Korba SECL Gevra Project News: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में एसईसीएल की मेगा परियोजना गेवरा एरिया में नियमित कर्मचारियों से कहीं अधिक संख्या में विभागीय आवास बने हुए हैं. इसके बाद भी कर्मियों को आवास नहीं मिल रहा है. इसके पीछे वजह बताई जा रही है कि पिछले छह माह से आवास आवंटन समिति की बैठक नहीं हुई है. नियमित बैठक नहीं होने के कारण कर्मियों की आवास संबंधी समस्या की पेंडेंसी बढ़ गई है.
एसईसीएल गेवरा एरिया में कामगारों के लिए आवास की समस्या बनी हुई है. एरिया में नियोजित कर्मियों के लिए एसईसीएल ने क्वार्टर का निर्माण कराया है, जिसे विभागीय कर्मचारियों को आवंटित किया जाता है. निर्धारित हाउस रेंट इसके लिए निर्धारित है, जो उनके वेतन से स्वतः ही कटती रहती है. इसी तरह गेवरा एरिया में प्रबंधन ने अपने कर्मियों के लिए 3200 विभागीय आवासों का निर्माण कराया है.
रहना पड़ रहा है किराए के मकान पर
बताया जाता है कि एरिया में लगभग 2400 कामगार हैं. इसके बाद भी अब तक आधे कर्मचारियों को आवास नहीं मिला हुआ है. आवास नहीं मिलने के कारण कर्मचारियों को किराए पर मकान लेकर रहना पड़ रहा है. इसमें उन्हें भारी भरकम किराया तो देना पड़ ही रहा है, विभागीय कालोनी की तरह खदान के पास ही मकान मिल जाए यह जरूरी भी नहीं है. कहा यह भी जा रहा है कि गेवरा एरिया में आवास आवंटन समिति की अंतिम बैठक 9 सितंबर 2023 को हुई थी. नियमित बैठक नहीं होने के कारण कामगारों और संगठन के समक्ष समस्या नहीं आ पा रही है.
बीएमएस ने की नियमित बैठक कराने की मांग
आवास आवंटन समिति की नियमित बैठक कराने की मांग भारतीय कोयला खदान मजदूर संगठन ने एरिया मुख्य महाप्रबंधक से की है. जिसमें उन्होंने तत्काल आवास आवंटन के लिए नियमावली बनाने की मांग की है. उनका कहना है कि सुचारू रूप से आवंटन की प्रक्रिया को पूर्ण किया जाना चाहिए.
इस संबंध में बीएमएस के हाउसिंग कमेटी के मेंबर सूर्यकांत और कुलदीप ने क्षेत्रीय महाप्रबंधक को आवास नहीं मिलने के कारण कामगारों को होने वाली समस्या से अवगत कराया है. उनका कहना है कि आवास से जुड़े विसंगति को दूर करना अति आवश्यक है. इसके लिए प्रत्येक माह आवास आवंटन समिति की बैठक किया जाना चाहिए. बैठक नहीं होने के कारणों को कामगारों और संगठन के समक्ष प्रबंधन ने नहीं रखा है.
विभागीय आवासों में है कब्जा
एसईसीएल के चारों परियोजना अंतर्गत विभागीय आवास बनाए गए हैं. विभागीय आवासों में व्यापक पैमाने पर कब्जा किया गया है. बेजा कब्जाधारियों से मकान खाली कराने प्रबंधन पूर्व में कागजी कार्रवाई कर चुका है. ऐसे कब्जाधारियों की सूची भी जारी हो चुकी है जिनके द्वारा किया गया कब्जा हटाया जाना है, लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी और यह ठंडे बस्ते में डाल दी गई है. जिसकी वजह से विभागीय कर्मियों को ही आवास उपलब्ध नहीं हो पा रहा है.