Dantewada IED Blast: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के दंतेवाड़ा (Dantewada) में 26 अप्रैल बुधवार दोपहर को हुए नक्सली हमले (Naxal Attack) में शहीद हुए जवानों में दो को अंतिम संस्कार के लिए अपने गांव की जमीन  भी नहीं मिल पाई. नक्सलियों का खौफ ऐसा कि सरपंच समेत ग्रामीणों ने जवानों के पार्थिव शरीर को गांव लाने से साफ मना कर दिया. दरअसल, नक्सलियों ने दो गांवों के ग्रामीणों के लिए फरमान जारी किया था.


नक्सलियों ने गांव में जवानों के शवों का अंतिम संस्कार करने पर जान से मारने की धमकी दी थी. इसके चलते दो शहीद जवानों के परिजनों ने उनका अंतिम संस्कार दंतेवाड़ा पुलिस लाइन के शांति कुंज  में  ही किया. नक्सलियों के डर की वजह से दोनों ही शहीद जवानों का अपने गृह गांव में अंतिम संस्कार नहीं हो पाया.


जवानों को नसीब नहीं हुई अपने गांव की जमीन
जानकारी के मुताबिक दंतेवाड़ा जिले के कटेकल्याण ब्लॉक में मारजुम भिमापारा के दुलगो मंडावी और बड़े गादम के रहने वाले जवान जोगा कवासी की बीते 6 मार्च को ही पुलिस में नौकरी लगी थी. दोनों को दंतेवाड़ा पुलिस  DRG में शामिल  किया गया. छोटी सी  उम्र में ही दोनों ने नक्सलियों से लोहा लेने की ठानी और पुलिस में भर्ती हुए. दुलगो मंडावी महज 23 और  जोगा कवासी 22 साल के थे. नक्सलियों ने  जिस गाड़ी को ब्लास्ट करके उडाया उसी में ये दोनों भी सवार थे.


 नक्सलियों ने जारी किया फरमान
इसमें सबसे विडंबना ये है कि दुलगो मंडावी और जोगा कवासी  का गृह गांव कटेकल्याण ब्लॉक के मारजुम और बड़े गादम में हैं. ये नक्सल प्रभावित क्षेत्र है. नक्सलियों ने इन दोनों ही गांवों में अंतिम संस्कार करने पर ग्रामीणों को जान से मारने का फरमान सुना दिया. शहीद जवान दुलगो मंडावी के भाई  मंगलू राम मंडावी भी खुद डीआरजी में है. मंगलू ने बताया कि गांव के सरपंच ने साफ तौर पर कह दिया कि उनके भाई के  पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार गांव में नहीं होने दिया जाएगा. क्योंकि नक्सलियों ने गांव में जवानों के अंतिम संस्कार को लेकर फरमान जारी कर दिया है.


जवान के भाई ने क्या कहा
इसकी वजह से पूरे गांव के ग्रामीणों में दहशत का माहौल है. मंगलू ने बताया कि शहीद जवान दुलगो  की पत्नी और एक बच्चा है.  साल 2017 में उनके पिता की भी नक्सलियों ने हत्या कर दी थी. जवान के भाई ने कहा कि वो चाहते थे कि उनके भाई का अंतिम संस्कार उसी गांव में और उसी जगह में हो जहां उनके पिता का अंतिम संस्कार हुआ था. लेकिन नक्सलियों के भय की वजह से ग्रामीणों ने गांव में अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया. इसलिए उन्हें अपने भाई का अंतिम संस्कार दंतेवाड़ा पुलिस लाइन में  करना पड़ा. 


सरपंच को मनाने की कोशिश की
शहीद जवान के भाई मंगलू राम मंडावी ने बताया कि उनका अंतिम संस्कार उनके अपने ही गृह गांव में हो इसके लिए उन्होंने सरपंच को मनाने की कोशिश की, लेकिन नक्सलियों के खौफ की वजह से सरपंच समेत गांव वालों ने उनके भाई के पार्थिव शरीर को गांव में लाने से मना कर दिया. यही हाल जोगा कवासी के गांव में भी हुआ. यहां भी नक्सलियों के फरमान की वजह से ग्रामीणों ने जवान के पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए उनके गांव में लाने से मना कर दिया. लिहाजा इस वजह से  शहीद जवानों के परिजनों में निराशा छा गई.


वहीं इस मामले में दंतेवाड़ा के एसपी सिद्धार्थ तिवारी ने बताया कि पुलिस सुरक्षा देने के लिए पूरी तरह से तैयार थी, लेकिन गांव के सरपंच और ग्रामीणों के मना करने पर परिजनों ने पुलिस लाइन के शांतिकुंज में दोनों जवानों का अंतिम संस्कार किया.


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