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Chhattisgarh: बस्तर में 'जल जीवन मिशन' योजना की गति बेहद धीमी, 25 फीसदी घरों में भी अभी नहीं लगा नल
Chhattisgarh Jal Jeevan Mission: जल जीवन मिशन का काम छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में सिर्फ एक चौथाई हो पाया है. जिले में कुल 1 लाख 63 हजार लोगों के घरों तक नल के कनेक्शन दिए जाने हैं.
Chhattisgarh Jal Jeevan Mission: केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक 'जल जीवन मिशन' (Jal Jeevan Mission) योजना छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के बस्तर (Bastar) में अधिकारियों की लापरवाही की भेंट चढ़ गई है. अधिकारियों के सुस्त रवैये और ठेकेदारों की धीमी गति से काम करने के चलते जल जीवन मिशन योजना का लाभ बस्तर जिले में 25 प्रतिशत घरों को भी नहीं मिल पाया है. वहीं अगले 2024 दो सालों में 75 प्रतिशत घरों को कवर करने की चुनौती लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के पास है, लेकिन इतने कम समय में घरों में जल जीवन मिशन को पूरा करना संभव नजर नहीं आ रहा है. इसकी वजह से एक बार फिर केंद्र सरकार की योजना बस्तर में लेटलतीफी के चलते दम तोड़ती दिखाई दे रही है.
दरअसल जल जीवन मिशन का काम बस्तर जिले में सिर्फ एक चौथाई हो पाया है. जिले में कुल 1 लाख 63 हजार लोगों के घरों तक नल के कनेक्शन दिए जाने हैं, लेकिन योजना को शुरू हुए पूरे 3 साल बीत जाने के बाद भी सिर्फ 41 हजार घरों तक ही नल कनेक्शन पहुंचे हैं. घर-घर पानी पहुंचाने की योजना जिले में पूरी होती दिखाई नहीं दे रही है. इसकी सबसे बड़ी वजह पीएचई विभाग और उसके ठेकेदारों की धीमी गति काम की वजह से है. लोग आज भी पीने के साफ पानी के लिए इधर-उधर भटकने को मजबूर हो रहे हैं. सरकार ने जो टाइम लिमिट तय की थी, उसके मुताबिक अब बचे हुए 2 साल में 75 प्रतिशत काम पूरा करने का लक्ष्य है, जो लगभग नामुमकिन सा दिखाई दे रहा है. वहीं साल 2024 तक हर घर नल की योजना को लेकर अब संदेश जाहिर किया जाने लगा है.
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1 लाख से अधिक घरों में कनेक्शन पहुंचाने की है चुनौती
जानकारी के मुताबिक अप्रैल 2022 के बाद से अब तक 6 महीने में पीएचई विभाग सिर्फ 12 हजार घरों तक नल कनेक्शन पहुंचा पाया है. यानी कि हर महीने सिर्फ दो हजार घरों को ही इस योजना के तहत कवर किया जा रहा है. इनमें भी अधिकतर मकान ऐसे हैं, जहां से पाइप लाइन पहुंचाई गई है और पेयजल की आपूर्ति शुरू नहीं हो पाई है. इधर जो समय बचा है, उसमें अब जिले के 1 लाख 21 हजार से अधिक घरों में कनेक्शन पहुंचाने का काम एक बड़ी चुनौती है. इस लेटलतीफी को लेकर पीएचई विभाग के कार्यपालन अभियंता एस पी मंडावी का कहना है कि कुछ महीने पहले काम का शेड्यूल ऑफ रेट बदला गया है. यही वजह है कि नए सिरे से टेंडर की प्रक्रिया पूरी की जा रही है, वे भी मानते हैं कि काम की रफ्तार में काफी धीमी है, लेकिन इसे तय समय पर पूरा कर लेने का प्रयास विभाग के द्वारा किया जा रहा है.
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