Chhattisgarh News: बस्तर में कॉफी के साथ-साथ नक्सलगढ़ की महिलाएं पपीते का भी उत्पादन कर रही हैं. बस्तर जिले के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र कहे जाने वाले दरभा ब्लॉक में लगभग 43 आदिवासी महिलाओं द्वारा 10 एकड़ में पपीते की खेती की जा रही है. महिलाओं  द्वारा हाईटेक तरीके से की जा रही इस खेती की दिल्ली में आयोजित फ्रेश इंडिया शो में जमकर सराहना हुई. मां दंतेश्वरी पपीता उत्पादक समिति का गठन कर 8 सहायता समूह की महिलाओं द्वारा पपीते की खेती की जा रही है. इस समूह में 43 महिलाएं सक्रिय रुप से कार्य कर रही हैं और उन्हें हर महीने अच्छी आय भी हो रही है. जानकारी के मुताबिक अब तक 55 टन पपीते की तोड़कर इसकी बिक्री की जा चुकी है और इससे समूह को लगभग 6 लाख रुपये का मुनाफा हुआ है, यही नहीं बस्तर के इन आदिवासी महिलाओं द्वारा उत्पादित पपीते की देश की राजधानी दिल्ली में भी डिमांड है और अब दिल्ली में भी बड़ी मात्रा में बस्तर के पपीते बिकने के लिए जाने लगा है.


आदिवासी महिलाओं की मेहनत लाई रंग


दरभा क्षेत्र की महिलाओं द्वारा लगभग 10 एकड़ में की जा रही पपीते की खेती को लेकर मां दंतेश्वरी उत्पादक समिति की सचिव हेमा कश्यप ने बताया कि जिला प्रशासन ने उन्हें पपीते की खेती के लिए प्रोत्साहित किया, उन्हें शुरुआती समय में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, क्योंकि दरभा में चट्टानी जमीन होने की वजह से पपीते की खेती करना एक नया प्रयोग था, शुरुआत में कुछ महिलाओं ने इस प्रयोग की असफलता की आशंका को देखते हुए काम छोड़ दिया, लेकिन समिति की  43 महिलाएं पूरी रुचि और चट्टानी इरादों के साथ अपने काम में डटी रहीं और इसका परिणाम आज उन्हें दिख रहा है जब उन्हें अच्छी फसल मिल रही है और उनकी कीमत भी अच्छी मिल रही है.




हेमा कश्यप  ने बताया कि पपीते की खेती के लिए उन्हें विभाग और बस्तर किसान कल्याण संघ द्वारा आधुनिक तरीके से की जाने वाली खेती के लिए जरूरी प्रशिक्षण और मार्गदर्शन के साथ-साथ बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध कराई गई. इसके अलावा जिला प्रशासन ने पपीते के पौधों की सुरक्षा के लिए चारों ओर फेंसिंग कराए जाने के साथ ही सिंचाई के लिए चार बोर कराकर ड्रिप सिस्टम भी लगवाया. जिसके बाद करीब 10 एकड़ से 55 टन पपीते का उत्पादन किया गया, सफलता के बाद दरभा विकासखंड के ही तीरथगढ़ और मूंगागांव में भी 10-10 एकड़ में पपीते की खेती की शुरुआत की गई है, जहां आदिवासी महिलाएं ही इसकी देखभाल कर रही हैं.




6 लाख रुपये का हुआ मुनाफा


बस्तर कलेक्टर रजत बंसल ने बताया कि दरभा क्षेत्र की महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने और महिला सशक्तिकरण को बल देने के लिए  दरभा विकासखंड के अलग-अलग जगहों पर पपीते की खेती की शुरुआत की गई, दरभा का क्षेत्र पपीते की खेती के लिए काफी अनुकूल होने की वजह से इसके अच्छे परिणाम देखने को मिले और बीते 6 महीनों में ही 55 टन का उत्पादन हुआ जिससे इस महिला समिति को लगभग 6 लाख रुपये का मुनाफा हुआ.




मुख्यमंत्री ने की तारीफ


प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी दरभा में शुरू किए गए पपीते के इस प्रोजेक्ट की जमकर तारीफ की, उन्होंने कहा कि बस्तर के किसानों को उनकी फसलों का बेहतर मूल्य मिले इसके लिए जिला प्रशासन आवश्यक कार्य करें, साथ ही पपीता, मिर्ची समेत अन्य फसलों की बस्तर अंचल में बहुतायात पैमाने पर हो रही खेती को देखते हुए बस्तर कलेक्टर को कोल्ड चेन सिस्टम विकसित करने के भी निर्देश दिए हैं. 


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