Chhattisgarh News: पुराने जमाने में राजाओं के महल, गढ़ी, प्राचीन धर्मशाला और लोगों के घर को बनाने के लिए जिस सामग्री का इस्तेमाल किया जाता था वो आज प्रचलन में नहीं है. लोग उससे पूरी तरह से दूर ही नहीं बल्कि उसे भूल भी चुके है, लेकिन जांजगीर चांपा (Janjgir-Champa) जिले के एक युवा ने प्राचीन काल के बिल्डिंग मैटेरियल का इस्तेमाल अपने नए घर को बनाने में किए हैं.


दरअसल, आधुनिक युग में लोग इसे 'ईको फ्रेंडली हर्बल होम' कह रहे हैं. इस हर्बल होम में न ही सीमेंट का इस्तेमाल किया जा रहा है और न ही छड़ का इस्तेमाल किया गया है. ऐसे में आप सोच रहे होंगे कि फिर घर कितना मजबूत होगा, तो उन प्राचीन इमारत को देख लीजिए जो सैंकड़ों साल बाद आज भी उसी तरह खड़े हैं, जैसे बनने के समय थे. 


जांजगीर चांपा जिले में रहने वाले धर्मेंद्र राणा ने ईको 'फ्रेंडली हर्बल होम' का निर्माण कराया है. राणा ने अपने घर को बनाने के लिए सीमेंट की जगह प्राचीन बिल्डिंग मैटेरियल गुड गोंद और चूने का इस्तेमाल ईंट से ईंट जोड़ने के लिए किया है. इतना ही नहीं राणा घर बनाने के लिए सरिया (छड़) की जगह लकड़ी का इस्तेमाल कर रहे हैं.


बता दें कि धर्मेन्द्र राणा ने जब ईको फ्रेंडली हर्बल होम बनाने का मन बनाया तो उन्होंने कई इंजीनियर से संपर्क किया, लेकिन किसी ने जोखिम नहीं उठाना चाहा. इसके बाद राणा अपने इस हर्बल होम को बनाने के लिए खुद ही जुट गए और अब इस तरह के माकान निर्माण को लेकर राणा लोगों के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं. 


कैसे तैयार हो रहा है बिल्डिंग मैटेरियल?
घर के निर्माण में जोड़ाई के लिए धर्मेंद्र राणा जिन बिल्डिंग मैटेरियल का उपयोग कर रहे हैं, उसमें गुड, गोंद और चूने का मिश्रण तैयार करने के लिए तीनों सामान को करीब 15 दिन तक मिक्स करने के लिए एक टैंक में रखा जाता है. इसके बाद इससे तैयार पेस्ट से ईंट जुड़ाई का काम किया जा रहा है और इस तरह तैयार पेस्ट सीमेंट की जगह पर इस्तेमाल हो रहा है.


इसके अलावा धर्मेंद्र छत ढलाई में भी हर्बल तकनीक का उपयोग कर रहे है. इसके लिए वो गुंगुर धूप, नीला थोथा और पटुआ से छत ढलाई का काम कर रहे हैं. इससे घर पर सूर्य की रोशनी का प्रभाव कम होता है और घर के अंदर नार्मल टंप्रेचर बना रहता है. इससे घर में एयर कंडीशनर लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है. इतना ही नहीं ठंड में रूम के सामान्य टंप्रेचर के कारण घर के अंदर हीटर या अलाव जलाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी. 


इन बड़ी बीमारियों से मिलेगा छुटकारा
आज के युग में प्राचीन तकनीक से घर बनवाने वाले धर्मेंद्र मानते हैं कि, इस तरह के ईको फ्रेंडली और हर्बल होम बनाने से कई बीमारियों से बचा जा सकता है. इनमें बीपी, शुगर, अस्थमा और हार्ट संबंधी बीमारी शामिल है. इतना ही नहीं राणा के अनुसार आज के समय में घर बनाने के बाद उसको सजाने के लिए लोग टाइल्स, मार्बल का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसका मानव स्वास्थ्य पर खराब असर पड़ रहा है. साथ ही घरों में वेंटीलेशन नहीं होने और एसी लगे होने की वजह से प्राकृतिक हवा घर के अंदर नहीं आ पाती है जो सेहत के लिए सही नहीं है.


कुल मिलाकर धर्मेन्द्र राणा के मुताबिक कम खर्च में बने इस हर्बल होम में सामान्य टंप्रेचर की वजह से एसी नहीं लगाना पड़ेगा. इससे बिजली बिल में कटौती होगी और हर्बल प्रोडक्ट होने की वजह से कई बीमारियों से राहत मिलेगी.



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