Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के रेड्डीपाल गांव में फूल नदी पर दो करोड़ रुपये की लागत से बने एनीकट के पानी में बह जाने की खबर एबीपी न्यूज़ पर दिखाई गई थी. अब किसानों ने एनीकट की वजह से उनके खेत खलियान को हो रहे नुकसान की भी जानकारी एबीपी न्यूज़ को दी है. किसानों का कहना है कि जहां ये एनीकट को बनाया जाना था, इसको वहां नहीं बनाकर किसानों के खेत खलियान के जगह पर बनाया गया है. जिसके चलते नदी का बढ़ता पानी उनके खेत खलियान और तालाबों को बर्बाद कर रहा है. 


पहले ही भारी भ्रष्टाचार कर दो करोड़ रुपए की लागत से बनाई गई इस एनीकट की बॉडी वॉल और रिटेनिंग वॉल पूरी तरह से बह गई थी. अब गलत जगह इस एनीकट को बनाए जाने से उनके खेत खलियान खराब हो रहे हैं. इससे उन्हें  भारी नुकसान हो रहा है. किसानों का कहना है कि यह एनीकट हमारे लिए वरदान की जगह अभिशाप बन गया है.


किसानों के खेत -खलिहान को हो रहा भारी नुकसान


जल संसाधन विभाग द्वारा कराए गए घटिया निर्माण के चलते जहां सरकार के  2 करोड़ रूपये पानी में बह गए. वहीं इसका सबसे बड़ा खामियाजा छिंदगढ़ ब्लॉक के रेड्डीपाल के किसानों को भुगतना पड़ा रहा है. क्षेत्र के आदिवासी किसानों के लिए एनीकट मुसिबत बन गई है. उन्हें कई समस्याओं से जूझना पड़ रहा है.  बारिश  के दौरान फूल नदी का जलस्तर बढ़ जाता है. जिससे पूरा इलाका बाढ़ की चपेट में आ जाता है. इस दौरान किसानों के खेत-खलीहान के साथ तालाबों को भी भारी नुकसान पहुंचता है. किसानों को उम्मीद थी कि एनीकट से उनके खेतों को सिंचाई सुविधा मिलेगी, लेकिन सरकारी योजना क्षेत्र के लोगों के लिए वरदान की जगह अभिशाप साबित हो रही है. 


दरअसल  छिंदगढ़ के रेड्डीपाल में किसानों को सिंचाई की सुविधा मिले इसके लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने साल 2013 में एनीकट निर्माण के लिए 1 करोड़ 85 लाख की स्वीकृति दी थी. दिसंबर 2017 में सुकमा के सिंचाई विभाग ने 12 फीसदी से अधिक दर पर अंबिकापुर की श्रृंग कंस्ट्रक्शन कंपनी को निर्माण का कार्यादेश जारी किया. इसे दिसंबर 2018 तक पूर्ण किया जाना था, लेकिन जल संसाधन विभाग की उदासीनता और ठेकेदार की लापरवाही के कारण एनीकट का कार्य समय पर पूरा नहीं किया गया. इतना ही नहीं विभाग ने ठेकेदार पर मेहरबानी करते हुए एक साल का एक्सटेंशन भी दे दिया.


एक साल में ही में बह गया एनीकट का तटबंध


रेड्डीपाल एनीकट किसानों के लिए मुसीबत का सबब बनता जा रही है. बगुलाघाट के किसानों ने बताया कि बारिश के दिनों में एनीकट में भरा पानी ओवरफ्लो होकर खेतों में भर जाता है. इसके अलावा एनीकट के दोनों तरफ बनाए गए बांध के क्षतिग्रस्त होने से कटाव बढ़ गया है. हर साल धीरे-धीरे नदी का तट कटकर फैलने लगा है. इससे नदी की दिशा ही बदल गई है. किसानों ने बताया कि कई बार जल संसाधन विभाग को इस समस्या से अवगत कराया गया है, लेकिन विभागीय अधिकारी इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. इधर समय अवधि में कार्य पूर्ण नहीं करने के बावजूद सुकमा का जल संसाधन विभाग निर्माण कंपनी पर हमेशा मेहरबान नजर आया. 


दो साल पहले एनीकट के दोनों तरफ बनाए गए बांध बारिश में बह गए थे. विभाग ने कंपनी पर किसी तरह की न तो कार्रवाई की और न ही बांध को दोबारा बनाने का प्रयास किया. आज भी रिटेनिंग वाल के अवशेष नदी के किनारे नजर आ रहे हैं. किसानों का कहना है कि  जल संसाधन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी हर स्तर पर निर्माण कंपनी की गलतियों पर पर्दा डालने का काम कर रहे हैं. इसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है.


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