Chhattisgarh Medicines Price Increase: पेट्रोल-डीजल और घरेलू एलपीजी सिलेंडर के दाम लगातार बढ़ते जा रहा है. महंगाई की मार से आम जनता परेशान हो रही है. इसी बीच बीमार मरीजों की एक और झटका लगा है, ये महंगाई की दोहरी मार है. जरूरी दवाइयों (Medicines) के दाम एक अप्रैल से 10.7 प्रतिशत बढ़ने जा रहे है. इससे मरीजों (Patients) और उनके तमीरदारों की जेब पर अतिरिक्त भार पड़ेगा. दरअसल, भारत सरकार (Indian Government) ने जीवन रक्षक दवाइयों की कीमतों में बढ़ोतरी की अनुमति दे दी है. इससे अब 800 जरूरी दवाइयों के दाम बढ़ जाएंगे. इसमें डायबिटीज, बीपी, पेन किलर, हार्ट से जुड़ी बीमारियों की दवाइयां शामिल हैं. दवाइयों के दाम कितने बढ़ जाएंगे इसे समझने लिए मान लिए अगर कोई डायबिटीज का मरीज है और हर महीने 500 रुपए का दवाई लेता है तो अब उसे 550 रुपए इन दवाइयों के लिए चुकाना पड़ेगा.


800 जीवन रक्षक दवाएं होंगी महंगी
रायपुर के दावा विक्रेता संघ के अध्यक्ष विनय कृपलानी ने बताया कि भारत सरकार ने आवश्यक दवाइयों की लिस्टिंग की है, इसमें जरूरी दवाएं को रखा जाता है, इसमें लगभग 800 दवाएं है. इन दवाओं की कीमतों को सीधे तौर पर सरकार कंट्रोल करती है. सरकार की तरफ से ही इन दवाओं के दाम तय किए जाते हैं. एक साल के लिए दवाओं दाम फिक्स हो जाते हैं.


सबसे ज्यादा इन दवाइयों की है डिमांड 
अभी मेडिकल स्टोर में डायबिटीज की 10 गोली की स्ट्रिप 40 रुपए 85 पैसे में मिल रही है. अगर इसमें 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी तो ये लगभग 45 रुपए की एमआरपी हो जाएगी. दवाई व्यवसायियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक हार्ट और डायबिटीज, बीपी दवाइयों की डिमांड रहती है. इसके मरीज रोजाना दवाई खरीदते हैं. इन पर कीमतों के बढ़ने से व्यापक प्रभाव पड़ेगा.


क्यों बढ़ते है दवाइयों के दाम 
दावा विक्रेता संघ रायपुर के अध्यक्ष विनय कृपलानी ने बताया कि हर साल होल सेल प्राइस इंडेक्स होता है, जिसे भारत सरकार का इकोनोमिक विंग डिसाइड करता है. बीते साल में होल सेल प्राइस क्या रहा है उसके अनुसार दवाओं के दाम में बढ़ोतरी की अनुमति दी जाती है. पिछले साल का होल सेल प्राइस 10. 7 के आसपास आया है. ड्रग प्राइस कंट्रोल के अंतर्गत दवाइयां आती हैं उनमें भी लगभग 10.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जाएगी.




दवाइयों की एमआरपी के लिए सरकार का कंट्रोल जरूरी
दवाइयों के 10 प्रतिशत तक दाम बढ़ने के बाद भी दावा विक्रेता कहते हैं कि सरकार के कंट्रोल में ही दवाइयों के रखना चाहिए. विनय कृपलानी ने बताया कि जिन दवाइयों पर सरकार का कंट्रोल नहीं होता है उन दवाइयों के दाम ज्यादा बढ़ जाते हैं. पिछले साल 20 से 30 प्रतिशत तक दवाइयों के दाम बढ़ चुके हैं. रॉ मटेरियल के रेट बढ़ गए हैं तो ऐसे समय में दवाइयों का दाम बढ़ा दिया जाता है. हालाकि, दवाइयां महंगी होने से आम जनता पर फर्क जरूर पड़ेगा लेकिन हालात नियंत्रण में रहेंगे.


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