Chhattisgarh: बस्तर में जान जोखिम में डाल पढ़ाई के लिए मजबूर हैं मासूम बच्चे, उफनती नदी करते हैं पार
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के कोलार गांव में बच्चे जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं. इस गांव के बच्चे उफनती नदी को पार करते हुए स्कूल जाते हैं.
Kanker School Children Crossing River: बस्तर संभाग के जिलों में इस साल रिकॉर्ड तोड़ हुई बारिश ने विकास के दावों की पोल खोल कर रख दी है. राज्य सरकारों के द्वारा सड़क, पुल-पुलियों के निर्माण में करोड़ों रुपये खर्च करने के दावे खोखले ही साबित हो रहे हैं. बस्तर संभाग के अलग-अलग जिलों से ऐसी तस्वीरें निकल कर सामने आ रही हैं जिसमें स्कूली बच्चों के जान के साथ खुलेआम खिलवाड़ किया जा रहा है. हाल ही में बस्तर जिले के सालेमेटा गांव में बच्चो द्वारा एक उफनते नाले को पारकर स्कूल पहुंचने की वीडियो सामने आया था. अब कांकेर जिले के कोलार गांव में भी एक ऐसी ही तस्वीर निकल कर सामने आई है, जिसमें बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर कमर तक के नदी को पार कर स्कूल पहुंच रहे हैं. बच्चों को जान जोखिम में डालकर नदी पार करना मजबूरी है क्योंकि उनके गांव में स्कूल नहीं बना है, इस वजह से बरसात के मौसम के अलावा बाकी मौसम में भी बच्चे इस नदी को पार कर ही स्कूल पहुंचते हैं.
नदी को पार करते समय कई बार हो चुका है हादसा
कांकेर जिले के कोलर गांव के बच्चे जान जोखिम में डालकर पढ़ने को मजबूर हैं. इसके अलावा तीन बड़े गांव साल्हेभाट, डांगरा और फुलपार के बच्चे बारिश के मौसम में जान जोखिम में डालकर स्कूल पहुंचते हैं. नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने की वजह से इस इलाके के सभी गांव विकास की राह तक रहे है, इन स्कूली बच्चों के परिजन कई बार अपनी समस्याओं को जनप्रतिनिधि से लेकर अधिकारियों के सामने रख चुके हैं. हालांकि आज तक इनकी मांग पूरी नहीं हुई है, इसलिए हर रोज अपनी जान जोखिम में डालकर बच्चे स्कूल जाने को मजबूर हैं. आजादी के 75 साल बाद भी इन इलाकों में रहने वाले ग्रामीण विकास की राह तक रहे हैं. नदी में ना पुल बना है ना कोई पक्की सड़क लिहाजा ग्रामीण पखडंडियो और पैदल नदी को पारकर एक गांव से दूसरे गांव और शहर आते हैं.
जिले के कई इलाकों में बने हैं यही हालात
ये नजारा केवल एक जगह का नहीं है, कांकेर जिले के कई इलाकों में इसी तरह उफनते नदी को पार कर बच्चे स्कूल पहुंचते हैं. अंतागढ़ ब्लॉक के सरंडी पंचायत में भी एक स्कूल सरण्डी नदी के दूसरी पार बना हुआ है. इस स्कूल में जाने के लिए बच्चे सरण्डी नदी को पारकर रोजाना जाते हैं. सरण्डी नदी के उस पार एक ग्राम पंचायत एडानार भी है जहां के बच्चे भी उसी स्कूल में आते हैं. ग्रामीण और यहां के शिक्षक नदी के इस पार स्कूल बनाने की मांग कर रहे हैं ताकि एड़ानार पंचायत और सरंडी के बच्चो को जान जोखिम में डालकर नदी पार कर स्कूल ना आना पड़े. इससे दोनों तरफ से स्कूली बच्चों के लिए स्कूल जाने के लिए जान जोखिम में डालना ना पड़े. हालांकि कई सालों से मांग के बावजूद भी अब तक इस समस्या का कोई समाधान नहीं निकाला गया है.
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![संजीव श्रीवास्तव, फॉरेन एक्सपर्ट](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/c2a1defcd57486ffa5a58595bc83dca3.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)