Janjgir-Champa News: छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में पशुधन सेवा को बेहतर बनाने 54 पशु चिकित्सालय एवं गर्भाधान केंद्रों का संचालन किया जा रहा है, फिर भी मवेशियों का इलाज समय पर नहीं हो पाता. ऐसे में उपचार के अभाव में मवेशी दम तोड़ देते है. गौरतलब है कि शासन के ड्रीम प्रोजेक्ट में से गरूवा योजना अंतर्गत मवेशियों के देखभाल एवं उसके संरक्षण पर विशेष जोर दिया जाना है, लेकिन पशु चिकित्सालय पशु औषधालय एवं गर्भाधान केंद्रों का संचालन होने के बाद दुर्घटना के शिकार मवेशी उपचार के अभाव में दम तोड़ देते हैं. इस तरह की कई घटनाएं सामने आ चुकी है, लेकिन जिम्मेदार पशु चिकित्सा विभाग के अफसर को इससे कोई सरोकार नहीं है.
जानकारी के मुताबिक जांजगीर-चांपा जिले में 8 पशु चिकित्सालय, 22 पशु औषधालय, 2 कृत्रिम गर्भाधान केंद्र एवं 22 गर्भाधान उप केंद्र का संचालन किया जा रहा है. कुल मिलाकर देखें तो 54 केंद्रों का संचालन किया जा रहा है, ताकि मवेशियों का बेहतर देखभाल करने के अलावा उनका उपचार किया जा सके, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है. जिला मुख्यालय जांजगीर के अलावा चांपा, अकलतरा, बलौदा, नवागढ़, सारागांव, मुलमुला, पामगढ़, शिवरीनारायण आदि क्षेत्रों में मवेशी आए दिन दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं. वहीं उपचार नहीं हो पाने के चलते इन मवेशियों की मौत भी हो जाती है.
मवेशी दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं
फोरलेन के खोखरा मुख्य मार्ग से लेकर पीथमपुर एवं अफरीद के मध्य मुख्य मार्ग पर आए दिन मवेशी दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं. शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में गौठान का निर्माण कराया गया है, ताकि आवारा घूम फिर रहें मवेशियों को चारागाह क्षेत्रों में सुरक्षित रखा जा सके, लेकिन यहां भी उनके चारा पानी की समुचित व्यवस्था नहीं है. खास बात यह है कि ज्यादातर मवेशी रात के समय सड़कों पर आकर बैठ जाते हैं. इस बीच मवेशी दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं. रात के समय तेज रफ्तार वाहन मवेशियों की जान ले रहे हैं.
देखा जाए तो जिला मुख्यालय जांजगीर के नवनिर्मित रेलवे ओवरब्रिज में दिन व रात के समय आए दिन मवेशियों का जमावड़ा रहता है. इस तरह की स्थिति चांपा रेलवे ओवरब्रिज में देखने को मिलती है. इसे लेकर जिम्मेदार पशु चिकित्सा विभाग के अफसर ध्यान नहीं देते है. मुख्य मार्ग में आए दिन मवेशी हादसे के शिकार हो रहे है. एक ओर जहां जिला पंचायत के अधिकारी द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में यदि मवेशी खुले में विचरण कर यदि धान की फसलों को नुकसान पहुंचाते है. उस स्थिति में ग्राम पंचायत के सचिव एवं सरपंच को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है.
3 लाख 21 हजार से अधिक मवेशी
जांजगीर चांपा जिले में 3 लाख 21 हजार गोवंश मवेशियों की संख्या है. यहां के किसान बड़ी संख्या में पशु पालन भी करते हैं. हालांकि पहले की अपेक्षा पशुपालकों की संख्या कम होती जा रही है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में दूध को व्यापार के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से गांव के लोग पशु पालन कर उससे मुनाफा भी कमा रहे हैं. गाय के दूध की बिक्री भी बड़े पैमाने पर ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में हो रही है. दुर्घटना के दौरान घायल हुए मवेशियों का उपचार किया जाता है, पशु मालिकों को अपने मवेशी की समुचित देखभाल एवं घरों में रखने समझाइश भी दी जाती है.
करते हैं उपचार
पशु चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं जांजगीर के ज्वाइंट डायरेक्टर ए.एल. सिंह ने कहा कि, दुर्घटना के दौरान घायल हुए मवेशियों का उपचार किया जाता है. पशु मालिकों को अपने मवेशी की समुचित देखभाल एवं घरों में रखने समझाइश भी दी जाती है.
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