Chhattisgarh Naxal Attack: छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में आईईडी (IED) बम से जवानों को भारी नुकसान पहुंचा है. नक्सली पिछले चार दशक घातक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं. 26 अप्रैल को दंतेवाड़ा नक्सली हमले में 10 जवान शहीद हो गए थे. अरनपुर मार्ग में नक्सलियों ने आईईडी विस्फोट किया था. बस्तर की सभी बड़ी नक्सली घटनाओं में आईईडी बम का इस्तेमाल नक्सलियों ने जवानों के खिलाफ किया है. आईए जानते हैं सबसे घातक हथियार नक्सली कैसे तैयार करते हैं. 


3 वर्षों में 200 से ज्यादा आईईडी की हुई रिकवरी


छत्तीसगढ़ का बस्तर संभाग पिछले चार दशकों से नक्सलवाद का दंश झेल रहा है. कश्मीर के बाद सबसे ज्यादा फोर्स बस्तर में नक्सल मोर्चे पर तैनात है. संभाग के 7 जिले नक्सल प्रभावित हैं.  नक्सली जवानों को नुकसान पहुंचाने के लिए सबसे घातक हथियार आईईडी का इस्तेमाल करते हैं.


बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि नक्सली बारूद ,अमोनियम नाइट्रेट, जिलेटिन,फ्यूज वायर, टिफिन, प्रेशर कुकर बम, ड्रम, टिन के डिब्बे, बोरी में बारूद डालने के साथ पाइप बम भी तैयार करते हैं. नक्सलियों को शहरी नेटवर्क और अलग अलग सोर्स से बारूद पहुंचता है. उन्होंने बताया कि पिछले 3 वर्षों में नक्सलियों का 200 से भी ज्यादा आईईडी विस्फोटक पुलिस ने बरामद किया है.


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बम को डिटेक्ट करने में असफल रहने से जवानों को नुकसान पहुंचा है. बस्तर में सीआरपीएफ और जिला पुलिस बल के साथ तैनात बीडीएस की टीम आईईडी को खोज निकालने में पिछले कुछ वर्षों से बेहतर काम कर रही है. पुलिस ने कुछ हद तक नक्सलियों के शहरी नेटवर्क को भी ध्वस्त किया है. आईजी ने कहा कि पिछले 3 वर्षों के दौरान आईईडी ब्लास्ट में 30 से अधिक जवानों की शहादत हुई है और कई जवान घायल हुए हैं. जवानों को नक्सलियों के सबसे घातक हथियार आईईडी से बचना काफी चुनौतीपूर्ण होता है. बस्तर में सबसे ज्यादा नुकसान आईईडी विस्फोटक की वजह से जवानों को हुआ है. अब तक नक्सलियों ने करीब 50 किलो वजनी आईईडी का इस्तेमाल किया है. ताड़मेटला की घटना में नक्सलियों ने 50 किलो वजनी आईईडी का इस्तेमाल किया था. 


नक्सली घटना को अंजाम देने में कैसे कामयाब?


बस्तर आईजी ने बताया कि 26 अप्रैल को दंतेवाड़ा नक्सली हमले में 10-10 किलो वजनी 3 आईईडी बम का इस्तेमाल किया गया था. सभी आईईडी का कनेक्शन एक वायर में नक्सलियों ने कर रखा था. इसलिए धमाका काफी बड़ा था और मौके पर 10 जवानों की शहादत हो गई. घटना के एक दिन पहले इस सड़क पर डी- माइनिंग की गई लेकिन सुरंग बनाकर प्लांट करने की वजह से आईईडी डिटेक्ट नहीं हो पाया. नक्सली आईईडी ब्लास्ट को अंजाम देने में कामयाब हो गए.