुजा संभाग का जशपुर जिला अपने हरे भरे वादियों और खूबसूरत हरियाली वाली पहाड़ियों के लिए हमेशा से चर्चा में रहा है. अपने खुशनुमा माहौल के लिए मशहूर जशपुर जिले के जंगल इन दिनों जल रहे हैं. जिससे जंगली वन संपदा और जंगली जीव जंतुओं को भारी नुक़सान पहुंच रहा है. बावजूद इसके वन विभाग के अधिकारी इसे महुआ बीनने और पिकनिक मनाने  वालों के द्वारा लगाई गई आग बता रहे है.


पर्यावरणप्रेमी के आरोप ने पूरे प्रशासनिक सिस्टम के सामने सवाल खड़ा कर दिया है. सवाल इसलिए भी क्योंकि गर्मी में अक्सर लगने वाली आग का हवाला देते हुए अधिकारी भले ही स्थानिय ग्रामीणों और लोगों को आग लगाने का जिम्मेदार बता रहे है, लेकिन पर्यावरण प्रेमियों ने इसे खनिज माफियाओ का षड्यंत्र बताया है. 


बाक्साइट के लिए लगाई जा रही है आग- राम प्रकाश पाण्डेय


जशपुर जिले में वन मित्र के नाम से चर्चित राम प्रकाश पाण्डेय की मानें तो जशपुर के जंगली क्षेत्रों में गर्मी में आग लगने की घटना सामान्य रूप से पहले भी होती रही है. पिछले करीब तीन वर्षों से जिस तरह जशपुर के जंगलों में आग लग रही है, इसका कोई जंगली और स्थानीय कारण नहीं है. उन्होंने दावा किया कि जशपुर के कई इलाकों में बाक्साइट खनन के लिए सरकार द्वारा जो पट्टे दिए गए हैं, उसमें सबसे बड़ी रूकावट पर्यावरण स्वीकृति की है. गूगल मैप में जो जशपुर का जंगल है वो हरा दिखता है, जिसके कारण उन्हें पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिल सकती है. इसलिए वे जानबूझकर षड्यंत्र पूर्वक उद्योगपतियों द्वारा लोगों को पैसे देकर जंगलों में आग लगवाई जा रही है.


राम प्रकाश पाण्डेय ने कहा कि ऐसा करने से जशपुर के जंगल जल कर खाक हो जाएंगेंऔर फिर उन्हें पर्यावरणीय स्वीकृति मिल जाएगी. उद्योगपति जशपुर के जंगल का दोहन आसानी से कर सकेंगे. वन मित्र पाण्डेय ने कहा कि जंगल में आग लगने की घटना की सूचना समय समय पर वन विभाग के अधिकारियों और वाट्सएप ग्रुप में हम लोगों के द्वारा दी जाती है, लेकिन वन अमला कम होने और वन विभाग के गंभीर नहीं होने से स्थानीय लोगों और राहगीरों को जंगल की आग बुझाने का काम करना पड़ रहा है. 


जंगल सुरक्षित तो हम भी सुरक्षित- अभिषेक शर्मा 


जिले के दूसरे वन मित्र अभिषेक शर्मा के मुताबिक़ अभी हम देख रहे हैं कि जिले के चारों तरफ के जंगल जल कर नष्ट हो रहे हैं. ये जिले और पर्यावरण के लिए काफी चिंता का विषय है. शर्मा ने कहा कि ऐसी परिस्थिति देखकर हम लोग गांव- गांव जाकर लोगों को जागरूक करने का काम कर रहे हैं. लोगों को ये बताने की पूरी कोशिश की जा रही है कि जंगल का सदुपयोग करना है. इसका हमें दुरूपयोग नहीं करना है.जिससे भविष्य में जंगल सुरक्षित रहें और जिसके साथ हम भी सुरक्षित रह सकते हैं. 


आग की घटना को लेकर डीएफओ ने किया ये दावा


इस संबंध में डीएफओ ने बताया कि जंगल की आग बुझाने के लिए हमारे सभी वन मित्र वन अमला तत्परता के साथ लगा हुआ है. पूरी तकनीक के साथ हमारे लोग जंगल की आग बुझाने में लगे है. डीएफओ के मुताबिक ऐसी कोई घटना नहीं है जो आधा एक घंटे से ज्यादा समय तक जलती रही हो. सभा जगह की आग तत्काल बुझा रहे हैं. इसके बाद डीएफओ ने आम लोगों से ये अपील की है कि जिन पिकनिक स्पाट में जाकर आप खाना बना रहे हों, वहां आग को जलता हुआ ना छोड़ें. उन्होंने महुआ बीनने वालों से भी अपील कि है कि महुआ बीनने के लिए पेड़ के नीचे आग मत लगाए बल्कि इस स्थान को झाड़ू से साफ कर लें.


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