Surajpur News: सूरजपुर जिले में करीब एक वर्ष पूर्व एसईसीएल विश्रामपुर क्षेत्र के द्वारा सीएसआर मद से करीब एक करोड़ रुपए की लागत से एनएच 43 में मुख्य बाजार में लगाई गई स्ट्रीट लाइट सेवा की हालत 1 वर्ष में बद से बदतर हो गई है. कुल 150 खंभों में स्ट्रीट लाइट लगी है, लेकिन अब महज 35 खंभे की लाइट जल रही है, शेष लंबे समय से बंद पड़ी हैं. जिससे क्षेत्रवासियों में आक्रोश की स्थिति बन गई है. लोगों का कहना है कि जब लाइट का लाभ आम लोगों को नहीं देना था, तो आखिर एक करोड़ रुपए फूंकने का क्या औचित्य था.


बिल भुगतान विवाद के कारण बंद हैं लाइटें


बता दें कि एनएच 43 में सड़क निर्माण के साथ डिवाइडर बनाने के बाद लगातार सड़क हादसों में कई मौतों के बाद प्रशासनिक पहल पर विश्रामपुर नगर में केशवनगर से विश्रामपुर महाप्रबंधक कार्यालय से आगे स्टेशन मार्ग तक कुल 150 खंभों में एसईसीएल द्वारा सीएसआर मद से एक करोड़ की राशि स्ट्रीट लाइट के लिए स्वीकृत की गई थी. जिसका उद्घाटन गत वर्ष क्षेत्रीय विधायक व संसदीय सचिव पारसनाथ राजवाड़े व तत्कालीन एसईसीएल जीएम बीएन झा ने किया था, लेकिन कुछ दिनों बाद बिजली बिल भुगतान विवाद को लेकर नगर की 75% लाइट बंद कर दी गई. आज 150 खंभों में से महज 35 खंभों की लाइट बीच बाजार की जलाई जा रही है. शेष 115 लाइटों को बिजली बिल बचाने बंद कर दिया गया है, जिससे एनएच व बाजार का बड़ा हिस्सा लंबे समय से अंधकार में डूबा हुआ है.


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कई बार हो चुके हैं हादसे


बता दें कि बिजली बंद होने और लोगों को हो रही परेशानी से ना तो विभाग को कोई लेना देना है, ना तो जनप्रतिनिधियों को..जिससे लोग परेशान हैं और विभाग के खिलाफ प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि रात में लाइट बंद होने से अंधकार की वजह से कभी भी गंभीर हादसा हो सकता है. गौरतलब है कि एनएच 43 पर लाइट नहीं जलने के कारण कई बार राहगीर सड़क हादसे का शिकार होकर घायल हुए हैं. इसके बावजूद प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रही है और बंद लाइटों को फिर से चालू करने कोई पहल नहीं किया जा रहा है. जिसे एनएच पर रात के समय हमेशा दुर्घटना का खतरा बना रहता है. प्रशासन की उदासीनता से आक्रोशित क्षेत्र के लोगों ने जल्द व्यवस्था नहीं सुधारने पर प्रदर्शन की तैयारी शुरू कर दी है.


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