Chhattisgarh Naxalite Area: छत्तीसगढ़ का बस्तर संभाग आज भी विकास से काफी अछूता है. यहां के ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं के लिए मोहताज हैं. इसकी वजह है नक्सलवाद, दरअसल पिछले 4 दशकों से बस्तर नक्सलवाद का दंश झेल रहा है. सुकमा ,दंतेवाड़ा, कांकेर, नारायणपुर और  बीजापुर के अंदरूनी इलाकों में आज भी नक्सलियों की हुकूमत चलती है. यही वजह है कि यहां प्रशासन की टीम जाने से भी कतराती है. दहशत का माहौल इस कदर है कि दिन हो या रात यहां परिवहन की आज तक कोई सुविधा नहीं पहुंच पाई है. ऐसे कई गांव है जहां तक न ही सड़क बने हैं और न ही इन गांवों तक बिजली पहुंचाया गया है. भले ही देश को आजाद हुए 75 साल बीत गए हैं लेकिन आज भी इस क्षेत्र के रहने वाले ग्रामीण नक्सलियों के दहशत में जिंदगी जी रहे हैं और मूलभूत सुविधाओं की समस्या से सालों से जूझ रहे हैं.


हालांकि पिछले कुछ सालों से यहां तैनात पैरामिलिट्री फोर्स की वजह से नक्सलियों का दहशत जरूर कम हुआ है और यहां के ग्रामीणों का पुलिस के प्रति विश्वास भी बढ़ा है, जिसके चलते कुछ ऐसे इलाकों को पुलिस विभाग ने चिन्हाकित कर रखा है, जहां सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है, हालांकि सड़क निर्माण के दौरान कई जवानों को अपनी शहादत भी देनी पड़ी है. इन्हीं सड़कों में से एक है दंतेवाड़ा जिले का जगरगुंडा मार्ग. दरअसल जगरगुंडा गांव सुकमा, बीजापुर और दंतेवाड़ा के सरहद पर मौजूद है, इसे नक्सलियों का उप राजधानी भी कहा जाता है. बड़े नक्सली लीडर इसी इलाके में बैठकर अपनी हुकूमत चलाते हैं. कई बार फोर्स ने यहां इन बड़े नक्सली लीडरो से सामना करने की कोशिश तो की लेकिन वह नाकाम रहें.  जिसके चलते पुलिस और प्रशासन यहां सड़क निर्माण के जरिये इस इलाके में अपनी पैंठ जमाने में लग गई है.


नक्सलियों की उपराजधानी है जगरगुंडा गांव


दंतेवाड़ा जिले के जगरगुंडा इलाके को नक्सलियों का उप राजधानी कहा जाता है. 40 लाख रुपये इनामी सीसी मेम्बर और नक्सली कमांडर हिड़मा जैसे खूंखार नक्सली इसी इलाकों में अपनी हुकूमत चलाते हैं. चारों ओर घने जंगल और पहाड़ियों के बीच घिरा गरगुंडा का इलाका नक्सलियों के लिए सेफ जोन भी माना जाता है. यही वजह है कि यहां फोर्स को नक्सलियों से मुठभेड़ के दौरान काफी नुकसान भी उठाना पड़ा है. हालांकि पिछले कुछ सालों से जिला प्रशासन और बस्तर पुलिस दंतेवाड़ा से जगरगुंडा मार्ग तक सड़क निर्माण करने के प्रयास में लग गई है और अब तक 18 किलोमीटर की सड़क भी तैयार कर चुकी है. हालांकि इस सड़क निर्माण के दौरान कुछ जवानों को अपनी शहादत भी देनी पड़ी है. बावजूद इसके जवानों का मनोबल कम नहीं हुआ और करीब 200 से ज्यादा जवानों की सुरक्षा के साये में लगातार सड़क निर्माण का कार्य जारी रखा हुआ है.


सड़क निर्माण के लिए कई चट्टानों को काटना पड़ा है. जगरगुंडा तक घाटी वाले रास्ते में सड़क निर्माण के लिए प्रशासन को काफी मशक्कत करनी पड़ी है. हालांकि बताया जा रहा है कि और 10 किलोमीटर का सड़क निर्माण कार्य बाकी रह गया है. इस सड़क के बन जाने से अब दंतेवाड़ा से जगरगुंडा तक सरपट वाहने दौड़ेगी और यहां के ग्रामीणों को परिवहन की सुविधा का लाभ भी मिल सकेगा. हालांकि नक्सली सड़क निर्माण के कार्य को बाधित करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं. दंतेवाड़ा पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक दंतेवाड़ा से जगरगुंडा तक सड़क बनाने के दौरान पुलिस ने 200 से ज्यादा आईईडी बम बरामद किए हैं. इसके अलावा कई बार सड़क निर्माण के दौरान आईईडी ब्लास्ट हो चुके हैं. जिसमें कई जवान घायल भी हुए हैं और एक जवान की शहादत भी हुई है. बावजूद इसके जवानों का मनोबल कम नहीं हुआ है.


जवान सड़क निर्माण की सुरक्षा में रहते हैं तैनात


खास बात यह है की जगरगुंडा दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर के शहर में पड़ने वाला एकमात्र गांव है. यहां तक सड़क बन जाने से जगरगुंडा गांव तक  सारी सुविधाएं और सरकारी योजनाएं पहुंच पाएगी. साथ ही जगरगुंडा से सुकमा और बीजापुर के लिए भी आने वाले समय में सड़क निर्माण हो सकेगा. यही वजह है कि प्रशासन यहां तक सड़क बनाने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा रहा है. वहीं नक्सली भी इस सड़क निर्माण कार्य को बाधित करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं लेकिन सड़क की सुरक्षा में तैनात जवान नक्सलियों का मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं. जानकारी के मुताबिक दंतेवाड़ा से जगरगुंडा तक सड़क निर्माण को पूरा करने के लिए 6 से ज्यादा कैंप खोले गए हैं. जिसमें 800 से ज्यादा जवान रहते हैं और इनमें से अधिकांश जवान सड़क निर्माण कार्य की सुरक्षा में लगे हुए हैं. वहीं जगरगुंडा के ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें जगरगुंडा से दंतेवाड़ा 30 किलोमीटर आने के लिए करीब 2 दिन का समय लगता है. जंगल और पहाड़ के रास्ते से उन्हें दंतेवाड़ा मुख्यालय तक आना पड़ता है लेकिन वहीं सड़क बन जाने से अब दो दिन का सफर 2 घंटे में यहां के ग्रामीण तय कर सकेंगे.


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