Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ सरकार के लगातार बातचीत कर रास्ता निकालने के बयान पर नक्सलियों का जवाब आया है. नक्सलियों की दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीकेएसजेडसी) के प्रवक्ता विकल्प के जरिए बयान जारी कर कहा है कि केंद्र सरकार पूर्वोत्तर के राज्यों में हथियारबंद संगठनों से बातचीत कर समझौता करती है, वह भी 6 हथियारबंद संगठन, तो छत्तीसगढ़ सरकार हर बार हथियार छोड़कर बातचीत करने की बात क्यों कह रही है, उन्हीं के तर्ज पर बातचीत क्यों नहीं हो सकती.
दरअसल बीते 8 अप्रैल को रायपुर में भूपेश बघेल खुद कह चुके हैं कि नक्सली अगर हथियार छोड़ दें तो बातचीत के जरिए शांति का रास्ता निकाला जा सकता है, वहीं केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने भी गुरुवार को अपने बीजापुर दौरे के दौरान भी बातचीत के जरिए नक्सल समाधान की बात कही थी, इस तरह के लगातार बयानों के बाद नक्सलियों ने भी अपना पक्ष रखकर वार्ता के लिए शर्तें रखी हैं.
हवाई हमले क्यों किए, अगर नहीं किए तो किस देश की सेना ने किया- संगठन
नक्सलियों ने अपने दो पन्ने के इस प्रेस नोट में बयान देते हुए कहा है कि एक तरफ सरकारें शांतिवार्ता की बात कह रहीं हैं, वहीं दूसरी तरफ हवाई हमले कर रहे हैं, उन्होंने सरकार से कहा कि उन्होंने किस संवैधानिक अधिकार के तहत यह हवाई हमले करवाए, यदि नहीं करवाएं तो इसकी जांच करवाएं और पता लगाए कि किस देश की सेना ने यह करवाया, उन्होंने कैंप खोलने, सर्चिंग अभियान तेज करने जैसे विषयों का विरोध किया और पुलिस पर फर्जी मुठभेड़ का भी आरोप लगाया है.
नक्सलियों ने फिर रखी यही शर्त
अपने प्रेस नोट नक्सलियों ने इस समझौते के लिए अपनी शर्तें रखी हैं, इसमें उन्होंने कहा कि वे इसके लिए हमेशा तैयार हैं, सरकार को चाहिए की वह अनुकूल वातावरण तैयार करे. पीएलजीए, माओवादी पार्टी व जन संगठनों पर लगाए गए प्रतिबंध हटाए, हवाई बमबारी बंद हो, पुलिस कैंपों को हटाया जाए, जेलों में बंद नक्सली नेताओं को वार्ता के लिए रिहा किया जाए, तभी कोई शांति वार्ता हो सकती है.
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