Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में अभियान का दिखने लगा असर, जानें कैसे दो लाख से ज्यादा बच्चे हुए कुपोषण मुक्त
छत्तीसगढ़ में कुपोषण मुक्त अभियान का असर दिखने लगा है. पिछले 3 सालों में इसमें काफी कमी आई है. महिला एवं बाल विकास विभाग ने आंकड़े जारी किए हैं.
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर प्रदेश में कुपोषण मुक्ति के लिए चलाए जा रहे अभियान के लगातार सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं. महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा वजन त्यौहार 2022 के आंकड़े जारी कर दिए गए हैं. इसके अनुसार प्रदेश में पिछले एक वर्ष में कुपोषण के दर में 2.1 प्रतिशत की कमी आई है. वजन त्यौहार के आंकड़े देखें तो वर्ष 2019 में छत्तीसगढ़ में बच्चों में कुपोषण 23.37 प्रतिशत था, जो वर्ष 2021 में घटकर 19.86 प्रतिशत रह गया और 2022 में घटकर 17.76 प्रतिशत पर आ गया है. इस प्रकार पिछले तीन सालों में कुपोषण की दर में 5.61 प्रतिशत की कमी दिखाई दी है.
छत्तीसगढ़ में लगभग दो लाख से ज्यादा बच्चे कुपोषण से हुए मुक्त
बता दें कि 02 अक्टूबर 2019 से प्रदेश में कुपोषण मुक्ति के लिए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान शुरू किया गया है. इससे प्रदेश के लगभग 02 लाख 11 हजार बच्चे कुपोषण से मुक्त हुए हैं. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के 2020-21 में जारी रिपोर्ट के आंकड़े देखे जाएं, तो प्रदेश में 5 वर्ष तक बच्चों के वजन के आधार पर कुपोषण की दर 6.4 प्रतिशत कम होकर 31.3 प्रतिशत हो गई है. यह दर कुपोषण की राष्ट्रीय दर 32.1 प्रतिशत से भी कम है.
वजन त्यौहार का आयोजन
छत्तीसगढ़ में बच्चों में कुपोषण दर पता लगाने के लिए हर साल वजन त्यौहार का आयोजन किया जाता है. वजन त्यौहार के दौरान प्रदेश के आंगनबाड़ियों में अभियान चलाकर बच्चों का वजन, ऊंचाई मापकर उनकी उम्र के आधार पर कुपोषण का आंकलन किया जाता है. इस दौरान बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण भी किया जाता है. कलेक्ट किये गए आंकड़ों की ऑनलाइन सॉफ्टवेयर में एंट्री कर पारदर्शी प्रक्रिया अपनायी जाती है. इस वर्ष प्रदेश में अगस्त माह में वजन त्यौहार का आयोजन किया गया था.
86 हजार से अधिक बच्चे गंभीर कुपोषित मिले
इस दौरान प्रदेश के 33 जिलों में 23 लाख 79 हजार 29 बच्चों का वजन लिया गया. इनमें 19 लाख 56 हजार 616 बच्चे सामान्य पाए गए, जबकि 04 लाख 22 हजार 413 बच्चों में कुपोषण की स्थिति देखी गई. इनमें 86 हजार 751 बच्चे गंभीर कुपोषण और 03 लाख 35 हजार 662 बच्चे मध्यम कुपोषित मिले. इसी प्रकार बच्चों की ऊंचाई के आधार पर बौने बच्चों का भी आंकलन किया गया है.
मुख्यमंत्री की पहल पर चलाया जा रहा है कुपोषण मुक्ति अभियान
बता दें कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर मुख्यमंत्री सुपोषण योजना के माध्यम से कुपोषण मुक्ति के लिए प्रदेशव्यापी अभियान चलाया जा रहा है.
महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य और सुपोषण को प्राथमिकता क्रम में रखते हुए इसके लिए राज्य में डीएमएफ, सीएसआर और अन्य मदों की राशि का उपयोग किये जाने की अनुमति मुख्यमंत्री बघेल ने दी है. जनसहयोग भी लिया गया है. योजना के तहत कुपोषित महिलाओं, गर्भवती और शिशुवती माताओं के साथ बच्चों को गरम भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. प्रदेश में कुपोषण मुक्ति के लिए विभिन्न विभागों के साथ योजनाओं को एकीकृत कर समन्वित प्रयास किये जा रहे हैं. इससे तेजी से महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य के साथ पोषण स्तर में सुधार देखा जा रहा है.
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