Chhattisgarh News: इन दिनों पितृ पक्ष का महीना चल रहा है. जो लोग इस दुनिया को छोड़ कर चले गए उनकी याद में उनके परिजन पितृ पक्ष में उनकी आत्मा को शांति के लिए और मोक्ष मिलने के लिए पूजा करते हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के मुक्ति धामों में आज भी 50 से ज्यादा अस्थि कलश मोक्ष के लिए इंतजार करें रहे हैं.


50 से ज्यादा आत्माएं मोक्ष का कर रही इंतजार
दरअसल, दुर्ग जिले के रामनगर और रिसाली मुक्तिधाम में लगभग 50 अस्थि कलश को अब तक संभालकर रखा गया है. ताकि उनके परिजन आएंगे और इस अस्थि कलश को ले जाकर पवित्र नदी में विसर्जित करेंगे, लेकिन इन अस्थि कलशों को मुक्तिधाम में रखे दो साल से भी ज्यादा का वक्त बीत चुका है और इनकी सुध लेने वाला कोई भी परिजन अब तक नहीं पहुंचा है. जिनके कारण इन मृतकों की आत्मा मुक्ति पाने के लिए अपनों का इंतजार अब भी कर रहे है.


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यह माह पितृ पक्ष का है और सभी अपने पुरखों की आत्मा की शांति के लिए उनके तर्पण की परंपरा को निभा रहे है, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में छत्तीसगढ़ का सबसे ज्यादा प्रभावित जिला दुर्ग में जीवन के आखिरी सफर के दौरान इन सभी को अपनों का कंधा नसीब नहीं हुआ और अब पवित्र नदी में विसर्जन की रस्म अदा करने परिवार वालों ने इसकी सुध नहीं ली है.


आज भी अस्थि कलश मुक्तिधाम में है
हिन्दू धर्म के जानकारों के मुताबिक हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका अंतिम संस्कार किया जाता है. इसके बाद चिता में बचे अस्थियों को इकट्ठा करके एक कलश में रखा जाता है. जिसके बाद मृतक के पुत्र या परिजन उन्हें किसी पवित्र नदी में पूरे रस्म रिवाज से विसर्जित करते हैं. इसके पीछे यह मान्यता है कि ऐसा करने से मृतकों की आत्मा को मुक्ति और शांति मिल जाती है. वहीं हर साल पितृ पक्ष में पुरखों को तर्पण कर उनके मुक्ति की कामना की जाती है.


कोरोना में हुई थी लोगों की मौत
कोरोना की दूसरी लहर में छत्तीसगढ़ का सबसे ज्यादा प्रभावित जिला दुर्ग था. कोरोना महामारी में अब दुर्ग जिले में हजारो लोगों ने अपनी जान गवा चुके है. अब भी कोरोना पूरी तरह से गया नहीं है. कोरोना से जान गंवाने वालों के लिए उनके अंतिम संस्कार के लिए विशेष प्रोटोकॉल का पालन कराया गया था. जिससे परिजन अपने मृतकों के अंतिम संस्कार से वंचित हो गए थे. जिसकी वजह से संक्रमित शवों को कोरोना प्रोटोकॉल के अनुसार उनका अंतिम संस्कार किया गया था.


अगर परम्परा के अनुसार परिजन अपने कांधों में मृतक को मुक्तिधाम तक लाकर विधि विधान से अंतिम संस्कार करते तो शायद इन अस्थि कलशों को अपनो का इंतजार नहीं करना पड़ता, लेकिन कोरोना काल मे बहुत से अस्थि कलशों को उनके परिजनों ने ले जाकर विधि विधान से उन्हें विसर्जित भी किया है. दुर्ग जिले के मुक्तिधाम में आज भी पचास से ज्यादा अस्थि कलश अपने परिजनों राह देख रहे है.


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