Kanker Lok Sabha Election 2024: छत्तीसगढ़ में कुल 11 लोकसभा सीटें हैं. इनमें से कांकेर लोकसभा सीट काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है. महानदी के तट से सटे विशाल भू-भाग का एक बड़ा भाग कांकेर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. इस क्षेत्र में महानदी बहती है और गढ़िया पहाड़ इस स्थान की प्राकृतिक सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं. आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने की वजह से यहां आदिवासियों की जनसंख्या काफी अधिक है.


कांकेर की कुल आबादी लगभग 26 लाख है, जिसमें से 42 फीसदी आबादी आदिवासियों की है. यही कारण है कि यहां के मूल मुद्दे आदिवासियों से जुड़े हुए हैं. बस्तर लोकसभा क्षेत्र की तरह कांकेर लोकसभा क्षेत्र भी नक्सल प्रभावित होने के कारण आजादी के 76 साल बाद भी कई बुनियादी सुविधाओं के विकास से अछूता है. यहां के आदिवासियों के मुख्य आय का स्रोत वनोपज है. चारों ओर से घने जंगल और पहाड़ियों से घिरा कांकेर लोकसभा क्षेत्र में कोई भी फैक्ट्री या खदान नहीं है. यहां के रहवासी खेती किसानी और जंगलों से मिलने वाले वनोपज पर निर्भर हैं.


क्या हैं स्थानीय मुद्दे?
कांकेर लोकसभा क्षेत्र में नक्सल समस्या सहित कहीं ऐसे मुद्दे हैं, जिनको लेकर यहां की जनता लंबे समय से जूझ रही हैं. हर बार की तरह लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान क्षेत्र में विकास के दावे तो किए जाते हैं, लेकिन आज भी कांकेर लोकसभा क्षेत्र के ग्रामीण अंचलों में मूलभूत सुविधाओं की कमी है. नक्सलवाद की वजह से कई गांव विकास से अछूते हैं. कांकेर के वरिष्ठ पत्रकार गौरव श्रीवास्तव का कहना है कि कांकेर लोकसभा क्षेत्र का अधिकतर हिस्सा नक्सल प्रभावित है. यहां नक्सलियों की उपस्थिति हमेशा बनी रहती है.


गौरव श्रीवास्तव के मुताबिक, यही कारण है कि कांकेर लोकसभा सीट के संवेदनशील क्षेत्रों में विकास कार्य काफी मुश्किल से हो पाता है. हालांकि समय के साथ-साथ कुछ क्षेत्रों में विकास हुआ है. इसके बावजूद क्षेत्र में आज भी कई जगहों पर शिक्षा के साथ-साथ स्वास्थ सुविधा और अन्य सुविधाओं की कमी है. कई जगहों पर पेयजल की समस्या है. यहां के लोग आज भी झील-झरना और तुर्रा के पानी के सहारे जी रहे हैं. उन्होंने कहा कि ग्रामीणों के लिए पक्की सड़क सपने जैसा है. यहां के ग्रामीण पेयजल, बिजली और शिक्षा के साथ ही मूलभूत सुविधाओं की मांग को लेकर मतदान करते हैं.


कांकेर सीट का संसदीय इतिहास
आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र कांकेर लोकसभा में कुल 8 विधानसभा सीटें हैं और कांकेर शहर इसका मुख्यालय है. साल 1999 के लोकसभा चुनाव में कांकेर लोकसभा सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 10 लाख 36 हजार 799 थी. इस सीट पर बीजेपी प्रत्याशी सोहन पोटाई ने जीत हासिल की थी. उन्हें कुल 3 लाख 18 हजार 40 वोट मिले थे. वहीं, साल 2004 के लोकसभा चुनाव में कांकेर लोकसभा सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 11 लाख 52 हजार 128 थी. इस सीट पर एक बार फिर से बीजेपी उम्मीदवार सोहन पोटाई ने जीत हासिल की और सांसद बने. उन्हें कुल 2 लाख 74 हजार 294 वोट मिले थे. 


साल 2009 के लोकसभा चुनाव में भी सोहन पोटाई को बीजेपी ने तीसरी बार टिकट दिया और एक बार फिर सोहन पोटाई ने कांग्रेस की प्रत्याशी फूलोदेवी नेताम को हराकर दिल्ली पहुंचे. हालांकि साल 2014 में सोहन पोटाई की जगह पर बीजेपी ने वरिष्ठ नेता विक्रम उसेंडी को कांकेर सीट से टिकट दिया. इस चुनाव में कांग्रेस को नाकामी हाथ लगी. बीजेपी प्रत्याशी विक्र उसेंडी ने कांग्रेसी की फूलोदेवी नेताम बड़े अंतर से हराया.


साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने मोहन मंडावी को प्रत्याशी बनाया. मोहन मंडावी ने कांग्रेस प्रत्याशी बीरेश ठाकुर को बड़े अंतर से हराया. इस साल भी बीजेपी ने इस सीट से प्रत्याशी बदल दिया है. बीजेपी ने इस बार कांकेर सीट से अंतागढ़ के पूर्व विधायक और धर्मांतरण विरोधी चेहरा भोजराज नाग को टिकट दिया है. पिछले पांच कार्यकाल से कांकेर लोकसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशियों का दबदबा रहा है. यही वजह है कि कांकेर सीट को बीजेपी का गढ़ कहा जाता है. 


कांकेर में मतदाताओं की संख्या
कांकेर लोकसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 16 लाख 50 हजार 692 है. जिसमें महिला मतदाताओं की संख्या 8 लाख 43 हजारर 124 है, जबकि पुरूष मतदाताओं की संख्या 8 लाख 7 हजार 549 है. इस सीट पर थर्ज जेंडर वोटर्स की संख्या 19 है.  इस सीट पर मतदान केंद्रों की संख्या 2090 है. जिसमें 300 से ज्यादा मतदान केंद्र संवेदनशील और 100 से ज्यादा मतदान केंद्र अति संवेदनशील क्षेत्र में आते हैं. यहां मतदान शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराना हमेशा से जिला प्रशासन के लिए चुनौती पूर्ण रहा है.


हालांकि हर चुनाव की तरह इस बार भी कांकेर लोकसभा क्षेत्र संवेदनशील होने की वजह से अतिरिक्त फोर्स की मांग की गई है. कई मतदान केंद्र तक जाने के लिए हेलीकॉप्टर का सहारा लिया जाता है. कांकेर लोकसभा सीट पर दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान होना है. इस सीट पर 8 अप्रैल को नामांकन पत्र दाखिल करने की आखिरी तारीख है. कांग्रेस ने इस सीट पर प्रत्याशी के नाम पर मुहर नहीं लगाई है, इसको लेकर दिल्ली मंथन का दौर जारी है. 


जातिगत समीकरण 
आदिवासी- 70 %
ओबीसी- 20 %
सामान्य- 10 %


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