Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में पिछले 7 महीने से बंद सरकारी भर्तियां एक बार फिर शुरू हो गई है. बिलासपुर हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने स्टे दे दिया है. अब राज्य में 58 प्रतिशत आरक्षण के हिसाब से सरकारी भर्तियां शुरू हो जाएंगी. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अधिकारियों की हाई लेवल मीटिंग ली है. उन्होंने अधिकारियों को जल्दी अटके रिजल्ट जारी करने के निर्देश दिए है.
अब मिशन मोड में होंगी सरकारी भर्तियां
दरअसल सोमवार रात मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सीएम हाउस में बैठक लेते हुए अधिकारियों को शासकीय पदों पर भर्ती के मामले में मिशन मोड से आवश्यक कार्यवाही के लिए निर्देश दिए. उन्होंने बैठक में मुख्य सचिव को विभागों की भर्ती प्रक्रिया में तेजी से कार्यवाही सुनिश्चित करने के मामले में आवश्यक निर्देश दिए है. मुख्यमंत्री ने ये भी कहा है कि सभी विभाग इसे गंभीरता से लेते हुए मिशन मोड में सभी भर्तियां पूर्ण किया जाना सुनिश्चित करें.
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हाईकोर्ट को फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के दिए निर्देश के बाद राज्य में शासकीय पदों में भर्ती के लिए रास्ता खुल गया है. इससे अब शासकीय विभागों द्वारा भर्ती की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा सकेगी और छत्तीसगढ़ में जल्दी बड़े पैमाने पर शासकीय पदों पर भर्तियां होगी. लेकिन इसपर बीजेपी और कांग्रेस में राजनीति शुरू हो गई है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजभवन में अटके आरक्षण संशोधन विधेयक पर बीजेपी को षड्यंत्र करने का आरोप लगाया है, तो वहीं बीजेपी का कहना है कि 58 प्रतिशत आरक्षण हमने लागू किया था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने जायज ठहराया है.
76 प्रतिशत आरक्षण के लिए लड़ते रहेंगे
सोमवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ट्विटर पर भिड़ गए है. पहले सीएम भूपेश बघेल ने ट्वीट करते हुए लिखा कि 58% आरक्षण पर हाईकोर्ट के फैसले पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रोक लगाने के निर्णय का हम सब स्वागत करते हैं, पर छत्तीसगढ़ के युवाओं के खिलाफ भाजपा के षड्यंत्र के विरूद्ध हमारा संघर्ष जारी रहेगा. राज्यपाल नए विधेयक पर हस्ताक्षर करें तभी सही न्याय मिलेगा.
58 प्रतिशत आरक्षण बीजेपी सरकार ने लागू किया था
इस ट्वीट को पलटवार करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा कि दाऊ भूपेश बघेल जी, भाजपा सरकार ने पहले ही बहुत गंभीरता से विचार कर 58% आरक्षण लागू किया था और आज सर्वोच्च न्यायालय ने इस पर मुहर लगाकर युवा साथियों के लिए भर्ती के रास्ते खोल दिए हैं. इस 58% आरक्षण में बाधक बनने वाली कांग्रेस सरकार की सच्चाई अब युवाओं के सामने है.
पिछले साल से जारी है आरक्षण पर बवाल
गौरतलब है की 19 सितंबर 2022 को बिलासपुर हाईकोर्ट ने राज्य में 58 प्रतिशत आरक्षण को निरस्त कर दिया था. इसके बाद आदिवासी समाज ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. रोजाना सड़कों पर प्रदर्शन होने लगे तब सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर 2 दिसंबर को राज्य में एसटी,ओबीसी और जनरल का आरक्षण बढ़ाने का विधेयक पारित किया. इसके बाद राज्य में आरक्षण का प्रतिशत 76 प्रतिशत हो गया. लेकिन तत्कालीन राज्यपाल अनुसुइया उईके ने इस विधेयक को मंजूरी नहीं दी हैं इसलिए सरकार और राजभवन के बीच टकराव जारी है.