छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए मध्य प्रदेश से बाघ लाए जाएंगे. जिन्हें अचानकमार टाइगर रिजर्व में छोड़ा जाएगा. इसके साथ ही साथ बारनवापारा अभ्यारण्य में भी बाघों के लिए अनुकूल परिस्थितियों के चलते टाइगर छोड़े जाएंगे. इसके लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में सोमवार को मुख्यमंत्री निवास में छत्तीसगढ़ राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक हुई है. इस बैठक में कई प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है. इसके साथ ही साथ वन्य प्राणियों की सुरक्षा और संरक्षण, जंगली जानवर और मनुष्यों के बीच बढ़ते संघर्ष को रोकने के लिए भी प्रसत्व को मंजूरी दी गई है.


छत्तीसगढ़ में मध्य प्रदेश से लाए जाएंगे टाइगर


छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या चार गुना करने के लिए ग्लोबल टाइगर फोरम (जीटीएफ) द्वारा प्रस्ताव दिया गया था, जिसके क्रियान्वयन की अनुमति बैठक में दी गई. इसके तहत अचानकमार टाइगर रिजर्व में बाघ मध्यप्रदेश से लाकर छोड़े जाएंगे. अधिकारियों ने बताया कि अचानकमार टाइगर रिजर्व में वन्यप्राणियों के लिए जल स्त्रोतों, चारागाह को विकसित किया गया है, जिससे शाकाहारी वन्यप्राणियों की संख्या में वृद्धि हो सके. छत्तीसगढ़ राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक में बलौदाबाजार जिले के बारनवापारा अभ्यारण्य में फिर से टाइगरों को पुनर्स्थापित करने के लिए टाइगर छोड़ने के प्रस्ताव को भी सैद्धांतिक सहमति दी गई.


2010 के बाद से नहीं दिखे टाइगर 


अधिकारियों ने बताया कि बारनवापारा अभ्यारण्य में साल 2010 तक टाइगर पाए जाते थे. टाइगर रि-इंट्रोडक्शन और टाइगर रिकव्हरी प्लान के तहत ख्याति प्राप्त वन्यप्राणी संस्थान से हैबिटेट सुटेबिलिटी रिपोर्ट तैयार कराई जाएगी, जिसकी स्वीकृति राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकरण नई दिल्ली से प्राप्त होने के बाद इस अभ्यारण्य में बाघ पुनर्स्थापना का काम शुरू किया जाएगा.


इन जंगलों में शाकाहारी जंगली जानवर छोड़े गए


अधिकारियों ने बैठक में बताया कि शाकाहारी वन्य प्राणियों को विभिन्न प्रजनन केन्द्रों और अन्य स्थानों से लाकर प्रदेश के संरक्षित क्षेत्रों के प्राकृतिक रहवास में छोड़ा गया है. कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में 49 चीतल, बारनवापारा अभ्यारण्य में 39 काला हिरण, गुरूघासीदास राष्ट्रीय उद्यान में 113 चीतल, अचानकमार टाइगर रिजर्व में 20 चीतल, तमोर पिंगला अभ्यारण्य में 14 चीतल विभिन्न संरक्षित क्षेत्रों के नैसर्गिक रहवास में शाकाहारी वन्यप्राणियों को छोड़ा गया है.


11 हजार हेक्टेयर में चारागाह विकसित किया गया


बैठक में यह जानकारी भी दी गई कि छत्तीसगढ़ के वन क्षेत्रों में हाथियों के लिए चारागाह, पानी आदि की व्यवस्था करने से हाथी मानव द्वंद की घटनाओं में काफी कमी हुई है. लगभग 11 हजार 314 हेक्टेयर चारागाह विकसित किए गए हैं. लगभग 80 हजार हेक्टेयर में खाद्य घास की प्रजातियां लगाई गई हैं. वन्यप्राणियों के पेयजल के लिए 12 स्टॉप डेम, 40 तालाब, 65 अर्दनडेम, 98 तालाबों का गहरीकरण किया गया है, इसी तरह 52 नालों में भू-जल संवर्धन और भू-जल संरक्षण के लिए संरचनाएं बनाई गई हैं.


वन क्षेत्रों में संचार नेटवर्क मजबूत होगा


बैठक में वन क्षेत्रों में बेहतर संचार की सुविधा के लिए ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाने और मोबाइल टॉवर लगाने के प्रस्तावों को भी मंजूरी दी गई. इससे जहां वन प्राणी सुरक्षा व्यवस्था मजबूत होगी. वहीं वन क्षेत्रों के गांवों में पीडीएस सिस्टम, धान खरीदी, वृद्धावस्था पेंशन, बैंकिंग और ऑनलाइन पढ़ाई में आसानी होगी. बैठक में वनभैंसों में कृत्रिम गर्भाधान करने की अनुमति भी प्रदान की गई. इस प्रस्ताव के अनुसार वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया और LaCONES, CCMB हैदराबाद के विशेषज्ञों और वन विभाग में पदस्थ पशु चिकित्सकों के देख-रेख में वीर्य निकालने का कार्य किया जाएगा और इस उपयोग मादा वनभैंसों के कृत्रिम गर्भाधान के लिए किया जाएगा.


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