रायपुर: छत्तीसगढ़ में हजारों विशेष पिछड़ी जनजाति के शिक्षित बेरोजगारों को अब नौकरी मिलेगी. इसकी घोषणा छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने की है. आदिम जाति कल्याण विभाग के सर्वे के अनुसार राज्य में 9 हजार 623 शिक्षित युवाओं की पहचान हुई है. इनको योग्यता के अनुसार तृतीय और चतुर्थ श्रेणी पर भर्ती की जाएगी.इसके लिए रूप रेखा तैयार की जा रही है.
विशेष पिछड़ी जनजाति के शिक्षित बेरोजगारों को मिलेगी नौकरी
दरअसल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कांकेर जिले के दौरे में इसकी घोषणा की है.मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बताया कि विशेष पिछड़ी जनजाति के संबंध में आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा सर्वे किये गए है. इसमें शिक्षित पात्र युवा जिनकी संख्या 9 घर 623 है. इनको योग्यतानुसार तृतीय और चतुर्थ श्रेणी पर भर्ती की जाएगी. इसके अलावा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि पदोन्नति में आरक्षण संबंधी पिगुंआ समिति का प्रतिवेदन हाईकोर्ट में प्रस्तुत किया गया है. निर्देशानुसार इस पर कार्यवाही की जाएगी.
छत्तीसगढ़ में 7 विशेष पिछड़ी जनजाति है
राज्य में केंद्रीय पीवीटीजी की संख्या 5 है और राज्य सरकार द्वारा घोषित विशेष पिछड़ी जनजाति 2 है, यानी कुल 7 ऐसी जनजाति है जिनके संरक्षण का जिम्मा राज्य और केंद्र सरकार ने उठाया है. साल दर साल विशेष पिछड़ी जनजाति के लोगों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में पहले से सुधार हुआ है. लेकिन अब भी पिछड़ी जनजाति के लोगों की स्थिति में सुधार की जरूरत है. इस हिसाब से युवाओं को मुख्यधारा में जोड़ने की कवायद एक बड़ा फैसला है.
इन जिलों के युवाओं को मिलेगा नौकरी का अवसर
छत्तीसगढ़ में 7 पीवीटीजी है. इनके इलाको की बात करें तो अबुझमाड़िया जनजाति नारायणपुर,दंतेवाडा और बीजापुर जिले में रहते है.कमार जनजाति गरियाबंद जिले रहते है, इसके अलावा धमतरी और महासमुंद जिले में इनके कुछ परिवार रहते है.बैगा जनजाति कवर्धा और बिलासपुर जिले में रहते है. बिरहोर जनजाति रायगढ़ और जशपुर जिले में दिखेंगे इनकी संख्या केवल 3104 है. विलुप्ति की कगार पर खड़े बिरोहर जनजाति की संरक्षण बेहद जरूरी है. पहाड़ी कोरवा जनजाति जशपुर, सरगुजा, बलरामपुर और कोरबा जिले में मिलते है. भुंजिया जनजाति गरियाबंद,धमतरी और महासमुंद जिले में रहते है. इसके अलावा बलरामपुर जिले में पंडो जनजाति के लोग रहते है.
खतरें के निशान पर है इनकी जनसंख्या
गौरतलब है की 2011 के जनगणना के अनुसार इन सभी जनजातियों में बैगा जनजाति की जनसंख्या 90 हजार के करीब है. बाकी सभी जनजातियों की जनसंख्या 3 हजार से 26 हजार तक है.2011 के जनगणना के अनुसार इन सभी जनजातियों की कुल जनसंख्या 2 लाख के आसपास है. इसमें बिरहोर जनजाति की स्थिति सबसे खराब है. इनकी संख्या केवल 3 हजार 104 है.इनकी जनसंख्या के आंकड़ों की देखते हुए ये अंदाजा लगाया जा सकता है की इनका संरक्षण करना कितना आवश्यक है.
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