छत्तीसगढ़: छतीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार को 17 दिसंबर को 3 साल पूरे होने वाले है. भूपेश बघेल ने सीएम के रूप में भले ही 17 दिसंबर को शपथ ली था, लेकिन कांग्रेस को जीत की खुशी 11 दिसम्बर को विधानसभा चुनाव के नतीजे आने पर ही मिल गई थी. पिछले तीन साल में कांग्रेस पार्टी ने सत्ता की सीढ़ी में कई उतार चढ़ाव देखे हैं. लेकिन कांग्रेस पार्टी ने तीन वर्ष में 3 उपचुनाव और नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया है. जिसकी वजह से अब तक कांग्रेस का ग्राफ प्रदेश में गिरता हुआ नहीं दिख रहा है. आज से तीन साल पहले 11 दिसंबर को 2018 विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आए थे. इसमें कांग्रेस पार्टी के 90 में से 67 विधायक चुनाव जीते थे. ये कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में भूपेश बघेल के लिए भी बड़ी जीत थी.


सीएम भूपेश बघेल पर जनता ने किया भरोसा


दरअसल तीन साल पहले देशभर की निगाहे 3 राज्यों के विधानसभा चुनाव पर नजर टिकी थी. तीनो ही राज्यों में कांग्रेस को जीत मिली लेकिन छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने भारी बहुमत से सरकार बनाई. मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिर गई लेकिन राजस्थान की सरकार डगमगा गई. जबकि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार मजबूती से टिकी हुई है. 11 दिसंबर को 2018 में विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आए थे.


इसमें 15 साल से सत्ता पाने का इंतजार कर रही कांग्रेस का इंतजार खत्म हुआ था और 17 दिसंबर को भूपेश बघेल ने सीएम पद की शपथ ली अपको बता दें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के ऊपर प्रदेश की जनता अभी भी पूरा भरोसा कर रही है. उसका नतीजा ये है की कांग्रेस ने सीएम बघेल के नेतृत्व में 3 साल में तीन उपचुनाव में जीत दर्ज की है.


इसके बाद राज्य के 90 सीटों में से 70 पर कांग्रेस का कब्जा हो गया है. नगरीय निकाय चुनाव की बात करें तो 10 के 10 नगरीय निकाय में कांग्रेस के महापौर बने है. वहीं 4 नगरीय निकाय में आगामी समय चुनाव होने है,इसकी तैयारी जारी हैं.


छत्तीसगढ़िया मुख्यमंत्री की काट ढूंढ रही है बीजेपी


2018 विधानसभा चुनाव में सीएम भूपेश बघेल ने तत्कालिक पीसीसी चीफ के रूप में पार्टी को जमीन में उतारने का काम किया. इसके पीछे भूपेश बघेल का आक्रामक तेवर बीजेपी के ऊपर दबाव बनाने में कारगर साबित हुआ. बीजेपी को घेरने के लिए कई आंदोलन चले इस दौरान भूपेश बघेल को चुनाव के ठीक पहले जेल जाना पड़ा. इसके अलावा सीएम भूपेश बघेल को छत्तीसगढ़िया नेता के रूप में भी एक नई पहचान मिलने लगी और प्रदेश की जनता ने इसे स्वीकार भी किया. इसका असर चुनाव जीतने के बाद भी दिखाई दे रहा है.


छत्तीसगढ़ी त्योहारों को सीएम हाउस में मनाया जा रहा है. राज्य के पारंपरिक खेल,नृत्य को बढ़ावा देना कांग्रेस के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है. अकसर देखा जाता है की सीएम छत्तीसगढ़ी में ही आम नागरिकों से कनेक्ट करने की कोशिश करते हैं. अब बीजेपी भी छत्तीसगढ़िया संस्कृति की बात करती है और सीएम भूपेश बघेल के काट को ढूढने में लग गई है.


सीएम ने पेश किया रिपोर्ट कार्ड


3 साल के कार्यकाल पर सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि,11 लाख किसानों का 9 हजार करोड़ रुपए ऋण माफी किया, किसानों के धान 2500 रुपये प्रति क्विंटल खरीदे फिर लोहंडीगुड़ा में आदिवासियों की जमीन वापसी का फैसला लिया. उन्होंने कहा कि हमने आदिवासियों, किसानों, महिलाओं और युवाओं को सशक्त किया है, इसलिए आज छत्तीसगढ़ मॉडल की चर्चा देश भर में है. इसके अलावा अगले दो साल के रणनीति पर बोले कि, गोधन न्याय योजना सहित प्रारंभ की गई कल्याणकारी योजनाओं का सफल क्रियान्वयन किया जा रहा है, जिसका लाभ लोगों को मिल रहा है.


गोधन न्याय योजना में गोबर खरीद कर लगभग 8 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट तैयार किया गया. किसान खेतों में इसका उपयोग कर रहे हैं. आज छत्तीसगढ़ में वर्मी कम्पोस्ट डीएपी खाद का सबसे अच्छा विकल्प बन गया है. गोबर से बिजली बनाने का कार्य प्रारंभ किया गया है. गोबर अभी तक लीपने के काम में आता रहा है, अब इससे पेंट भी बनाएंगे.


सीएम भूपेश बघेल की पहचान सख्त निर्णय लेने वाले मुख्यमंत्री की


सीएम भूपेश बघेल के सख्त तेवर के बारे में प्रदेश में सब जानते हैं. फिर चाहे वो अफसर हों नेता हों या आम आदमी. इसके पीछे सीएम बघेल द्वारा किये गए कई बड़े फैसले हैं. लॉकडाउन के समय जब सूरजपुर कलेक्टर ने बच्चे को थप्पड़ जड़ा था सीएम ने कलेक्टर को हटाने का निर्देश दिया था. सरकार के वादे अनुसार चीटफंड में डूबे पैसे लौटने के मामले लापरवाही पर राज्य के डीजीपी तक को बदलने का निर्णय लेने की उनकी जमकर चर्चा हो रही है.


शायद यही वजह है की अब सीएम भूपेश बघेल कांग्रेस पार्टी के प्रमुख चेहरे में से एक है. चुनावी राज्यों में सीएम भूपेश बघेल को जिम्मेदारी मिल रही है. जहां राज्य को कांग्रेस अपने मॉडल स्टेट के रूप प्रचारित किया है. इसके अलावा दो जिलों के एसपी को केवल इसलिए हटा दिया गया क्योंकि दोनों एसपी पर आरक्षक के साथ गाली -गलौच और मारपीट का आरोप था.


बीजेपी की रणनीति को फेल करने के लिए बनाई रणनीति


छत्तीसगढ़ में सत्ता वापसी के लिए बीजेपी एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. नए प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी के आने के बाद बीजेपी सड़क पर उतरी. इसमें बीजेपी को दो साल लग गए. फिर भी बीजेपी को जमीनी मुद्दों को तलाशने में कामयाबी मिलती दिखाई नहीं दे रही है. राज्य के किसानों को लेकर बीजेपी बैकफुट पर है, तो अब बीजेपी धर्मान्तरण के मुद्दे पर सरकार में आने के प्रयास में लग गई है. बीते 4 महीनो में एक दर्जन से अधिक प्रदर्शन किए जा चुके हैं. इसके बाद भी जनता पर इसका बहुत ज्यादा असर दिखाई नहीं दे रहा है. वहीं सीएम भूपेश बघेल ने एसपी कलेक्टरों को ये स्पष्ट निर्देश दे दिया है की प्रोपेगेंडा फैलाने वालों से सावधान रहें हैं और ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई करें.


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