Korba News: घने वन्य क्षेत्र के बीच पहाड़ के नीचे स्थित नरसिंह गंगा, कोरबा जिले में एक ऐसा जलप्रपात है, जिसके पानी में स्नान मात्र से सारे पाप धुल जाते हैं. इस अनूठे जलप्रपात को गंगा नदी की तरह पवित्र माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि झरने के पानी से नहाने से चर्म रोग से छुटकारा मिलता है. यहां के प्राचीन शिव मंदिर में शिव भक्त सावन मास में दर्शन के लिए बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. श्रद्धालु कांवड़ में जल भरकर जल अभिषेक करने पहुंचते हैं. इसी पानी से वहां मौजूद प्राचीन शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है. इसी कड़ी में इस वर्ष भी 30 जुलाई को ग्राम चैतमा के नवयुवक डीजे की धुन पर भव्य कांवर यात्रा निकालेंगे और नर्सिंग गंगा पहुंचेंगे. सावन में यहां बड़ी संख्या में कांवड़िए जल लेकर पहुंचते हैं.
इस पवित्र मास के अलावा यहां महाशिवरात्रि में भगवान शिव की भव्य पूजा की जाती है. आसपास के भक्त बड़ी संख्या में यहां आकर झरने के पानी से भगवान का जलाभिषेक करते हैं. गौरतलब है कि हरे-भरे जंगल व पहाड़ियों के बीच स्थित मनोरम पर्यटन स्थल नरसिंह गंगा अभी भी पर्यटन के लिहाज से विकसित नहीं हो पाया है. पलामू पहाड़ के एक विशाल चट्टान की गुफा में भगवान नरसिंह व प्राचीन शिव मंदिर में महादेव का वास है. यह एक भव्य धार्मिक स्थल है, जो पथरीली पहाड़ी के बीच झरना के पास स्थित है. दार्शनिक रूप से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है. बावजूद इसके यहां तक पहुंचने के उपलब्ध मार्ग की दुर्गमता इसकी लोकप्रियता कम करने की वजह बन रहा है. जिला प्रशासन ने भी इस पर्यटन स्थल को विकसित करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई.
प्राचीन गुफाओं के बीच नहीं सूखता जलप्रपात का पानी
पाली ब्लॉक के चैतमा से करीब 11 किलोमीटर दूर 500 फीट ऊंचाई से गिरने वाले इस जल प्रपात की एक और खासियत है कि इसका पानी कभी सूखता नहीं है. कोरबा जिले में स्थित नरसिंह गंगा के पहाड़ के आसपास कोई नदी नहीं है, इसलिए इस झरने में पानी कहां से आता है, यह आज भी एक रहस्य बना हुआ है. पहाड़ के सबसे ऊपर लगभग 100 एकड़ समतल मैदान है. हालांकि वहां से कोरबा को देखा जा सकता है, पर वहां तक पहुंचना कठिन है. इसलिए अब तक बहुत कम लोग ही उस जगह तक पहुंच सके हैं. कार्तिक पूर्णिमा व माघी पूर्णिमा में यहां मेला लगता है. इसके आसपास प्राचीन गुफाएं हैं. पहाड़ के ऊपर भगवान शिव और नरसिंह भगवान का मंदिर है.
यहां के जल में स्नान-ध्यान करने से धुल जाते हैं पाप
नरसिंह गंगा के आसपास के निवास करने वाले ग्रामीणों ने बताया कि नरसिंह गंगा जल प्रपात का पानी काफी पवित्र माना जाता है. इसके जल से स्नान और मन में विश्वास रख भगवान नरसिंह से मांगी गई मन्नत पूरी होती है. जनहितैषी कार्य सफल होते हैं. मनोकामना सिद्ध के लिए आने वाले लोगों को जलप्रपात का जल ही लाना पड़ता है. श्रद्धालु नहाने से पहले नरसिंह भगवान की स्तुति करते हैं. थोड़ा चावल व रुपए धारा में अर्पण करने के बाद नहाते हैं. इस तरह उनके पाप इस झरने में धुल जाता है.
यह है मान्यताएं
जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर नरसिंह गंगा झरना तक दोपहिया या चार पहिया वाहन से पहुंचा जा सकता है. चैतमा बस स्टैंड से थोड़ा आगे दाहिनी ओर जलप्रपात तक पहुंचने का रास्ता है. यहां से 12 किलोमीटर दूर जाने के लिए दोपहिया या फिर चारपहिया वाहन की व्यवस्था करनी होती है.
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