Manendragarh-Chirmiri-Bharatpur: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) की मंशा पर उन्हीं के अधिकारी कालिख पोत रहे हैं. सीएम के आदेश पर जिले में शुरु की गई बालवाड़ी योजना अधिकारियों की 'कमाईवाडी' कर रह गई है. आदिवासी इलाकों में नौनिहालों शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए भले ही बालवाड़ी जैसी योजना ला रही हो पर योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है. सरगुजा संभाग (Sarguja Divison) के कई जिलों में बालवाड़ी योजना (Balwadi Yojna) में भ्रष्टाचार की सूचना मिल रही हैं, अकेले मनेन्द्रगढ जिले में 26 लाख से अधिक भ्रष्टाचार का अनुमान लगाया जा रहा है. 


राज्य सरकार ने सतत शिक्षा समग्र योजना के तहत जिस बालवाड़ी योजना की शुरूआत की है, उसमें सामान खरीदने में हुई अनियमितता और भ्रष्टाचार होने की सूचना है. स्कूल के सामानों की सप्लाई करने वाले कुछ सप्लायरों ने बताया है कि, जिन खेल सामग्री की बाजार में कीमत 2 से 3 हजार है उन सामानों के हेड मास्टरों ने 15 हजार रुपये में खरीदा है. आरोप है कि इन सामानों की पूरी सप्लाई जिला मिशन समन्वयक के मौखिक आदेश पर उनके चहेते सप्लायरों द्वारा की गई है. इस बात की पुष्टि पहचान की छिपाने की शर्त पर एक हेड मास्टर ने ही की है. 


गौरतलब हो कि जिला समन्वयक पाण्डेय सूरजपुर के रहने वाले हैं. मनेन्द्रगढ-चिरमिरी-भरतपुर के कुल 176 स्कूलों में सूरजपुर के ओम प्रकाश पुस्तक भंडार नाम के फर्म ने ही खेल सामग्री की सप्लाई की है. सभी स्कूलों के लिए खेल कोटे के तहत 15-15 हजार रुपये की खेल सामग्री खरीदा जाना था. इससे साफ है कि ये नौनिहालों के इस्तेमाल  लिए सामानों की खरीद में किस तहर सरकारी धन बंदर बाटं किया गया है. 


बगैर जीएसटी बिल के हुई सामानों की खरीद


शासकीय सप्लाई करने के अपने नियम कायदे हैं, इन सबसे जरूरी जीएसटी बिल होता है. जिले के स्कूलों में हुई खेल सामग्री सप्लाई दर में जीएसटी जोड़ा ही नहीं गया है और बिना जीएसटी जोड़े ही बिल दे दिया गया है. बिल में दिये गए सामानों का जिक्र भी साफ- साफ नहीं किया गया है. जीएसटी बिल नहीं देने से सरकार को इन सामानों की खरीद फरोख्त पर हजारों रुपयों का सप्लायरों द्वारा चूना लगाया गया हैं. ऐसे में शासन के इस योजना का लाभ स्कूली बच्चों को मिलने के बजाय भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है. 


एक आंकड़े की मुताबिक प्रदेश में कुल 6 हजार 536 बालवाड़ी केंद्रों का संचालन किया जा रहा है. मनेन्द्रगढ-चिरमिरी-भरतपुर जिले में भी कुल 89 बालवाड़ी हैं, जबकि कोरिया जिले में 87 बालवाड़ी हैं. ऐसे में अगर सरकार की बालवाड़ी योजना में खरीदे गए सामानों की खरीद फरोख्त  इसी तरह का भ्रष्टाचार हुआ है, तो ये आंकड़ा बढ़ सकता है. फिलहाल बालवाड़ी योजना में सिर्फ मनेन्द्रगढ और कोरिया में ही भ्रष्टाचार की परतें खुली हैं. 


भ्रष्टाचार की जांच के लिए टीम गठित- कोरिया  जिला कलेक्टर


कोरिया जिले के कलेक्टर विनय संदेह ने बताया कि बालवाड़ी वाले मामले को लेकर मंगलवार को ही टीएल के बाद एक जांच टीम बना दी गई है. ये जांच टीम डिप्टी कलेक्टर, शिक्षा अधिकारी और एक अन्य अधिकारी समेत कुल तीन लोगों पर आधारित है. ये जांच टीम अधिकतम 15 दिनों के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट सौंप देंगे. उन्होंने कहा कि जांच रिपोर्ट के आधार पर ही इस पर आगे की कार्रवाई की जाएगी. 


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