Janmashtami: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के रायगढ़ (Raigarh) जिले में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर चारों तरफ हर्षोल्लास का माहौल है. बता दें कि यहां स्थित गौरीशंकर मंदिर (Gauri Shankar Temple) में होने वाला उत्सव बहुत खास होता है. इसके साथ ही यहां लगने वाला मेला देशभर में प्रसिद्ध है. मथुरा के बाद छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में लगने वाले मेले को ही सबसे प्रसिद्ध माना जाता है. गौरीशंकर मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसे एक दानवीर सेठ किरोड़ीमल ने सन 1946 में बनवाना शुरू किया था. इस मंदिर को बनवाने के लिए हरियाणा से कारीगर बुलवाए गए थे. कुछ कारीगर रायगढ़ जिले से भी थे. मंदिर का निर्माण दो सालों में पूरा हुआ. मंदिर का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद सन 1948 में गौरीशंकर मंदिर में मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की गई. 74 साल पहले बने इस मंदिर का इतिहास 7 दशक पुराना है.


सेठ किरोड़ीमल ट्रस्ट के सदस्य राजेश भारद्वाज के मुताबिक, यहां जन्माष्टमी मेले की शुरुआत मंदिर बनवाने वाले सेठ किरोड़ीमल ने ही की थी. दावा किया जाता है कि रायगढ़ का गौरीशंकर मंदिर देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें भगवान शिव और पार्वती की पूजा होती है, लेकिन झूला उत्सव भगवान श्रीकृष्ण का होता है, इसके पीछे की भी एक अलग कहानी है. ट्रस्ट के सदस्य राजेश भारद्वाज ने आगे बताया कि मंदिर बनने के बाद सेठ किरोड़ीमल को स्वप्न में भगवान श्रीकृष्ण ने दर्शन दिए. तब से यहां झूलोत्सव मनाने की परंपरा शुरु हो गई. यहां मेला लगने की शुरुआत 1951 में हुई. सेठ किरोड़ीमल मथुरा की तर्ज पर यहां मेला लगाना चाहते थे. इसलिए उन्होंने रायगढ़ में जन्माष्टमी मेला शुरू कराया.


मेले को देखने भारी संख्या में पहुंचते हैं लोग
कहा जाता है कि उस दौर में मथुरा के बाद छत्तीसगढ़ का रायगढ़ ही ऐसा शहर था, जहां जन्माष्टमी पर मेला लगता था. मेले में शामिल होने के लिए पूरे छत्तीसगढ़ और आसपास के राज्य के लोग भी आते थे, श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती थी. जैसे-जैसे समय बीतता गया मेले की रंगत और निखरती गई. अब मेले के दौरान गौरीशंकर मंदिर परिसर में आकर्षक झांकियों का आयोजन किया जाता है. झांकियों में लगने वाली मूर्तियों को भी हरियाणा के कारीगरों ने बनाया था. कहते हैं कि उस समय रायगढ़ में महीने भर तक मेला लगा रहता था. वर्तमान में रायगढ़ शहर में ऐतिहासिक जन्मोत्सव मेला 5 दिनों का लगता है. इसे देखने अब भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. इसके साथ ही पड़ोसी राज्य ओडिशा से भी यहां लोग मेला देखने आते हैं.


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