Chhattisgarh News: बस्तर में कुपोषण मुक्त अभियान का बुरा हाल, जानें कितने हजार बच्चे हैं अभी भी हैं कुपोषित?
बस्तर में कुपोषण मुक्त अभियान का बुरा हाल है. आरोप है कि आंगनबाड़ी केंद्रों में योजनाओं का लाभ बच्चों को नहीं मिल पा रहा है. यहां जानें कितने हजार बच्चे अभी भी कुपोषित हैं?
Chhattisgarh News: राज्य सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ के बस्तर में चलाए जा रहे कुपोषण मुक्त बस्तर अभियान का इन दिनों बुरा हाल है, महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा बस्तर जिले में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों में विभिन्न योजनाओं का सही लाभ बच्चों को नहीं मिल पा रहा है. यही वजह है कि जिले में अभी भी 22 हजार 500 से अधिक बच्चे कुपोषित हैं. जिनको पोषण आहार नहीं मिल पा रहा है, हालांकि विभाग के अधिकारी दावा कर रहे हैं कि इन बच्चों तक कुपोषण मुक्त अभियान के तहत सभी योजना का लाभ पहुंच रहे हैं, लेकिन अभी भी जिले के 22 हजार 500 बच्चे कुपोषित हैं और इनमें अधिकतर बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हैं, जिसके लिए विभाग द्वारा अलग से कोई विशेष मीनू नहीं बनाया गया है और ना ही इनके पोषण आहार में कुछ नये खाद्य सामानों को शामिल किया गया है, हालांकि पिछले 2 सालों में बस्तर जिले में कुपोषण का प्रतिशत जरूर घटा है, लेकिन इन 22 हजार 500 बच्चे के लिए विभाग द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है.
22 हजार बच्चों को नहीं मिल पा रहा पोषण आहार
दरअसल बस्तर जिले में 1981 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं और शहर में 72 केंद्र चलाए जा रहे हैं. विभाग के मुताबिक इन केंद्रों में 85 हजार से अधिक बच्चे पंजीकृत हैं, समय-समय पर इन केंद्रों में शासन द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है, बावजूद इसके विभाग से मिली रिपोर्ट के मुताबिक 22 हजार 500 बच्चे कुपोषण का शिकार हैं और इनमें अधिकतर ग्रामीण अंचलों के बच्चे शामिल है. इसके पीछे वजह यह बताया जा रहा है कि इन बच्चों तक सही पोषण आहार नहीं पहुंच पा रहा है. शासन द्वारा हर केंद्रों के लिए कागजों में तो पोषण आहार की लिस्ट बना दी जाती है लेकिन ग्रामीण अंचलों में इन बच्चों तक यह आहार नहीं पहुंच पाता, जिस वजह से जो बच्चे कुपोषण का शिकार हैं वह अति कुपोषित की श्रेणी में आ जाते हैं हालांकि विभाग का कहना है कि पिछले 2 सालों में बस्तर जिले में स्थिति सुधरी है और कुपोषण का प्रतिशत भी काफी घटा है. वर्तमान में बस्तर जिले में कुपोषण 22 फीसदी है और विभाग द्वारा कोशिश की जा रही है कि आने वाले एक 2 सालों में कुपोषण मुक्त बस्तर अभियान को पूरी तरह से सफल किया जाए.
NGO के जरिये आंगनबाड़ी केंद्र होंगे संचालित
विभाग के अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में जिले के अलावा शहर के कई आंगनबाड़ी केंद्रों में आंगनबाड़ी भवन और खेलने के लिए परिसर नहीं होने से किराए के भवनों में आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रही है, ऐसे में इनके लिए भूमि के साथ ही बाल सुलभ आंगनबाड़ी, नवीन आंगनबाड़ी अतिरिक्त कक्ष ,बाल सुलभ शौचालय का निर्माण, किचन शेड निर्माण सहित पोषण आहार व्यवस्था को बेहतर करने की जरूरत है, अधिकारियों का कहना है कि जिला प्रशासन अब जिले में सक्रिय सामाजिक संगठनों से संपर्क साधने में भी जुट गया है ताकि कुपोषण को एनजीओ मॉडल पर रन करके दूर किया जा सके, जिला प्रशासन के सूत्रों की मानें तो इसके लिए कुछ एनजीओ से फाइनल स्तर पर बातचीत भी की जा रही है.
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