Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ पुरुष नसबंदी के मामले में देशभर में सबसे आगे, जानें 3 साल में कितने पुरुषों ने कराई नसबंदी
छत्तीसगढ़ पुरुष नसबंदी के मामले में देशभर में सबसे आगे है. बीते 3 सालों में 3 हजार से अधिक पुरुषों ने नसबंदी कराई है.
Chhattisgarh Latest News: जनसंख्या नियंत्रण के लिए देशभर में कई वर्षो से जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. लेकिन देश की जनसंख्या लगातार बढ़ते ही जा रही है. इसे रोकने के लिए परिवार नियोजन अभियान भी चल रहा है. लेकिन अकसर देखा जाता है कि केवल महिलाओं को ही नसबंदी के कराने की जिम्मेदारी दी जाती है.
इसके लिए तीखी बहस भी कई बार देशभर में देखी जाती रही है और सवाल उठाए जाते रहे है की सिर्फ महिला ही क्यों? पुरुष भी तो नसबंदी के लिए आगे बढ़ सकते है! लेकिन इसका असर बहुत ही कम दिखाई देता है. पर इस दौर में छत्तीसगढ़ राज्य ने एक मिशाल पेश की है. राज्य पिछले 3 साल से देशभर में पुरुष नसबंदी के मामले में अव्वल है.
नसबंदी में छत्तीसगढ़ देश में पहले स्थान पर
दरअसल पुरुष नसबंदी पखवाड़ा के दौरान पिछले तीन वर्षों 2019 से 2021 के बीच नसबंदी में छत्तीसगढ़ देश में पहले स्थान पर है.इसके लिए बुधवार को नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने प्रदेश को इस उपलब्धि के लिए पुरस्कृत किया.
इस दौरान परिवार नियोजन कार्यक्रम के उप संचालक डॉ. टी.के. टोंडर और कंसल्टेंट डॉ. रोशन गुप्ता ने छत्तीसगढ़ की ओर से यह पुरस्कार लिया है. इसके अलावा राज्य को पुरुष नसबंदी के लिए प्रदेश को दो और श्रेणियों में पुरस्कार प्राप्त हुआ है. एक तो सर्वाधिक पुरुष नसबंदी के लिए डॉ. संजय नवल को राष्ट्रीय स्तर पर द्वितीय पुरस्कार मिला है और पुरुष नसबंदी के लिए दम्पत्ति मोटिवेशन की श्रेणी में रायपुर जिले के तिल्दा की मितानिन केवरा वर्मा को पुरस्कृत किया गया है.
3 साल में 3 हजार 212 पुरुषों ने कराई नसबंदी
परिवार नियोजन कार्यक्रम के उप संचालक डॉ. टी.के. टोंडर ने बताया की पुरूष नसबंदी पखवाड़ा के दौरान पिछले तीन वर्षो में प्रदेश में 3212 पुरुषों की नसबंदी की गई है. पुरूष नसबंदी पखवाड़ा के दौरान वर्ष 2019-20 में 1695, वर्ष 2020-21 में 168 और वर्ष 2021-22 में 1349 पुरूषों ने नसबंदी कराई है.
उन्होंने बताया कि नसबंदी पखवाड़ा के दौरान ग्राम स्तर से लेकर जिला स्तर तक विशेष अभियान चलाकर लोगों में पुरूष नसबंदी को लेकर फैले भ्रम को दूर किया जाता है. ग्राम स्तर पर “मोर मितान मोर संगवारी” चौपाल का आयोजन कर पुरूषों को नसबंदी के लिए प्रेरित किया जाता है.
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