Makar Sankranti In Chhattisgarh: पंचांग के अनुसार मकर संक्रांति का पर्व पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है. मकर संक्रांति हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार है. इसे देशभर में अलग-अलग नामों के साथ मनाया जाता है. इस दिन स्नान, दान पूजा-पाठ और तिल खाने की परंपरा है. मकर संक्रांति के दिन ही ग्रहों के राजा सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं.


वैसे तो मकर संक्रांति का पर्व प्रत्येक वर्ष 14 जनवरी के दिन ही मनाया जाता है. लेकिन 2023 में मकर संक्रांति के डेट को लेकर लोगों के बीच असमंजस की स्थिति है. कुछ विद्वानों का मत है कि 2023 में मकर संक्रांति 14 जनवरी को होगी तो वहीं कुछ का कहना है कि मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी. जनवरी 2023 से नया साल शुरू होने जा रहा है. इस महीने पौष मास की समाप्ति 6 जनवरी 2023 को होगी.


इसके बाद 7 जनवरी 2023 से माघ माह शुरू हो जाएगा. व्रत-त्योहार की दृष्टि से जनवरी का महीना बहुत खास माना जाता है. इस माह में पौष पुत्रदा एकादशी, मकर संक्रांति, पोंगल, लोहड़ी, गुप्त नवरात्रि, वसंत पंचंमी जैसे बड़े त्योहार मनाए जाएंगे. आइए आज जानते हैं जनवरी में विशेषकर उत्तर भारत में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा त्योहार मकर संक्रांति पर इस बार कैसे खास फलदायी योग बन रहा है.


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब सूर्य धनु राशि में होता है, तो इसे अशुभ काल माना जाता है. इस राशि में एक महीने तक रहने के बाद सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करता है तो मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है. साल 2023 में 14 जनवरी की रात सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर रहा है, इसलिए 15 जनवरी को सूर्योदय पर पुण्य काल मनाया जाएगा. ऐसे में शनि स्वयं की राशि में गोचर कर रहा है और मालव्य योग बन राह है. ऐसा संयोग कई सालों बाद एक बार आता है. इस पुण्य काल को बहुत शुभ माना जाता है.


ज्योतिषाचार्य की मानें तो मकर संक्रांति पर शश और मालव्य योग का होना दान पुण्य के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है. इस दिन तिल, गुड़, चावल, मूंग दाल, तांबा, सोना, वस्त्र का दान करने से हजार गुना बढ़कर फल प्राप्त होता है. इस दिन भक्त पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है. मकर संक्रांति पर सुकर्मा योग भी है. इस दिन दान करने से जीवन में समृद्धि की वृद्धि होती है.


सूर्य की संक्रांति


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रविवार को सूर्य के मकर संक्रांति का पुण्य काल श्रेष्ठ माना जाता है. रविवार के दिन सूर्य और शिव पूजा से बौद्धिक क्षमता में वृद्धि है.


बरसों बाद बनते हैं शश और मालव्य योग


शश और मालव्य योग का संयोग दशकों में एक बार बनता है. यह मकर संक्रांति के लिए विशेष फलदायी है. इस योग में काला तिल, गुड़ का दान करने से सारे कष्ट दूर होंगे.


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


इसे भी पढ़े:


Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में टीवी के उन्मूलन के लिए आगे आई इंडियन ऑयल, बीमारी को खत्म करने में ऐसे करेगी मदद