Chhattisgarh: मकान तोड़ने के लिए दरवाजे पर खड़ी थी जेसीबी, न्याय के लिए रात साढ़े 9 बजे खुला हाईकोर्ट
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में सड़क चौड़ीकरण के रास्ते में आ रहे 2 मकान की तोड़फोड़ के लिए निगम की टीम जेसीबी लेकर पहुंची थी. मामले को लेकर सुनवाई हाईकोर्ट में रात साढ़े 9 बजे हुई.
Chhattisgarh High Court: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की राजधानी रायपुर (Raipur) में मकान तोड़फोड़ के मामले में बिलासपुर हाईकोर्ट (High Court) रात साढ़े 9 बजे खुला और सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने निगम की तोड़फोड़ को तुरंत रोकने का फैसला सुनाया. जिला प्रशासन और निगम की टीम जेसीबी लेकर कैलाशपुरी के पास स्थिति मकान तोड़ने पहुंची थी.
हाईकोर्ट में साढ़े 9 बजे रात को हुई सुनवाई
दरअसल, कैलाशपुरी स्थित महाराजगंज रोड में सड़क चौड़ीकरण के रास्ते में आ रहे 2 मकान की तोड़फोड़ के लिए निगम की टीम जेसीबी लेकर पहुंची थी. मकान में रहने वाले लोगों ने घर से समान निकालना शुरू कर दिया था, इतने में ही हाईकोर्ट ने तोड़फोड़ रोकने ने आदेश दिए. हाईकोर्ट के आदेश के बाद निगम का अमला लौट गया.
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई सुनवाई
बता दें कि, निगम और जिला प्रशासन के आदेश के खिलाफ पीड़ित परिवार ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी. इस पर मंगलवार की रात साढ़े 9 बजे हाईकोर्ट में सुनवाई हुई है. हाईकोर्ट के जज ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मामले की सुनवाई की और तोड़फोड़ पर रोक लगाई.
प्रशासन की करवाई पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
गौरतलब है कि, कैलाशपुरी के ढाल से महाराजगंज तालाब के किनारे रोड को करीब 100 फीड चौड़ी करने के लिए नगर निगम ने 2015-16 में यहां बस्ती को खाली करवा लिया है. उसके बाद से सड़क चौड़ीकरण का काम शुरू हो गया. लेकिन कैलाशपुरी ढाल के पास स्थिति 2 परिवारों ने मकान तोड़े जाने के खिलाफ बिलासपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी.
जानें कब होगी अगली सुनवाई
जब मंगलवार रात जिला प्रशासन और पुलिस की टीम पहुंची तो पीड़ित परिवार ने अपने वकील के माध्यम से कोर्ट सूचना दी जिसके बाद हाईकोर्ट ने मंगलवार रात को ही मामले की सुनवाई की. हाईकोर्ट ने निगम के अधिकारियों को मकान से संबंधित जमीन को शासकीय दस्तावेज और सीमांकन रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है. इस मामले में अब अगली सुनवाई अब गुरुवार को होगी. इधर नगर निगम की तरफ से कहा जा रहा है कि मकान सरकारी जमीन पर है, अवैध रूप से बनाए गए हैं जबकि पीड़ित परिवार का कहना है की ये उनकी जमीन है.
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