Kanker News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के गठन के 23 वर्षों में चार बार विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) हो चुके हैं. इन चुनावों में जीत हासिल करने के लिए प्रत्याशी बड़े-बड़े दावे तो करते रहे लेकिन विधायक बनने के बाद अपने सभी दावे भूल गए. ऐसा कांकेर जिले के कोयलीबेड़ा ब्लॉक के निवासी कह रहे हैं जो लंबे समय से पोरौंडी नदी में एक पुल बनाने की मांग कर रहे हैं. हर बार आश्वासन तो मिलता है लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं. आलम यह है कि इस क्षेत्र के बच्चों को बरसात के मौसम (Rainy Season) में अपनी जान जोखिम में डालकर उफनती नदी को पारकर स्कूल जाना पड़ता है.
मिडिल स्कूल के कुछ बच्चे कई बार दुर्घटना के शिकार भी हो चुके हैं लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधि अपनी आंख बंद किए हुए हैं. सिर्फ स्कूली छात्र ही नहीं बल्कि इन स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक और यहां के ग्रामीण मजबूरन उफनती नदी को पैदल पारकर शहर की ओर आने के लिए मजबूर हो रहे हैं. दरअसल कांकेर जिले के कोयलीबेड़ा विकासखंड में स्थित पोरौंडी गांव से घासीपारा के बीच नदी पड़ता है. पोरौंडी गांव में केवल प्राथमिक स्कूल ही संचालित होती है. जबकि मिडिल स्कूल घासीपारा में है. शिक्षकों और बच्चों को घासीपारा के स्कूल तक आने के लिए केवल नदी ही मात्र एक सहारा है.
गर्मी में नदी सूखने पर ही मिलती है राहत
सड़क और पूल नहीं बनने की वजह से मजबूरन उन्हें नदी को पारकर ही आना पड़ता है. हालांकि गर्मी के मौसम में नदी सूख जाती है, ऐसे में उन्हें परेशानी नहीं होती है. कई बार जल स्तर बढ़ जाने से स्कूल की छुट्टी भी कर देते हैं, जिससे उनकी शिक्षा भी प्रभावित होती है. ऐसा नहीं है कि समस्या से स्थानीय जनप्रतिनिधि और अधिकारी अवगत नहीं है.
नदी पार करते हुए बह गया था युवक
घोसापारा स्कूल की शिक्षिका गंगा दुग्गा का कहना है कि गांव में पिछले कई वर्षों से यही हाल बना हुआ है. उन्होंने बताया कि उनका ससुराल पोरौंडी में है और उनकी पोस्टिंग घासीपारा मिडिल स्कूल में है. वह पिछले 10 वर्षों से इस नदी को पार कर स्कूल पहुंचती हैं. जुलाई से लेकर अक्टूबर तक नदी में लबालब पानी भरा रहता है.पिछले साल ही गांव के एक युवक की नदी में बह जाने से मौत हो गई थी और तीन दिन बाद उसकी लाश मिली थी.
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