Bastar: छत्तीसगढ़ का नक्सल प्रभावित क्षेत्र बस्तर पिछले 4 दशकों से नक्सलवाद का दंश झेल रहा है. कुछ सालों से नक्सलवाद से सबसे ज्यादा नुकसान क्षेत्र के ग्रामीणों को उठाना पड़ रहा है. नक्सलियों द्वारा जारी बुकलेट में खुद नक्सलियों ने बीते 5 सालों में 409 ग्रामीणों की हत्या मुखबिरी की शक में करने की बात स्वीकार की है. यही नहीं बीते साल खुद नक्सलियों को भी काफी बड़ा नुकसान हुआ है. इस एक साल में उनके 137 साथियों की मौत हुई है. जिसमें मुठभेड़ और बीमारियों से हुई मौत के भी आंकड़े शामिल है. दसरसल नक्सलियों ने अपने सैन्य संगठन PLGA की 22 वीं वर्षगांठ 2 से 8 दिसंबर तक मनाने का एलान किया है. उससे पहले उन्होंने अपनी एक बुकलेट प्रेस को जारी की है. जिसमें नक्सलियो ने अपने नफा नुकसान और जवानो को पहुंचाए नुकसान के साथ आम ग्रामीणों की हत्या का भी आंकड़ा जारी किया है.
मुठभेड़ में मारे गए सबसे ज्यादा नक्सली
नक्सलियो के सेंट्रल कमेटी के द्वारा जारी बुकलेट में उन्होंने लिखा है कि उन्हें सबसे ज्यादा नुकसान इस साल 2022 में गढ़चिरौली मुठभेड़ में हुआ है. जहां महाराष्ट्र में नक्सल मोर्चे पर तैनात C-60 कमांडो से हुई मुठभेड़ में जवानों ने 28 नक्सलियों को मौत के घाट उतारा. इस मुठभेड़ में नक्सलियों के सेंट्रल कमिटी मेंबर मिलिंद तेलटुंबड़े की भी मौत हो गई थी. इसके अलावा नक्सलियों ने अपने दस्तावेज में यह दावा किया है कि साल 2021 -22 के दौरान उन्होंने सलवा जुडूम के कुल 51 लोगों और 40 नेताओं के अलावा 40 जन विरोधी नेताओं की हत्या की है. वहीं नक्सलियों को भी नुकसान हुआ है.
कुल 137 नक्सलियो की मुठभेड़ और गंभीर बीमारी से मौत हुई है. छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य में हुए पुलिस नक्सली मुठभेड़ों में सबसे ज्यादा कुल 89 नक्सली मारे गए हैं. बीते 5 सालों में नक्सलियों ने 1300 हमले, 300 से ज्यादा आगजनी और 400 से ज्यादा जवानों की हत्या करने का दावा किया है. यह सभी जानकारी नक्सलियों ने अपने द्वारा जारी बुकलेट में दी है. उन्होंने इस बुकलेट को हिंदी, गोंडी और तेलुगु भाषा में जारी किया है.
बस्तर में नक्सली संगठन पड़ा रहा कमजोर- आईजी सुंदरराज पी
बस्तर आईजी सुंदरराज पी का कहना है कि दुनिया भर के आतंकवादी संगठन जब बैकफुट पर आते हैं तो निर्दोष लोगों की हत्या करते हैं. बस्तर में भी यही हो रहा है. नक्सली अपने लगातार कमजोर पड़ते संगठन से पूरी तरह से बौखलाए हुए हैं. वो निर्दोष ग्रामीणों की मुखबिरी के शक में हत्या कर रहे हैं, लेकिन वह दिन दूर नहीं है जब पूरी तरह से नक्सलियों का खात्मा हो जाएगा. इधर स्थानीय नक्सली भी नक्सली संगठन के खोखले विचारधारा को समझ चुके हैं. इसी वजह से वो लगातार आत्मसमर्पण कर रहे हैं. नक्सलियों का जीवन अंधकार मय हो गया है और जल्द ही इनका पतन भी होने वाला है.
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