Chhattisgarh News: बातचीत की अपील पर नक्सलियों ने दिया ये जवाब, कहा- अड़ियल है भूपेश सरकार का रवैया
सीएम भूपेश बघेल के बयान पर प्रतिक्रिया में नक्सली नेता ने कहा है कि, हम यही स्पष्ट करना चाहते हैं कि अनुकूल वातावरण में ही वार्ता हो सकती है जो सरकार पर निर्भर है
पिछले चार दशकों से छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में अपनी पैठ जमाए बैठे नक्सली संगठन पिछले कुछ दिनों से शांति वार्ता को लेकर प्रेस नोट जारी कर रहे हैं. दरअसल प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) ने राजधानी रायपुर (Raipur) में हथियार छोड़ने पर नक्सलियों से शांति वार्ता के लिए तैयार होने की बात कही थी. मुख्यमंत्री के इस बयान पर नक्सलियों ने भी प्रेस नोट जारी कर अनुकूल वातावरण और अपनी कुछ शर्त रखकर शांति वार्ता करने के लिए हामी भरी थी. इसके बाद इस प्रेस नोट पर जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि, भारत के संविधान पर विश्वास प्रकट करने पर सरकार किसी भी मंच पर बातचीत के लिए तैयार है.
जवाब में नक्सलियों ने क्या कहा
सीएम के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए एक बार फिर नक्सली संगठन के नेता और दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रवक्ता विकल्प ने प्रेस नोट जारी किया है. इस प्रेस नोट में नक्सली प्रवक्ता विकल्प ने प्रदेश के मुख्यमंत्री और गृह मंत्री के जवाब के बाद कहा है कि शांति वार्ता के मामले में हमारे बयान में उठाए गए मुद्दों पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा कुछ ना कहना और यही रटना कि भारत के संविधान पर विश्वास प्रकट करने पर किसी भी मंच पर बातचीत के लिए तैयार हैं, भूपेश सरकार के अड़ियल रवैए को दर्शाता है.
सरकार पर निर्भर है- नक्सली नेता
नक्सली नेता ने कहा है कि, हम यही स्पष्ट करना चाहते हैं कि अनुकूल वातावरण में ही वार्ता हो सकती है जो सरकार पर निर्भर है. छत्तीसगढ़ सरकार के गृह मंत्री ने बेशर्त वार्ता की बात कही है लेकिन हवाई हमले, बमबारी, घेराव, दमन और मुठभेड़ में फंसने से नहीं बच निकलने देने की मुख्यमंत्री और पुलिस अधिकारियों की धमकियों के बीच बेशर्त वार्ता कैसे संभव हो सकती है.
क्या मांग है नक्सलियों की
इसके अलावा शांति वार्ता को लेकर नक्सली नेता विकल्प ने कहा कि, अगर सरकार बातचीत के लिए ईमानदार है तो हमारे लिए अनुकूल वातावरण तैयार करें. हमने कोई नयी शर्त नहीं रखी केवल शांति वार्ता के लिए माहौल बनाने के तहत ही पाबंदी हटाने, पुलिस कैंपों को हटाकर फोर्स को वापस भेजने और वार्ता करके जेल में बंद नक्सली नेताओं को रिहा करने की बात ही सामने रखी है. वार्ता तो किसी भी मंच पर हो सकती है और जब वार्ता होगी तब असली मुद्दे और समस्याओं के बारे में चर्चा होगी.