Chhattisgarh Politics: छत्तीसगढ़ में आरक्षण के मामले को लेकर लगातार प्रदेश के आबकारी मंत्री और बस्तर के प्रभारी मंत्री कवासी लखमा के राज्यपाल के प्रति तीखे बयान सामने आ रहे हैं. हाल ही में कवासी लखमा ने आरक्षण बिल पर राज्यपाल के द्वारा दस्तखत नहीं किए जाने को लेकर उनके विधानसभा क्षेत्र कोंटा में यह कह दिया था कि अगर राज्यपाल अनुसूईया उइके सच्ची आदिवासी हैं तो आरक्षण बिल पर हस्ताक्षर करें, जिसके बाद अब राज्यपाल पर कवासी लखमा ने जगदलपुर में प्रेस वार्ता के दौरान एक ओर विवादित बयान दे दिया है. उन पर आरक्षण बिल को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि इसलिए इस आरक्षण के बल पर दस्तखत नहीं कर रही हैं और वे इस मामले को लेकर अब राष्ट्रपति के पास जा रही हैं.


राज्यपाल पर दिया विवादित बयान


जगदलपुर में मंगलवार को प्रेस वार्ता के दौरान स्थानीय पत्रकारों के द्वारा आरक्षण को लेकर पूछे गए सवाल पर कवासी लखमा ने कहा कि हमने तो 20 दिन पहले ही विधानसभा में 76 % आरक्षण को लेकर विधेयक पारित कर दिया है ,लेकिन राज्यपाल को इस बिल को सौंपे 20 दिन बीत गए हैं, लेकिन राज्यपाल ने अब तक इस बिल पर अपने हस्ताक्षर नहीं किये है. जिससे छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के साथ साथ पिछड़ा वर्ग के लोगों और शेड्यूल कास्ट के लोगों में भी काफी नाराजगी है. बार-बार कहने के बावजूद अब तक उनका हस्ताक्षर नहीं करना समझ से परे है.


उन्होंने कहा कि मुझे राजनीति करते 24 साल हो गए हैं और लगातार पांच बार विधायक बना हूं, मैंने अपने राजनीतिक कैरियर में इस तरह का काम नहीं देखा है, आदिवासी और छत्तीसगढ़ की जनता के हक में राज्यपाल राजनीति कर रही हैं, उन्होंने अपने बयान के दौरान यहां तक कह दिया ''छत्तीसगढ़ के महामहिम राज्यपाल आरएसएस और बीजेपी की राजनीति पर नाच रही हैं और आरक्षण के मामले को लेकर अब राष्ट्रपति के पास जा रही हैं. जबकि अब तक इसमें दस्तखत कर इस बिल को छत्तीसगढ़ में लागू कर दिया जाना था.''


बयानबाजी में शब्दों की सीमाएं लांघ रहे लखमा


इधर कवासी लखमा के इस बयान को लेकर छत्तीसगढ़ के पूर्व शिक्षा मंत्री और प्रदेश प्रवक्ता केदार कश्यप ने कहा कि कवासी लखमा अपने उलूल जुलूल बयानबाजी में लगातार अपनी शब्दों के सीमाएं लांघ रहे हैं. प्रदेश में महामहिम राज्यपाल का पद संवैधानिक पद होता है. ऐसे में इस पद पर बैठे व्यक्ति पर इस तरह के टीका टिप्पणी करना किसी भी राजनेता को शोभा नहीं देता. कवासी लखमा का राज्यपाल पर इस तरह का बयान अशोभनिय है उन्हें अपने इस बयान के लिए राज्यपाल से माफी मांगनी चाहिए.


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