Chhatisgarh News: छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की कमर टूटने लगी है. नक्सल संगठन में लगातार बैकफुट दिखाई दे रहे है. नक्सली अब मुख्यधारा में लौटने लगे है और बेहतर जीवन की तलाश में नक्सल गतिविधियों से अपना नाता तोड़ रहे है. राज्य सरकार की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर पिछले 3 वर्षो में 1199 माओवादी मुख्यधारा में लौट आए हैं.
छत्तीसगढ़ में टूटी नक्सलियों की कमर
छत्तीसगढ़ देश में सर्वाधिक नक्सली मूवमेंट वाला राज्य है. राज्य के 28 में से 14 जिलों में नक्सलियों का प्रभाव है. इसमें दंतेवाड़ा, बीजापुर, बस्तर, कोंडागांव, नारायणपुर, कांकेर, राजनांदगांव, कवर्धा, धमतरी, गरियाबंद, महासमुंद, बलरामपुर और मुंगेली जिले शामिल है. जिनमें से आधे दर्जन जिलों में नक्सलियों का मूवमेंट कम हुआ है. नक्सलियों के प्रभाव से जिले मुक्त हो रहे है. पुलिस प्रशासन का दखल अंदरूनी इलाकों में बढ़ते जा रहा है. इससे क्षेत्र के मूल निवासियों के लिए विकास के दरवाजे भी खुलते जा रहे है.
गृहमंत्री की समीक्षा बैठक में चर्चा
सोमवार को गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने विभागीय अधिकारियों की बैठक लेकर पटनायक कमेटी अंतर्गत आदिवासियों की रिहाई, चिटफंड कंपनियोें के विरूद्ध कार्रवाई, राजनितिक व्यक्तियों के विरूद्ध दर्ज प्रकरणों की वापसी तथा प्रदेश की कानून-व्यवस्था की समीक्षा की है. इस बैठक में नक्सलियों की स्थिति पर भी समीक्षा की गई है.
नक्सलियों में आई 40 फीसद की कमी
बैठक में गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पदस्थ जवानों को दी जाने वाली सुविधाओं की भी जानकारी ली. अधिकारियों ने बताया कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पदस्थ जवानों को आवश्यक सामाग्री एवं अन्य सुविधाएं (जैसे-बुलेट प्रूफ जैकेट, मच्छरदानी, स्वच्छ जल) उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं. वर्तमान में नक्सली घटनाओं में 40 प्रतिशत की कमी आई है. पिछले तीन वर्षों में लगभग 1,199 माओवादियों ने आत्मसमर्पण कर सामाज के मुख्य धारा में जुड़ गये है.
मुख्यधारा में लौट रहे नक्सली
सरकार की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर नक्सली मुख्यधारा में लौट रहे है. गृह विभाग के अधिकारियों ने बताया कि, ’’विश्वास विकास सुरक्षा’’ सूत्र वाक्य के अंतर्गत नक्सल पुर्नवास नीति का प्रचार-प्रसार एवं नक्सल क्षेत्रों में निर्माणाधीन कार्यों में पर्याप्त सुरक्षा के प्रबंध करने और विकास कार्यों के प्रगति के लिए धुर नक्सल क्षेत्रों में आवश्यकतानुसार नवीन कैम्प स्थापित करने के भी निर्देश दिये गये. प्रदेश में नार्को टेस्ट स्थापित करने और पुलिस कर्मियों की आवास सुविधा के विस्तार की कार्ययोजना बनाने के भी निर्देश दिये गये हैं.
नक्सलियों का काल बनेगा बस्तर फाइटर
दक्षिण छत्तीसगढ़ यानी बस्तर संभाग यहां के 7 जिलों में नक्सलियों का प्रभाव है. इन जिलों में जवानों की निगरानी में विकास कार्य होते है. अब बस्तर फाइटर नक्सलियों के काल बन सकता है. क्योंकि बस्तर फाइटर में स्थानीय युवाओं को नौकरी दी जाएगी. इसके अलावा रोजगार की बयार से नक्सलगढ़ के युवा दिशाहीन नहीं होंगे. समीक्षा बैठक में अधिकारियों ने बताया कि बस्तर रेंज के स्थानीय युवाओं के भर्ती के लिए बस्तर फाईटर अंतर्गत 2800 पद, रिक्त उप निरीक्षक संवर्ग के 975 पद एवं महिला नगर सैनिकों की खाली पदों के लिए भर्ती की कार्यवाही की जा रही है.